महामारी में मतदान: वोट देने का नया एहसास, चेहरे पर मास्क और जेब में सैनिटाइजर

तमिलनाडु के कोयंबटूर में सिंगनल्लूर विधानसभा क्षेत्र में मौजूद नीम के ये बड़े और विशाल पेड़ शांति का एहसास दिलाते हैं और मंगलवार को लोग अपने बहुमूल्य वोट डालने के लिए यहां जुटे। हालांकि इस बार यहां चाय वाले की कमी जरूर खली।

Pankaja SrinivasanPankaja Srinivasan   7 April 2021 1:15 PM GMT

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महामारी में मतदान: वोट देने का नया एहसास, चेहरे पर मास्क और जेब में सैनिटाइजरलॉकडाउन की वजह से मतदान केंद्रों पर लोग आये तो लेकिन उनके चेहरों पर मास्क थे। (सभी तस्वीरें पंकजा श्रीनिवासन)

कोयंबटूर (तमिलनाडु)। एक विशाल नीम के पेड़ के नीचे मास्क से अपने नाक और मुंह को ढके हुए अप्रैल की एक सुबह मैं भी मतदान करने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रही थी।

2019 के आम चुनाव में भी मैंने यहां अपने पति के साथ वोट डाला था। सुबह की सैर के बाद हम सीधे यहां आ गए थे। तब एक चाय वाले ने चाय बेचकर जबरदस्त कमाई की थी, जब हम वोट डालने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। चाय की मीठी चुस्कियों के साथ हम चर्चा कर रहे थे कि कौन जीतेगा और क्यों।

इस बार हालात अलग हैं। मुंह पर मास्क है और जेब में सैनिटाइजर। साथ ही इस बात का दुख है कि इस बार सुबह कोई चाय वाला यहां नहीं दिखा। हमारा मतदान केंद्र राजधानी चेन्नै से 506 किमी दूर कोयंबटूर के सिंगनलूर निर्वाचन क्षेत्र स्थित उपपिपिलालयम में एक शांत सड़क में मौजूद सरकारी स्कूल में है। बेशक स्कूल में कोई बच्चा नहीं है, लेकिन बेंच चुनाव ड्यूटी में लगे उनके टीचर इस्तेमाल कर रहे हैं। 6 अप्रैल की सुबह 7 बजे का वक्त है और यहां मौजूद नीम के दो पेड़ों की शाखाएं बिल्कुल छत की तरह महसूस हो रही हैं, साथ ही वातावरण बेहद ही साफ और स्वच्छ है।

कोयंबटूर के सिंगनलूर निर्वाचन क्षेत्र के मतदान केंद्र पर मतदान डालने के लिए खड़े मतदाता।

यह पहली बार है कि कोयंबटूर के लोग एक महामारी के दौरान मतदान कर रहे हैं और पहली बार सुपरस्टार कमल हासन साउथ कोयंबटूर से चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले लोगों ने उन्हें पॉश इलाकों और फाइव स्टार होटल में ही देखा था। सोशल मीडिया पर यह खबर चर्चा में थी कि वह अपनी बेटियों श्रुति और अक्षरा के साथ चेन्नै में अपना वोट कैसे डालेंगे। फरवरी 2018 में बनी कमल हासन की पार्टी मक्कल निधि मय्यम का चुनाव चिह्न बैटरी टॉर्च है।

16वीं विधानसभा के लिए हो रहे चुनाव के लिए राज्य की 234 विधानसभा सीटों में से एक इस सीट में लगभग 63 मिलियन मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। तमिलनाडु के मुख्य निर्वाचन अधिकारी सत्यब्रत साहू के कार्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार पिछले चुनावों में 67,000 की तुलना में इस साल 88,937 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।

कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए होमगार्ड, पूर्व सेवा कर्मी और राज्य के पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि 80 वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं को 104252 डाक मतपत्र भेजे गए हैं और राज्य भर में दिव्यांगों को 28531 डाक मतपत्र जारी किए गए थे । इसके अलावा भारत निर्वाचन आयोग के सहयोग से उबर ने भी 80 वर्ष से अधिक आयु के लोगों और विकलांगों के लिए रियायती दर पर उनके मतदान केंद्रों तक पहुंचने और वहां से लौटने की सुविधा की पेशकश की है।

