पुलिस अधिकारी ने गरीब की घायल बेटी के इलाज के लिए दे दिया अपना एटीएम, सोशल मीडिया में हो रही सराहना

सडक हादसे में घायल हो गई थीं एक गांव की दो बच्चियां, पुलिस विभाग के सीओ ने परिजनों को दिया था एटीएम कार्ड, इलाज में आया करीब एक लाख का खर्च

Ashwani Kumar DwivediAshwani Kumar Dwivedi   12 Oct 2018 7:28 AM GMT

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पुलिस अधिकारी ने गरीब की घायल बेटी के इलाज के लिए दे दिया अपना एटीएम, सोशल मीडिया में हो रही सराहनाघायल बच्ची का हाल पूछते क्षेत्राधिकारी त्रिपुरारी पाण्डेय

चंदौली। "एक्सीडेंट में मेरी दोनों लड़कियों को बहुत चोट आई थी। पुलिसवालों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया था, हमारे पास दवा खरीदने के भी पैसे नहीं थे, उस वक्त समझ नहीं आ रहा था क्या करें, लेकिन पुलिस के बड़े साहब (सीओ) ने बहुत मदद की। ये पुलिस की ही देन है कि हमारी बच्चियां जिंदा हैं।" चंदौली जिले के सकलडीहा क्षेत्र के गाँव नरैना की रीता बताती हैं।

उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के नरैना गांव श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन जयराय की छह साल की बेटी और अंतिमा और उन्हीं के परिवार की एक बच्ची अंजना (५वर्ष) शौच के लिए निकली थीं। इसी दौरान सड़क पर एक बाइक सवार ने उन्हें टक्कर मारी और भाग गया। हादसे में दोनों बच्चियां काफी जख्मी हो गई थीं। घटना की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों को अस्पताल पहुंचाया। अंतिमा के चाचा सियाराम ने गांव कनेक्शन को बताया कि अंतिमा का अमाशय फट गया था, जबकि अंजना भी काफी जख्मीी थी। जिला अस्पताल से दोनों को बीएचयू रेफर किया गया था।

गौर किया जाए तो पुलिस का काम यहां से खत्म होता था, वो मामला दर्ज कर फरार बाइक सवार की तलाश करती या अज्ञात में मामला दर्ज कर फाइल को आगे बढ़ाती। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। क्योंकि जयराम के परिवार की हालत इतनी दयनीय थी कि वो अपनी बच्ची के लिए दवाइंयां खरीद पाते। सियाराम के मुताबिक बीएचयू के डॉक्टरों ने जब दवाइयों का पर्चा पकड़ाया तो हमारी जेब में मुश्किल से १००-१५० रुपए होंगे। लेकिन तभी सकलडीहां के क्षेत्राधिकारी त्रिपुपारी पांडेय बच्चियों के देखने पहुंचे। हमारी परेशानी सुनकर उन्होंने अनपा एटीएम कार्ड दे दिया और कहा जो पैसे खर्चं हो, इलाज करा लो।"

सियाराम के मुताबिक दोनों बच्चियों के इलाज में करीब एक लाख १२ हजार रुपए खर्च हुए। पिछले हफ्ते दोनों बच्चियां घर वापस आ गईं। सियाराम करते हैं, हमारी बच्चियां जिंदा हैं तो बड़े साहब की देन हैं, उनका अहसान जिंदगी भर नहीं भूलेंगे।" पुलिस क्षेत्राधिकारी त्रिपुरारी पांडेय घर पर इन बच्चियों को देखने जाते हैँ।

दो बच्चियों की जान बचाने वाले इस पुलिस अधिकारी सोशल मीडिया में लोग तारीफ कर रहे हैं। पिछले कई दिनों से बच्चियों के साथ उनकी एक फोटो वायरल हो रही है। जिसमें वो गांव में चारपाई पर लेटी बच्ची से मिलने पहुंचे थे। लोगों का कहना है काश ऐसा अधिकारी उनके जिले में हो। कुछ लोगों ने व्हाट्सअप पर लिखा काश सभी पुलिसवाले ऐसे होते।

पुलिस की वर्दी के भीतर भी तो इंसान होता है-सीओ


बच्चियों के इलाज में एक लाख से ज्यादा रुपए खर्च करने वाले सीओ सकलडीहा त्रिपुपारी पांडे ने गांव कनेक्शन से बातचीत में कहा, "पुलिस की वर्दी के भीतर भी तो इंसान ही है और इसी समाज का हिस्सा है। मुझे पता चला कि बच्चियां का परिवार इतना गरीब है तो मदद की कोशिश की। मुझसे जो हो सका है मैने किया। ये मेरी ड्यूटी भी है।" अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए वो कहते हैं, हमारे भी परिवार हैं, मैने खुद तकलीफों को नजदीक से देखा है। दोनों लड़कियां स्वस्थ हैं और अपने घर लौट आई हैं ये मेरे लिए संतोष की बात है।"

नाबालिग लड़की की बचा चुके हैं जान

क्षेत्राधिकारी सकलडीहा त्रिपुरारी पाण्डेय इससे पहले भी एक नाबालिक लड़की की जान बचा चुके है। बीते माह एक प्रेमी युगल ने जहर खाकर आत्महत्या का प्रयास का किया, जिसमें युवक की मौत हो गयी थी, जबकि घर से भागी नाबालिक युवती के घर वालों ने युवती को देखने आने से मना कर दिया। त्रिपुरारी पाण्डेय ने उस नाबालिक लड़की का अपने खर्चे पर न केवल इलाज कराया बल्कि ठीक होने के बाद उस युवती के परिवारी जनों को भी बुलाकर समझाया भी था।

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