भारत के ऐसे प्रधानमंत्री, जो ये मानते थे कि भारत में ग्रामीण और शहरी दो अलग संसार हैं और ग्रामीण जनसमूह ही असली भारत है I आज बात कर रहे हैं चौधरी चरण सिंह की।
23 दिसंबर 1978, आज से करीब 45 साल पहले राजधानी में बोट क्लब पर कड़ाके की ठंड में किसानों के विशाल जमावड़े को देख दुनिया चौंक गयी थी।
भारत की किसान शक्ति देख कर दिल्ली के राजनीतिक गलियारे गर्माहट महसूस करने लगे थे। माना गया कि चीन के लाल मार्च के बाद यह दुनिया का सबसे बड़ा मजमा था।
चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न देश के विकास, विशेषकर कृषि और ग्रामीण विकास में उनके अतुलनीय योगदान का सम्मान है। मुझे विश्वास है कि कड़ी मेहनत और जनसेवा के लिए उनकी प्रतिबद्धता हमारी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। pic.twitter.com/b6zoreua74
— Narendra Modi (@narendramodi) March 30, 2024
किसानों का यह जमावड़ा चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन पर हुआ था। तभी से 23 दिसंबर को उनके जन्मदिन को किसान दिवस के रूप में मनाने का सिलसिला शुरू हुआ। किसान ही नहीं भारत सरकार भी 23 दिसंबर को किसान दिवस के अलावा 23 से 29 दिसंबर के बीच जय जवान जय किसान सप्ताह भी मनाती है।
चरण सिंह अपने सिद्धांतों के पक्के नेता थे उन्होंने अपने पूरे जीवन में कभी अपने उसूलों से समझौता नहीं किया ,चाहे पंडित नेहरू से मनमुटाव के बाद सन 1967 में कांग्रेस पार्टी छोड़कर अपनी नयी राजनैतिक पार्टी ‘भारतीय क्रांति दल’ की स्थापना करना हो या फिर एक साथ 27 हज़ार पटवारियों का इस्तीफा स्वीकार करना हो।
चलिए थोड़ा और पीछे चलते हैं और बात करते हैं साल 1952 की जब जब ‘जमींदारी उन्मूलन विधेयक’ पारित किया गया था। जिसके कारण उत्तर प्रदेश के पटवारी प्रदर्शन कर रहे थे और 27 हज़ार पटवारियों ने एक साथ इस्तीफा दे दिया था।
चौधरी चरण सिंह भी ज़िद्दी स्वभाव के थे उन्होंने किसानों के हितों के सामने किसी की नहीं सुनी। किसानों को पटवारी के जाल से आज़ादी दिलाने का श्रेय चरण सिंह को ही जाता है। बाद में उन्होंने ही खुद नए पटवारी नियुक्त किए, जिन्हें अब लेखपाल कहा जाता है। इसमें 18 परसेंट सीट हरिजनों के लिए रिजर्व थी।
चरण सिंह ने कभी किसानों के ऊपर किसी और चीज़ को नहीं रखा और शायद यही वजह थी कि किसानों ने भी उनका साथ कभी नहीं छोड़ा, जिसका नतीजा ये हुआ की चौधरी चरण सिंह अपने जीवन काल में कभी कोई भी चुनाव नहीं हारे।
चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर, 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर गाँव में एक किसान परिवार में हुआ था। चरण सिंह के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1937 में हुई जब कांग्रेस की तरफ से उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता भी। उन्होंने अपने जीवन काल में बहुत से महत्वपूर्ण पद संभाले, जिसमें वो दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे और 28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टी और कांग्रेस (यू) के सहयोग से प्रधानमंत्री बने।
आज हम सब जो ग्रामीण विकास बैंक ( NABARD ) देख रहे है उसकी स्थापना भी 1979 में वित्त मंत्री और उप प्रधानमंत्री के रूप में चरण सिंह ने ही की थी।