देश की असली तस्वीर दिखाने के लिए गाँव पर फिल्में बनानी होंगी

गाँव कनेक्शन | Jun 11, 2019, 08:39 IST
#bollywood
लखनऊ। आदित्य ओम साउथ के जाने माने अभिनेता और निर्देशक हैं। दक्षिण भारत की कई फिल्मों के साथ ही उन्होंने लीक से हटकर कई फिल्में भी की हैं। उनकी अगली फिल्म 'मास्साहब' भी कुछ ऐसी है।

मास्साहब के संबंध में गांव कनेक्शन से बात करते हुए आदित्य बताते हैं, "मास्साब प्राथमिक शिक्षा पर आधारित फिल्म है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को लेकर क्या माहौल है, वहां शिक्षा को लेकर किस तरह की समस्याएं हैं, शिक्षा को लेकर किस तरह की चुनौतियां आती हैं इसको इस फिल्म में रियल लोकेशन पर, लोकल कलाकारों के साथ दिखाने की कोशिश की गई है। मास्साहब पिछले 2 सालों से इंटरनेशनल फिल्म सर्किट में घूम रही है। 30-32 देशों में इस फिल्म को पुरस्कार भी मिल चुका है। भारत में इस फिल्म को आने वाले 2 से तीन महीने में रिलीज होने की संभावना है।"

मास्साहब फिल्म की पृष्ठभूमि बुंदेलखंड ही क्यों? पूछने पर आदित्य ओम कहते हैं कि इस फिल्म के लिए उन्होंने कई सारी जगहें देखी, जब वह बुंदेलखंड पहुंचे तो, उन्होंने पाया कि बुंदेलखंड का समाजिक वातावरण और परिस्थितियां इस फिल्म के लिए बिल्कुल माकूल दिखाई पड़ती हैं। वह कहते हैं कि "मैंने पाया कि बुंदेलखंड की परिस्थितियों के हिसाब से हम उन चुनौतियों को ज्यादा अच्छे ढंग से दिखा सकते हैं, जो हम दिखाना चाह रहे हैं।

RDESController-406
RDESController-406


फिल्म की शूटिंग करते समय अनेक दिक्कतें आती हैं, इस बारे में पूछने पर आदित्य ओम ने बताया कि जब वो फिल्म की शूटिंग कर रहे थे तो उसी समय नोटबंदी हो गई थी। बुंदेलखंड में एटीएम दूर दूर तक नहीं थे। ग्रामीण बैंक थे तो लंबी लंबी लाइन लगी रहती थी। पैसे हम लोगों में से किसी के पास थे नहीं । उस समय अगर लोकल ग्रामीण हमें समर्थन नहीं देते, तो यह फिल्म बनाना संभव ही नहीं था। ग्रामीणों ने हमें इतना सपोर्ट किया कि जब शूटिंग के लिए कपड़े नहीं आ पाते थे तो वह अपने कपड़े हमें दे देते थे। अगर किसी के घर के बाहर शूटिंग कर रहे होते थे, तो अंदर से चाय आ जाती थी। कई कई बार भोजन की भी वही लोग व्यवस्था कर देते थे।

उत्तर प्रदेश से साउथ फिल्म इंडस्ट्री पहुंचने को लेकर आदित्य ओम कहते हैं कि कि "कुछ चीजें डेस्टिनी कराती है, ये एकदम अपने आप हो गया। मैं मुबंई में सीरियल्स में काम करता था, मुझे साउथ किसी डायरेक्टर ने देखा और पूछा कि हीरो बनोगे। मुबंई में मुझे कोई हीरो बना नहीं रहा था, तो मैने हां बोल दिया। मेरी पहली मूवी ही साल की सबसे बड़ी हिट हो गई। 2007-08 तक मैंने साउथ फिल्म इंडस्ट्री में बहुत काम किया। मैं कुछ दिनों के लिए मुबंई आया। यहां शूद्र नाम की फिल्म का निर्माण हो रहा था, उसमें मैंने एशोसिएट प्रोड्युसर के तौर पर ज्वाइन कर लिया। उसके बाद मैंने बंदूक नाम की फिल्म बनाई, फिर हालीवुड की एक प्रोजेक्ट डेड एंड पर काम किया। हाल में मेरी एक फिल्म आलिफ भी आई थी, फिर मैंने मास्साब बनाई। अब मैं बुंदेलखंड की पृष्ठभूमि पर मैला ढोने वाले पर एक फिल्म और फिल्म बना रहा हूं।

RDESController-407
RDESController-407


मुबंई और साउथ में काम करने के बाद भी गांव से आदित्य ओम किस तरह से जुड़ाव पाते है इसपर वो बताते हैं कि "गांव सबसे बेसिक आर्गेनिक यूनिट है, गांव से कल्चर निकलता है, गांव भाषा निकलती है, गांव से साइकालॉजी निकलती है, गांव में ही वो विषय है जिसपर कहानियां बनाई जा सकती हैं। जिनके पास पैसे हैं वो स्विटजरलैंड की कहानियां बना सकते हैं और बनाते भी हैं। अब हम जैसे लोग जो थोड़ी बहुत पढ़ाई कर लिए हैं, लिख लिए हैं उनकी जिम्मेदारी बनती हैं कि गांव की फिल्में बनाए। अगर लोग ऐसा कहते है असली हिंदुस्तान गांव में बसता है हमें गांव की कहानियां लोगों को बतानी चाहिए दिखानी चाहिए।" आभिनेता आदित्य ओम मास्साहब के बाद अगली जो तीन चार फिल्में उन्होंने प्लान की है वो सब भी गांव की पृष्ठभूमि पर आधारित है।



Tags:
  • bollywood
  • Bollywood actors
  • aditya om

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.