हमें किसे वोट देना चाहिए ? प्रत्याशी और उनके चुनाव चिह्न हर जगह पोस्टरों पर हैं और मैं समझ सकता हूं कि प्रतीकों का क्या महत्व है। एक किसान दो लंबे गन्नों के साथ खड़ा दिखा। ये "नाम तमिलर पार्टी" का चुनाव चिह्न है, जिसने 2019 के लोकसभा चुनावों में पुरुषों और महिलाओं को बराबर सीटें दी थीं और इस बार भी।

मतदान केंद्रों पर प्रत्याशियों के नाम और उनके चुनाव चिन्ह।

हमारी मतदाता पर्ची के मुताबिक दक्षिण की तरफ मौजूद तीसरे नंबर की कक्षा में हमें मतदान करना है। मेरे पति, जो कि ऐसे कामों में अच्छे हैं आकाश की तरफ देखते हैं कि सूरज किक तरफ से आ रहा है और इसके बाद सही कक्षा की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि वह है हमारा कमरा। मैंने जब एक वर्दीधारी पुलिस वाले से पूछा तो उसने भी उसी ओर इशारा किया और इसके बाद मैं महिलाओं की लाइन में खड़ी रही।

मतदान केंद्र में ज्यादातर बुजुर्ग सुबह के वक्त ही वोट डालने आ गए थे। इससे पहले कोविड व़ॉलिंटियर्स लाइन मे लगने वाले हर व्यक्ति का तापमान नापते हैं और उन्हें एक-दूसरे से दूरी बनाए रखने के लिए कहते हैं। साथ ही सैनिटाइजर और दस्ताने भी देते हैं।

मेरे आगे खड़ी महिला का वोटर कार्ड जमीन पर गिर जाता है। मैं उसके कंधे पर हाथ मारकर बताती हूं कि उसका कार्ड जमीन पर गिरा है। वह उसे उठा लेती है, लेकिन मुझे नहीं मालूम अगर वो मुस्कुरा रही है क्योंकि हम सब के चेहरे पर मास्क है। नीम रिच स्कूल की सभी कक्षाओं के बाहर वोटरों की लाइन लगी है।

मतदान के लिए लाइन में लगे मतदाता।

मैं अपना वोट डालने के लिए कक्षा के अंदर कदम रखती हूं । एक महिला मेरे मतदाता पहचान पत्र की जांच करती है। कुछ नोट कर मुझे हस्ताक्षर करने के लिए कहती है । वह मेरा नाम और सीरियल नंबर बोलती है, जिसे उनके पीछे बैठे हुए एक सज्जन नोट करते हैं । मैं अगले डेस्क पर जाती हूं, जहां मुझे अपनी उंगली पर स्याही लगवाने के लिए निर्देश दिया जाता है । स्याही लगने के बाद और मैं ईवीएम में बटन दबाकर अपना वोट देती हूं। साथ ही वीवीपैट ( वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) पर अपना वोट सत्यापित कर वहां से बाहर आ जाती हूं।

बाहर आकर मैं जमीन पर बिखरे हुए कुछ नीम के फूल उठाती हूं, जो अगले सप्ताह तमिल नववर्ष के अवसर पर बनने वाले वर्षा पोरप्पू या पुथु में डाले जाते हैं। ये कुछ मीठे, खट्टे और कड़वे होते हैं। बिल्कुल चुनावों के नतीजों की तरह। हालांकि ये नतीजे 2 मई की शाम तक आएंगे।

मतदान के दिन विशेष अनुभव होता है। भारत के लोकतंत्र में यह एक ऐसा मौका हैं, जब हर क्षेत्र के लोग चाहे वो अमीर हों या गरीब, मतदान केंद्रों पर वोट डालने के लिए पहुंचते हैं । हर बार जब हम अपना वोट डालते हैं तो भारत जीतता है।

इस रिपोर्टर डायरी को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें-

अनुवाद- आनंद सोनी

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