साहीवाल गायों ने दूर की अखा गाँव की तंगी, आप भी जानिए इस गाय की खासियतें

Diti BajpaiDiti Bajpai   21 Nov 2018 9:41 AM GMT

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अखा (बरेली)। राजीव कुमार सिंह (40 वर्ष) पांच गायों से रोज 50 लीटर का दूध उत्पादन करके 2500 रुपए रोज कमा रहे हैं। इससे उनके आर्थिक स्थिति में सुधार तो आया ही है, साथ ही वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा भी दिला पा रहे हैं।

बरेली जि़ला मुख्यालय से लगभग 18 किलोमीटर दूर मजगवां ब्लॉक के अखा गाँव के रहने वाले राजीव ने ही नहीं बल्कि लगभग बीस परिवारों ने दूध उत्पादन के जरिए अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार किया है। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान की तरफ किसानों की भागीदारी से साहीवाल गाय का संरक्षण और संवर्धन कार्यक्रम यहां पर चलाया गया था, जिसके अंतर्गत अखा गाँव को चुना गया। इस योजना के तहत अखा गाँव के किसानों को साहीवाल नस्ल की गाय दी गई थी।

किसानों को संस्थान द्वारा 19,346 रुपए में साहीवाल नस्ल की गाय उपलब्ध कराई गई थी। इसमें से 80 प्रतिशत अनुदान संस्थान द्वारा और 20 प्रतिशत अनुदान किसान द्वारा दिया गया था। 18 अप्रैल 2012 को बीस परिवारों को गाय उनके संरक्षण और संवर्धन के लिए दी गईं, जिससे आज गाँव में इस नस्ल के छोटी-बड़ी मिलाकर 70-80 गाय हैं। अखा गाँव में रहने वाले राजीव कुमार बताते हैं, "मेरे पास तीन साल पहले साहीवाल नस्ल की एक गाय थी और अब कुल पांच गाय हैं जिससे अच्छा उत्पादन हो रहा है। आज मेरा लड़का दिल्ली में बी.टेक की पढ़ाई कर रहा है।"

एक दिन में इन गायों में आने वाले खर्च के बारे में राजीव बताते हैं, ''इनके खाने-पीने का ज्यादा खर्च भी नहीं होता है। एक दिन में एक गाय पर 200 रुपए का खर्चा आता है जबकि उनके दूध से 400 रुपए मिल जाते है। कम खर्च में ज्यादा मुनाफा होता है और मांग भी है इनके दूध की। ''

आईवीआरआई संस्थान के इस मॉडल से अखा गाँव के लोगों की ज़िंदगियां तो बदली है, साथ ही प्रदेश से विलुप्त हो रही भारतीय गायों की नस्ल को बढ़ावा भी मिल रहा है। साहीवाल गाय की विशेषता बताते हुए इसी गाँव के निवासी देवेश कुमार (35 वर्ष) बताते हैं, ''यह ज्यादा मात्रा में दूध देती है और इसका दूध काफी गाढ़ा होता है।

सर्दी-गर्मी और बरसात सभी में यह आराम से रह लेती हैं जबकि विदेशी नस्ल की गाय ज्यादा गर्मी नहीं झेल पाती हैं। साथ ही इनको जल्दी कोई बीमारी भी नहीं होती।'' साहीवाल नस्ल की खासियत के बारे देवेश बताते हैं, ''एक भैंस को खिलाने में जितना खर्चा आता है, उतने में तीन साहीवाल गाय आराम से खा लें।'' अखा गाँव के देवेश कुमार के पास तीन गाय और एक बछड़ा है, जिससे वह रोज 30-35 लीटर का दूध उत्पादन कर रहे हैं।

दूध की मार्केटिंग के बारे में राजीव कुमार बताते हैं, ''दूध को बेचने में कोई दिक्कत नहीं होती है। इनके नाम से ही दूध आसानी से बिक जाता है। गाँव में इनके दूध की कीमत 25 रुपए है जबकि शहरों में 50 लीटर रुपए में बिक जाता है।'' इनके गर्भाधान के लिए बरेली शहर में 32 सेंटर बनाए गए हैं, जहां पर किसान गायों की ब्रीडिंग करवा सकते हैं।

 

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