सातवीं पास युवक ने बनाई हवा में उड़ने वाली मशीन, कहा- Army के बड़े काम आ सकती है ये पैरोमीटर
Ankit Chauhan | Aug 08, 2019, 11:09 IST
ओवेश कहते हैं, "सेना के जवानों को पेट्रोलिंग में काफी दिकक्तें आती हैं। लेकिन मेरी इस मशीन से उन्हें बार्डर इलाकों से लेकर समुद्र तक की निगरानी में आसानी हो सकती है।'
मोडासा (गुजरात)। गुजरात के एक गांव में रहने वाले सातवीं पास एक युवक ने उड़ने वाली मशीन तैयार की है। ओवेश डोडिया की बनाई पैरा फ्लाइंग मशीन आसमान में करीब 3 घंटे तक उड़ सकती है। ओवेश चाहते हैं उनकी मशीन के जरिए गरीब लोग भी आसमान में उड़ने का सपना पूरा कर सकें।
ओवेश की माने तो ये मशीन सेना और सुरक्षा बलों के बहुत काम आ सकती है।ओवेश कहते हैं, "सेना के जवानों को पेट्रोलिंग में काफी दिकक्तें आती हैं। लेकिन मेरी इस मशीन से उन्हें बार्डर इलाकों से लेकर समुद्र तक की निगरानी में आसानी हो सकती है।'
ओवेश के मुताबिक भारत में अभी कोई कंपनी पैरामोटर नहीं बनाती हैं। वो एक ऐसी कंपनी शुरु करना चाहते हैं, जहां मेक इन इंडिया और मेक इन गुजरात नाम से पैरा मोटर का निर्माण हो।
गुजरात की राजधानी अहमदाबाद से 107 किलोमीटर दूर मोडासा जिले के मानगढ गांव के रहने वाले ओवेश डोडिया सिर्फ सातवीं तक ही स्कूल जा पाए हैं। किसी वजह से उनकी पढ़ाई छूट गई लेकिन हवा में उड़ने का उनका सपना साथ रहा। वो मशीनों से कुछ न कुछ करते रहते थे।
"हर किसी का सपना होता है कि वह एक दिन हवाई जहाज में सफर करेगा, लेकिन सभी आर्थिक तौर पर उतने मजबूत नहीं होते कि इस सपने को पूरा कर सकें। बचपन से ही हवाई जहाज में घूमने की बात मेरे दिमाग में बैठ गई थी। अपने और अपने जैसे लोगों के इसी सपने को पूरा करने के लिए मैंने फ्लाइंग मशीन बना दी।" अपनी मशीन को दिखाते हुए ओवेश कहते हैं।
हवा में उड़ने वाली इस मशीन को बनाने के लिए ओवेश को जमीन पर काफी मशक्कत करनी पड़ी। पांच साल पहले उन्होंने अपने मशीन का पहला मॉडल तैयार किया, उसमें बाइक का इंजन लगा था लेकिन बात नहीं बनी। वो थोड़े मायूस भी होने लगे थे इसी बीच उनकी मुलाकत अपने गांव के पास बने एक इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रबंधन से हुई। ओवेश का बात और मॉडल तत्व इंजीनियरिंग कॉलेज के मैंनेजमेंट ने न सिर्फ समझी बल्कि उन्हें पूरी मदद का भरोसा दिया। कॉलेज के एयरोडायॉमिक और एयरोनॉटिक विभाग के छात्र चंद्रवीर सिंह का उन्हें साथ मिला।
ओवेश बताते हैं, इंजीनियर कॉलेज के प्रबंधन और कॉलेज के छात्रों की मदद से ही मेरा सपना पूरा हुआ।"
ओवेश डोडिया अपनी बनाई मशीन का जब ट्रायल किया तो तत्व इंजीनियरिंग कॉलेज के मैदान सैकड़ों छात्र और आसपास के ग्रामीण पहुंचे थे। उन लोगों को इस बात की खुशी थी कि उनके क्षेत्र का युवक प्रदेश का नाम रोशन कर रहा है।
ओवेश डोडिया के पास तीन फ्लाइंग मशीन हैं। उनके पास सिंगल और डबल सिटर मशीन है। फ्लाइंग मशीन के बारे में वो कहते हैं, कहते हैं कि मशीन को बनाने के दौरान कुल 15 लाख रूपये का खर्च आया। इस मशीन में 12 लीटर का ईधन टैंक है। पूरे 12 लीटर के ईधन से इस मशीन से तकरीबन तीन घंटे की लगातार उड़ान भरी जा सकती है।
