वैक्सीनेशन कथा: 23 दिन बाद दूसरे जिले में स्लॉट मिला, कई घंटे लाइन में लगा, फिर कहा गया अगली बार आना

कोरोना वैक्सीन को लेकर इस समय 2 तरह की बातें हैं। पहली भारत में वैक्सीन की भारी किल्लत है। शहर में लोग वैक्सीन लगवाने के लिए भागदौड़ और इंतजार कर रहे। गांवों में वैक्सीन को लेकर लोग आगे नहीं आ रहे। मैं शहर से गांव गया वैक्सीन लगवाने लेकिन वहां भी वैक्सीन नहीं लग पाई.. मेरी आप बीती

Divendra SinghDivendra Singh   25 May 2021 10:25 AM GMT

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वैक्सीनेशन कथा:  23 दिन बाद दूसरे जिले में स्लॉट मिला, कई घंटे लाइन में लगा, फिर कहा गया अगली बार आनायूपी के प्रयागराज में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के वैक्सीनेशन सेंटर पर लोगों की भीड़। सभी फोटो: दिवेंद्र सिंह

देश इस समय कोरोना की लहर से जूझ रहा है, ऐसे में सबसे जरूरी है वैक्सीन लगवाना, जब से वैक्सीनेशन शुरू हुआ है, हमने खबरों के लिए लोगों से बात भी की है कि क्यों लोग वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं, सब का अलग-अलग कहना है, कोई वैक्सीन लगवाने से डर रहा है तो किसी के जिले में वैक्सीन के लिए स्लॉट ही नहीं मिल रहा है।

लोगों से बात करने और खुद से वहां जाकर देखने पर पता चला कि क्यों गाँव का एक इंसान टीका लगवाने नहीं जाना चाहता।

एक मई से 18 से 44 साल तक का वैक्सीनेशन शुरू हो गया था, तब से लगातार ट्राई कर रहा था कि शायद कहीं पर स्लॉट मिल जाए, लेकिन नहीं मिला। इसी बीच प्रतापगढ़ आ गया और प्रतापगढ़ जिले में भी स्लॉट नहीं मिला तो पता चला कि इलाहाबाद यानी प्रयागराज में वैक्सीनेशन का स्लॉट मिल रहा है।

23 मई को कई दिनों के इंतजार के बाद 24 मई के लिए प्रयागराज के सीएचसी, मऊआइमा, वैक्सीनेशन का स्लॉट मिलता है। सुबह के समय ज्यादा भीड़ न हो इसलिए सुबह 10 से 11 बजे का ही स्लॉट लिया था, इसलिए सुबह 09:30 बजे से सीएचसी पहुंच गया। वहां जाकर पता चला कि वैक्सीन लगनी तो 10:30 शुरू होगी अभी और इंतज़ार करो, सोचा जैसे इतने दिन इंतज़ार किया एक घंटे और कर लूंगा।


10:30 तक अच्छी खासी भीड़ इकट्ठा हो गई, फिर बताया गया कि टाइम वाला स्लॉट तो ऐसे ही है जिसका नाम बुलाया जाएगा, उसे वैक्सीन के लिए भेजा जाएगा। सीएचसी स्टाफ के पास तीस लोगों के नाम की लिस्ट थी, एक-एक लोगों का नाम बुलाया जा रहा था, जैसे-जैसे भीड़ बढ़ रही थी, लोगों का शोर भी बढ़ रहा था। यहां पर न दो गज की दूरी थी न ही मास्क ही जरूरी, लोग एक दूसरे से सटकर खड़े थे, सीएचसी स्टाफ कि कोई सुनने को तैयार नहीं था।

दूर खड़े होकर कान लगाए अपने नाम का इंतजार कर रहा था कि कहीं नाम न निकल जाए। नहीं तो फिर से 300 लोगों का बुलाया जाएगा और फिर उतना ही टाइम लगेगा। सुबह 09:30 से दोपहर के 12:30 हो गए, 300 लोगों के नाम बुलाए गए मेरा नाम नहीं, ऐसे तीन बार 300 लोगों के नाम बुलाये गए मेरा नाम नहीं आया इतनी हिम्मत नहीं थी कि भीड़ में घुसकर लिस्ट में अपना नाम चेक करें, लेकिन आखिरकार हिम्मत कर के पास गया पूरी लिस्ट चेक करवाया लेकिन लिस्ट में नाम ही नहीं था। जबकि मेरे पास एप्वाइमेंट का मैसेज भी आया और पीडीएफ भी डाउनलोड किया था।

लिस्ट में नाम नहीं था तो सीएचसी स्टाफ ऐप में चेक करने को कहा मोबाइल नंबर से सर्च किया तो नाम मिला और कहा गया कि फॉर्म भरकर लाइन में लग जाइए। सोचा कि जैसे इतनी देर इंतजार किया थोड़ी देर और इंतजार कर लेता हूं। लेकिन जैसे मेरी बारी आयी और उन्होंने फिर से मोबाइल में चेक किया तो मेरा नाम और एप्वाइमेंट तो था लेकिन कहा गया कि आपका आज का स्लॉट तो है लेकिन आप ऐप में ऐड नहीं।


कहा गया कि कुछ देर और इंतज़ार कर लो शायद ऐड हो जाए, लेकिन वो थोड़ी देर आया ही नहीं। फिर स्टॉफ के पास गया तो उन्होंने कहा कि हेड से बात करिए और जब हेड से बता की तो उन्होंने बताया कि आप का स्लॉट तो मिल गया लेकिन आज आपको वैक्सीन नहीं लग पाएगी किसी और दिन का देख लीजिए।

इस तरह कई घंटे इंतजार करने के बाद वैक्सीन नहीं लग पाई। पिछले कई महीनों के बाद मैं पहली बार इतने लोगों के साथ भीड़ का हिस्सा बना वो अलग से थे। वहां पर लोग सुनने को तैयार ही नहीं थे, किसी काम मास्क टुड्डी पर अटका था तो किसी का गले पर लटका, वैक्सीन लगवाने तो आए थे, लेकिन लग नहीं रहा था कि किसी कोरोना का कोई डर था। कोई सुनने को तैयार ही नहीं था, सीएचसी स्टाफ तो जैसे उनके लिए कुछ हो ही न।

इतने घंटे बर्बाद करने के बाद किसे दोष दिया जाए, आरोग्य सेतु ऐप को, सीएचसी को या फिर खुद को। गाँवों में वैसे भी लोग वैक्सीन नहीं लगाना चाहते, जो लगवाने जा रहे हैं, उनका ये हाल हो रहा। अब मैं खुद भुक्तभोगी हूं तो पता है।

अभी आगे किसी दिन के एप्वाइमेंट के प्रयास में हूं, शायद आने वाले दिनों में वैक्सीन लग जाए, नहीं तो फिर ऐसे कुछ घंटे बर्बाद करके घर वापस आ जाऊंगा।

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