चीन की दिवाली और भारत का दिवाला, ऐसा चाहेंगे आप?

Dr SB MisraDr SB Misra   27 Oct 2016 11:38 AM GMT

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चीन की दिवाली और भारत का दिवाला, ऐसा चाहेंगे आप?साभार: इंटरनेट 

दिवाली अपने देश में व्यापार और समृद्धि का त्योहार होता है और राम के वन से आगमन के आनन्द के अवसर की याद दिलाता है। आशा की जाती है घर में लक्ष्मी आएगी और परिवार धन-धान्य से परिपूर्ण होगा। सभी चाहते हैं कि बाहर से पैसा घर में आए लेकिन जब आप चीन से पटाखे खरीदकर चीन का व्यापार बढ़ाएंगे और अपने देश की पूंजी वहां भेजेंगे तो उनकी तो दिवाली होगी लेकिन अपना दिवाला। महिलाएं लक्ष्मी के पैर अपने घर की तरफ बनाती हैं लेकिन पुरुषों की पटाखेबाजी के कारण लक्ष्मी के पैर घर से बाहर की ओर घूम जाएंगे।

विज्ञान के जानने वालों का कहना है कि चीनी पटाखों में पोटेशियम की मात्रा अधिक होने के कारण उसका धुआं हमारे स्वास्थ्य के लिए अधिक हानिकारक है, बल्बों की लड़ी या झालर देखने में अच्छी लगती है लेकिन दीप मालिका उससे भी अच्छी लगती है। पटाखे दगाकर प्रदूषण से फेफड़े और ध्वनि से कान के पर्दों को नुकसान होगा, इसे गाँव देहात में कहते हैं पेट पीटकर दर्द पैदा करना। यदि हमारा पैसा देश के बाहर जाए तो कुछ उपयोगी सामान लाने के लिए न कि ध्वनि और वायु प्रदूषण और बीमारी लाने के लिए। वैसे पटाखे चाहे देशी हों या विदेशी उनसे दूर रह सकें तो बेहतर है लेकिन चीनी पटाखों के मामले में तो मेक इन इंडिया की बात भी नहीं है, पूरी तरह मेड इन चाइना है।

दीपावली एक अकेला त्योहार नहीं बल्कि त्योहारों का सीजन है। धनतेरस के दिन कुछ नया खरीदने के बहाने गृहस्थी जुटाने का समय होता है। अगले दिन नर्क चौदस को घर की पूरी तरह स्वच्छता और सजावट फिर दीपावली का त्योहार जो राम के वनागमन का अवसर माना जाता है। उसके अगले दिन गोवर्धन पूजा जब पशुओं को सजाया जाता है, उनके सींग रंगना, शरीर पर थापें लगाना और डिजाइन बनाना आदि। उसके भी अगले दिन भाईदूज होती है जो भाई-बहन के परस्पर सम्मान और स्नेह का त्योहार है। बहने अपने भाइयों का तिलक करती हैं उनकी दीर्घायु की कामना करती हैं और भाई उन्हें गिफ्ट देते हैं।

प्रदूषण फैलाने के मामले में गाँव के लोग कम गुनहगार हैं। वे दीपावली के शुभ अवसर पर दीपों की अवली बनाते हैं यानी दीपों को कतार में जलाना फिर दीप से दीप जले। वहां पटाखे नहीं दगते, कानफोड़ू आवाज नहीं होती फिर भी खुशियों का माहौल बनता है। घरों की खुद ही साफ सफाई, खेतों को जगाना, जानवरों को सजाना और उनका सम्मान करना, रात में घर से खर फूस के मशाल बनाकर गाँव की बला को गाँव के बाहर फूंकना यह कहकर ‘‘अलाय बलाय छू।”

हिन्दू समाज के जागरूक लोगों को दीपावली और होली के त्योहारों में जो विकृतियां आ गई हैं उसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। यदि गैर हिन्दू विरोध करेंगे तो बुरा लगेगा। इन त्योहारों में गांजा, भांग, शराब और जुआं ने माहौल बिगाड़ने का काम किया है। त्योहारों के मूलभाव को बनाए रखने की आवश्यकता है।

 

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