अमर सिंह चमकीला, जो एक वक़्त पंजाबी गायिकी की दुनिया का सबसे बड़ा सितारा था और जिसकी चमक ही शायद उसकी मौत का कारण बन गयी; ये बात दु:खद है लेकिन चकीला का दुनिया से जाना सच है।
ये नाम इन दिनों फिर से सुर्खियों में है; वजह है इनपर बनी एक फिल्म।
अमर सिंह चमकीला पंजाब के वो गायक हैं जिसने अपनी आवाज़ और लिरिक्स से लोगों के दिलो पर एक छत्र राज किया। अपने करियर के शिखर पर उनकी दीवानगी लोगों पर इस कदर थी कि साल के 365 दिनों में 366 शो कर दिए थे। उनके अधिकतर गाने गाँव की जीवनशैली से प्रभावित या आधारित थे जहाँ उन्होंने अपना ज़्यादातर समय गुजारा था।
आवाज़ में बुलंदी इतनी की उनके दौर में बाकी लोगों को काम मिलना बंद हो गया; जहाँ भी देखो बस चमकीला की चमक ही दिखाई देती थी। लेकिन अपने गानों की बनावट और लिखावट के लिए अमर सिंह चमकीला हमेशा विवादों में रहे।
अपने गानों से धर्म पर टिप्पणी, औरतों, शराब, नशा, घरेलू हिंसा; उनकी कलम ने सब पर लिखा और उनके गले ने ये सब कुछ गाया भी। लेकिन विवादों के बीच भी उनकी एक अपनी फैन फॉलोइंग थी। पंजाब में 80 का दशक उनका दशक था, कुछ लोग ऐसे भी थे जो उस दौर में छुप छुप कर उनके गाने सुना करते थे फिर चाहें वो आदमी हो या औरत।
धन्नी राम उर्फ़ चमकीला का जन्म 21 जुलाई 1960 में पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ से 109 किलोमीटर दूर लुधियाना के पास दुगरी गाँव में दलित सिख परिवार में हुआ था। चमकीला शुरू से गायक नहीं बनना चाहते थे; उनको तो इलेक्ट्रीशियन बनना था, लेकिन ये सपना उनका पूरा न हुआ और पैसे की तंगी के कारण चमकीला ने एक कपड़े की फैक्ट्री में काम शुरू कर दिया।
गाने का पैदाइशी हुनर लेकर पैदा होने वाले धन्नी राम ने अपने आप हारमोनियम, ढोलक और तुंगी बजाना सीख लिया। 1978 की एक सुबह अपने दोस्त के साथ साइकिल पर चमकीला पंजाब के मशहूर सिंगर सुरिंदर शिंदे के पास पहुँच गए जहाँ चमकीला ने अपना गाना उन्हें सुनाया; जिससे खुश होकर उन्होंने चमकीला को अपने साथ रख लिया, जिसके बाद चमकीला ने उनके लिए बहुत से गाने लिखे।
लेकिन समय के साथ चमकीला को लगने लगा की उनको कम पैसे दिए जा रहे हैं और उन्हें अकेले कुछ करना चाहिए। फिर क्या शुरू हो गया अमर सिंह चमकीला का जादू। लेकिन इस दौरान उन्होंने कई लोगों के साथ गाया; फिर जाकर उन्हें मिला अपना परमानेंट स्टेज पार्टनर अमरजोत कौर जो उनकी पत्नी भी थी। दोनों की जोड़ी ने खूब नाम कमाया और बहुत से लाइव शोज किये जिन्हें लोगों ने खूब प्यार दिया।
अमर सिंह चमकीला की कामयाबी का एक कारण ये भी था की उन्हें गाँव की महफिलों में जाना और वहाँ गाना बहुत पसंद था। गाँव में उनके लिए स्टेज तैयार किया जाता था; जिसे कुर्सी मिल गयी वो बैठ गाया और जिसे नहीं मिली वो ज़मीन पर बैठ गाया तो कोई घर की छतों पर बैठ कर उनको सुनता।
चमकीला का समाँ बांधने का अंदाज़ भी सबसे निराला था; कभी स्टेज पर अपनी पत्नी से चुटकी लेते तो कभी बगल में बैठे किसी लड़के से मौज ले लेते। लोगों को भी उनका ये अंदाज़ बहुत पसंद आता था तो कभी भीड़ में बैठा कोई शराबी मिल गाया तो लड़ाई भी हो जाया करती थी।
लेकिन 8 March 1988 की दोपहर को चमकीला अपना शो नहीं कर पाए। पंजाब के जालंधर के गाँव मेहसामपुर में जब स्टेज पर पहुंचने वाले थे तभी कुछ बाइक पर आये लोगों ने गोली मार कर उनकी और उनकी पत्नी अमरजोत कौर की हत्या कर दी। हत्या का कारण आज तक नहीं पता चल पाया है।
लोगों के पास बस कहानियाँ है, कुछ लोगों का कहना है की उनकी हत्या का कारण उग्रवादियों की उनसे नाराज़गी थी; क्योंकि चमकीला अपने गानों से धार्मिक टिप्पणियाँ करतें थे। तो कुछ का कहना है की अमरजोत के परिवार ने उन्हें मरवाया; क्योंकि चमकीला दलित थे और उनकी पत्नी ऊँची जाति की थी। तो कुछ का मानना है की उनके प्रतिद्वंदियों ने उन्हें मरवा दिया क्योंकि वो उनकी कामयाबी से जलते थे और चमकीला का वजह से उनके प्रसिद्धि कम होने लगी थी।