चलिए एक ऐसे राज्य की सैर पर जहां पुरुष किसानों को मात दे रहीं हैं महिला किसान
Astha Singh 13 Jun 2018 6:43 AM GMT

तपती धूप,ठंड और बरसात में घंटों खेत में काम करती औरतें भारत के किसी भी कोने में दिख जाती हैं। भारत में 80 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं खेतीबाड़ी से जुड़ी हैं, लेकिन किसान कहते ही जेहन में पुरुष की ही छवि उभरती है।पर तस्वीर की पहचान अब बदल रही है।
जब मैं महाराष्ट्र की यात्रा पर थी, मैंने हर दूसरे खेत में महिलाओं को ही काम करते देखा।महाराष्ट्र की मिट्टी काली होती है।उसमें उपज अच्छी होती है। वहां महिलाएं कपास के पौधे से कपास निकालते हुए, गन्ना उखाड़ते हुए और धान बोते हुए दिख ही जाती हैं । घर के काम के साथ-साथ खेती में भी बराबर समय देती हैं।
महाराष्ट्र में एक चीज़ और आपको बहुत आसानी से दिख जाएगी- गन्ने का रस निकालने के लिए आज भी बैल की मदद ली जाती है।और वहां के गन्ने में तो इतनी मिठास होती है कि क्या कहने।मैं अहमदनगर, नासिक और औरंगाबाद गई थी। औरंगाबाद का नाम ही औरंगज़ेब के बाद पड़ा। उसने वहां कई सालों तक राज किया। उसका मकबरा भी वहां बना है और दूर -दूर से लोग वहां आते हैं उसे देखने।
महाराष्ट्र में गन्ना, कपास, अंगूर, मक्का, अमरुद, अनार, चावल, प्याज, नारियल, चना, बाजरा, आदि फसलें और फल यहां उगाई जाती है।यहां हर दूसरे घर में आपको नारियल, बादाम के पेड़ दिख जाएंगे।
किसान दिवस जो मुझे कभी याद नही रहता और शायद ना ही किसी गाँव के किसानों को। महिला किसानों को बस उनका जायज हक़ चाहिए।संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार महिला का श्रम पुरुषों की तुलना में दुगुना है। इसके बावजूद भी महिलाओं को किसान का दर्जा देने में आनाकानी हो रही है।
श्रम की बात करें तो महिलाएं घर के काम के साथ खेतों की जिम्मेदारी संभालती हैं। महिला किसान का ये श्रम यहीं खत्म नहीं होता हैं, बल्कि वे पशु पालन का काम भी करती हैं। महाराष्ट्र में महिला किसान हर प्रकार के रूप धारण करती हैं, और ये कहा नहीं जा सकता की ऐसा कोई काम नहीं है, जो वे नहीं करती, चाहे वो कौशल से जुड़े हो, या फिर बिक्री और व्यापार से।
कहा जाता है कि भारत कृषि प्रधान देश है इसके बावजूद भी किसानों की हालत दयनीय है और अगर बात महिला किसानों कि की जाये तो उनकी स्थिति पुरुष किसानों से भी बेकार है। देश में 60 से 80 प्रतिशत महिलाएं खेती के काम में लगी रहती हैं। अगर जमीन के मालिकाना हक कि बात करें तो सिर्फ 13 प्रतिशत महिलाओं के पास ही हक है।11 करोड़ 87 लाख किसानों की कुल आबादी में से 30.3 महिला किसान है।
कुल मिलाकर अगर मेहनत की बात है तो चाहे महाराष्ट्र की महिला किसान हों या किसी और राज्य की सब बहुत ही कर्मठ होती हैं और उन्हें बराबरी का हक़ मिलना ही चाहिए। महाराष्ट्र का मेरा अनुभव बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक रहा।
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