कई जिलों में तूफान की आशंका, किसान न करें फसलों की सिंचाई-कटाई

गाँव कनेक्शन | Apr 05, 2019, 14:48 IST

मौसम विभाग ने पांच से सात अप्रैल के बीच उत्तर प्रदेश राज्य के कई जिलों में आंधी-तूफान आने की चेतावनी जारी की है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान में कमज़ोर विक्षोभ बनने से पैदा हुए ऐसे हालात।

लखनऊ। मौसम विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पांच से सात अप्रैल के बीच धूल भरे तूफान, तेज़ हवा चलने और बिजली गिरने के साथ आंधी तूफान आने की संभावना है। विभाग ने इन जिलों में तूफान आने की संभावना जताई है-

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मौसम विभाग की तरफ से जारी चेतावनी।

भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले मौसम विभाग, लखनऊ ने ये चेतावनी जारी की और बताया कि पूर्व अफगानिस्तान और आस-पास के इलाकों में समुद्र स्तर से 3.1 किलोमीटर ऊपर चक्रवाती परिसंचरण (cyclonic circulation) के रूप में कमज़ोर पश्चिमी विक्षोभ (Feeble western disturbance) पाया गया है। साथी ही पश्चिमी राजस्थान और पाकिस्तान को जोड़ने वाली बॉर्डर पर भी समुद्र स्तर से 0.9 किलोमीटर ऊपर इस तरह के हालत बने हुए हैं।

इन हालातों का असर पूर्व राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश राज्य के उत्तरी इलाके में देखने को मिलेगा।

समाचार एजेन्सी भाषा के मुताबिक, आईएमडी के क्षेत्रीय मौसम वैज्ञानिक केंद्र के प्रमुख बी. पी. यादव ने बताया कि पूर्वी अफगानिस्तान और उससे जुड़े पाकिस्तान पर कमजोर पश्चिमी विक्षोभ बनने और राजस्थान पर चक्रवाती परिसंचरण के कारण गरज के साथ छीटें पड़ने और धूल भरी आंधी चलने की संभावना है। उन्होंने कहा,"हिंद-गांगेय मैदानी हिस्से पर पूर्वी हवाओं के कारण बंगाल की खाड़ी की ओर से आ रही नमी के कारण आर्द्रता भी बढ़ सकती है। इसका प्रभाव छह अप्रैल तक रहेगा और शनिवार से अधिकतम तापमान गिर सकता है।"

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मौसम विभाग की ओर से जारी चेतावनी की प्रेस विज्ञप्ति।

कानपुर के चन्द्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विभाग में कार्यरत प्रोफेसर विजय दुबे किसानों को इस समय सिंचाई और कटाई न करने की सलाह देते हैं। प्रोफेसर दुबे कहते हैं-

"आज रात में या कल चक्रवात आने की संभावना है। जिस भी क्षेत्र में कम दबाव का स्थिति पैदा होगी वहां इसके आने की शंका अधिक है। दक्षिणी-पश्चिमी या उत्तरी-पश्चिमी हवाएं चल रही हैं। इस कारण से दिन और रात के तापमान में तब्दीली हुई है। किसानों को 8 अप्रैल 2019 तक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है," - विजय दूबे आगे बताते हैं।

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