सात माह बाद भी नहीं मिला रबी फसल का मुआवजा

vineet bajpaivineet bajpai   14 Nov 2015 5:30 AM GMT

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सात माह बाद भी नहीं मिला रबी फसल का मुआवजा

शाहपुर (लखनऊ)। किसानों को लगातार मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, पहले बे-मौसम बारिश और ओलावृष्टि से रबी की फसल बर्बाद हुई और फिर खरीफ में सूखे से किसानों को धान की फसल में नुकसान उठाना पड़ा। सरकार ने रबी फसल के नुकसान का मुआवजा देने का जो वादा किया था वो अभी तक किसानों तक नहीं पहुंच पाया है।

लखनऊ जि़ला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर बख़्शी का तालाब ब्लॉक के शाहपुर गाँव के श्रीपाल रावत (50 वर्ष) की ढाई एकड़ गेहूं की फसल बे-मौसम बारिश से बर्बाद हो गयी थी। लेकिन अभी तक उन्हें उसका मुआवजा नहीं मिला है। वो बताते हैं, ''लेखपाल नाम लिखकर ले गया था, कहा था कि एक-दो हफ्ते में पैसा मिल जाएगा पर अभी तक नहीं मिला।" 

श्रीपाल की फसल में करीब 25,000 रुपए का खर्च आया था, जिसमें सिर्फ 14-15 कुन्तल गेहूं निकला था, जबकि इतने में ही करीब 50 कुन्तल गेहूं निकलना चाहिए था।

''अभी एक महीने पहले लेखपाल आया था, तो उससे पूछा था मुआवजे के बारे में, तो कहा  कि चेक आ गई है, बजट नहीं आया है। इसलिए चेक नहीं बांटे जा रहे।" वो बताते हैं, ''अभी तक रबी की फसल का मुआवजा मिला नहीं है और इधर सूखे से धान की भी फसल खराब हो गयी है। अगर ऐसा ही होता रहा तो किसान कबतक खेती में नुकसान उठाएगा?"

श्रीपाल के जैसे ही इसी गाँव के और किसान कन्हैयालाल गौतम (32 वर्ष), धनराज सिंह (30 वर्ष), राजेश यादव (35 वर्ष) के साथ ही अभी तक शाहपुर के सभी किसान मुआवजे का इन्तजार कर रहे हैं। धनराज सिंह कहते हैं, ''मैंने दो बीघे में गेहूं बोया था, जिसमें सिर्फ 70 किलो गेहूं निकला था। वो भी सब खराब था, काला हो गया था। इसलिए खाने के लिए गेहूं खरीदा था।" लगातार मौसम की मार से परेशान किसानों के चेहरे पर बेबसी साफ देखी जा सकती है।

कुनौरा ग्राम पंचायत के ही लालपुर गाँव के रामधनी (35 वर्ष) बताते हैं, ''मैंने चार एकड़ में गेहूं बोया था। करीब 25 हज़ार रुपए खर्च हुए थे। लेकिन सारी फसल बर्बाद हो गयी है। हमारे गाँव में कुछ लोगों को तो चेक मिल गया है, पर बहुत से बाकी हैं। लेखपाल से जब पूछो तो वो कहते हैं अभी बजट नहीं आया है।"

ये तो सिर्फ कुनौरा ग्राम पंचायत के किसानों का नुकसान है। लेकिन पूरे भारत में केन्द्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार रबी मौसम में 3.06 करोड़ हेक्टेयर में गेहूं बोया गया था, जिसमें से 40 फीसदी रबी की फसल बे-मौसम बारिश और ओलावृष्टि से नष्ट हो गयी थी।

ये स्थिति सिर्फ एक यहीं पर नहीं है, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में ऐसे हज़ारों किसान हैं। गाँव कनेक्शन ने जब कुछ गाँवों का सर्वे किया तो पता चला कि अभी भी बहुत से ऐसे किसान हैं जिनको मुआवजे का एक रुपया नहीं मिला है।

कुनौरा-शाहपुर ग्राम पंचायत के लेखपाल विनय से जब इस बारे में बात की गयी तो इस पर उन्होंने बताया, ''बजट एक साथ नहीं आया था, धीरे-धीरे आ रहा है इसलिए सभी को चेक बाटे नहीं जा सके हैं।" बख़्शी का तालाब के तहसीलदार चद्रप्रकाश पाठक बताते हैं, ''पूरे तहसील क्षेत्र में करीब 29 करोड़ रुपए मुआवजा देना है, जिसमें से अभी तक साढ़े सात करोड़ रुपया बांटा जा चुका है। अभी एक करोड़ रुपए का बजट और आया है, जो बांटना है।" वो आगे बताते हैं, ''इस तहसील क्षेत्र में कुल 213 गाँव के किसानों को मुआवजा बांटना था, जिसमें से 96 गाँवों में मुआवजा बांटा जा चुका है।"

चन्द्र प्रकाश बताते हैं, ''प्रति हेक्टेयर 18 हज़ार रुपए मुआवजे का नियम है। अगर किसी किसान की फसल कम खराब हुई है और उसका मुआवजा 1,500 रुपए से कम है, फिर भी उसे 1,500 रुपए ही दिए जाएंगे।

शाहपुर से उत्तर दिशा में करीब पांच किमी दूर बाराबंकी जि़ले की निंदूरा ब्लॉक के सुलेमाबाद ग्राम पंचायत के कुछ किसानों को तो मुआवजा मिल गया है, कुछ बाकी हैं और कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें पता ही नहीं चला कि लेखपाल कब गाँव आया और उसने किसानों की सूची तैयार की। 

शिव नरायण सिंह (75 वर्ष) की पांच एकड़ बीघे गेहूं की फसल खराब हो गयी थी। वो बताते हैं, ''मुआवजे को कई बार लेखपाल से मिलने की कोशिश की, फोन करो तो उठाते नहीं हैं।"

लेखपाल महेश प्रसाद कहते हैं, ''लिस्ट में  कुछ किसान छूट गये थे, उनका नाम दूसरी लिस्ट में भेजा गया है। जैसे ही बजट आयेगा उनको भी चैक बांट दिये जाएंगे।"

 

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