तत्व इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक जयदत्त सिंह पुवार कहते हैं, "यह एक ट्रायल मॉडल है। इस मॉडल को तकनीकी तौर पर हम अभी अपग्रेड कर रहे हैं। ओवेश डोडिया और हमारे कॉलेज के छात्र चंद्रवीर सिंह दोनों मिलकर इस प्रोजेक्ट पर एक टीम के तौर पर काम कर रहे हैं। कॉलेज की पूरी टीम उन्हें इसपर गाइड भी कर रही। जरूरत पड़ने पर बाहर से भी एयरोडयनेमिक और एयरोनॉटिक्स एक्सपर्टस की भी मदद लेंगे।"
उन्होंने कहा कि हम मशीन को इस तरह से डिजाइन करना चाहते हैं कि वह किसी भी मौसम में उड़ सके, सुरक्षित रहे और ज्यादा से ज्यादा भार सह सके। इसके लिए हम इंजन के बैलेंसिंग और सेफ्टी की क्षमता बढ़ाकर इसे विश्व स्तर की फ्लाइंग मशीन बनाना चाहते हैं।
इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले चंद्रवीर सिंह बताते हैं कि इस मॉडल से आर्थिक रूप से कमजोर होने वाले लोगों के सपने भी पूरे होंगे जो हवाई सफर की ख्वाहिश रखते हैं। यह मशीन उन जैसे लोगों को कम पैसे में ही हवाई सफर का एहसास देगा।
ओवेश की माने तो ये मशीन सेना और सुरक्षा बलों के बहुत काम आ सकती है।ओवेश कहते हैं, "सेना के जवानों को पेट्रोलिंग में काफी दिकक्तें आती हैं। लेकिन मेरी इस मशीन से उन्हें बार्डर इलाकों से लेकर समुद्र तक की निगरानी में आसानी हो सकती है।'
ओवेश के मुताबिक भारत में अभी कोई कंपनी पैरामोटर नहीं बनाती हैं। वो एक ऐसी कंपनी शुरु करना चाहते हैं, जहां मेक इन इंडिया और मेक इन गुजरात नाम से पैरा मोटर का निर्माण हो।
गुजरात की राजधानी अहमदाबाद से 107 किलोमीटर दूर मोडासा जिले के मानगढ गांव के रहने वाले ओवेश डोडिया सिर्फ सातवीं तक ही स्कूल जा पाए हैं। किसी वजह से उनकी पढ़ाई छूट गई लेकिन हवा में उड़ने का उनका सपना साथ रहा। वो मशीनों से कुछ न कुछ करते रहते थे।
"हर किसी का सपना होता है कि वह एक दिन हवाई जहाज में सफर करेगा, लेकिन सभी आर्थिक तौर पर उतने मजबूत नहीं होते कि इस सपने को पूरा कर सकें। बचपन से ही हवाई जहाज में घूमने की बात मेरे दिमाग में बैठ गई थी। अपने और अपने जैसे लोगों के इसी सपने को पूरा करने के लिए मैंने फ्लाइंग मशीन बना दी।" अपनी मशीन को दिखाते हुए ओवेश कहते हैं।
तत्व इंजीनियरिंग कॉलेज प्रबंधन ने की मदद
ओवेश बताते हैं, इंजीनियर कॉलेज के प्रबंधन और कॉलेज के छात्रों की मदद से ही मेरा सपना पूरा हुआ।"
ओवेश डोडिया अपनी बनाई मशीन का जब ट्रायल किया तो तत्व इंजीनियरिंग कॉलेज के मैदान सैकड़ों छात्र और आसपास के ग्रामीण पहुंचे थे। उन लोगों को इस बात की खुशी थी कि उनके क्षेत्र का युवक प्रदेश का नाम रोशन कर रहा है।
ओवेश डोडिया के पास तीन फ्लाइंग मशीन हैं। उनके पास सिंगल और डबल सिटर मशीन है। फ्लाइंग मशीन के बारे में वो कहते हैं, कहते हैं कि मशीन को बनाने के दौरान कुल 15 लाख रूपये का खर्च आया। इस मशीन में 12 लीटर का ईधन टैंक है। पूरे 12 लीटर के ईधन से इस मशीन से तकरीबन तीन घंटे की लगातार उड़ान भरी जा सकती है।
अभी इस मॉडल को करेंगे और अपग्रेड
उन्होंने कहा कि हम मशीन को इस तरह से डिजाइन करना चाहते हैं कि वह किसी भी मौसम में उड़ सके, सुरक्षित रहे और ज्यादा से ज्यादा भार सह सके। इसके लिए हम इंजन के बैलेंसिंग और सेफ्टी की क्षमता बढ़ाकर इसे विश्व स्तर की फ्लाइंग मशीन बनाना चाहते हैं।
इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले चंद्रवीर सिंह बताते हैं कि इस मॉडल से आर्थिक रूप से कमजोर होने वाले लोगों के सपने भी पूरे होंगे जो हवाई सफर की ख्वाहिश रखते हैं। यह मशीन उन जैसे लोगों को कम पैसे में ही हवाई सफर का एहसास देगा।