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शौचालय बनाने के लिए उपवास पर बैठी  

शौचालय

लखनऊ। अनौपचारिक शिक्षा के पाठ और तमाम विषय-विशेषज्ञों के व्याख्यानों को समय-समय पर स्कूली शिक्षा का हिस्सा बनाना किस हद तक सफल हो सकता है इसका सटीक उदाहरण कर्नाटक की कुमारी माधवी में देखा जा सकता है।

गुलबर्गा जिले की सेदम तहसील की एक पंचायत रिब्बानापल्ली के गाँव खंदेरयनपल्ली के निवासी मल्लेश की बिटिया कुमारी माधवी कक्षा दसवीं की छात्रा है। माधवी के स्कूल में जिला पंचायत की तरफ से केंद्र सरकार के कार्यक्रम “स्वच्छ भारत मिशन” के जनजागरण हेतु एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी उत्सुकता से स्कूली बच्चों ने भाग लिया और इसी कार्यक्रम में कुमारी माधवी भी प्रतिभागी रही।

अपने परिवेश के आस-पास साफ सफाई, स्वच्छता और पर्यावरण विषय के जागरुकता कार्यक्रम और कार्यक्रम में पधारे विषय विशेषज्ञों द्वारा दी गयी जानकारी ने माधवी को बेहद प्रभावित किया। घर पहुंचते ही माधवी में अपने घर में शौचालय निर्माण की बात उठा दी, इस विषय पर अपने माता-पिता से खुलकर संवाद किया और उन तमाम जानकारियों को भी साझा किया जिसे उसने स्कूल में उक्त कार्यक्रम के दौरान सीखी। माधवी के पिता मल्लेश और माता ने माधवी की जिद को नकार दिया। माधवी कई दिनों घर में शौचालय बनाने की बात को लेकर अपने माता-पिता से बहस करती रही।

बात नहीं बनने पर माधवी ने भोजन त्याग दिया और लगातार तीन दिनों तक अपनी ज़िद के चलते घर में खाना नहीं खाया और अपनी बात मनवाने के लिए उपवास पर बैठ गयी। बेटी की ज़िद और इस तरह के अनशन को समझते हुए पूरे तीन दिन बाद उसके माता-पिता अपने घर में शौचालय बनाने के लिए तैयार हो गए।

माधवी अचानक अपने गाँव की कई बच्चियों के लिए आदर्श बन गयी। माधवी ने घर में शौचालय बनते ही अपने अभियान को पूरे गाँव तक फैला दिया, घर-घर पहुंचकर दस्तक दी जाती और घरों में शौचालय बनाने का पाठ पढ़ाया जाता। बसावा केंद्र श्री मुरुगामठ के चित्रदुर्गा स्वामी जी ने माधवी के कार्यों से प्रभावित होकर उसे “शौर्य प्रशस्ति 2016” से सम्मानित किया। माधवी के इस कार्य को पूरे गाँव ने सराहा और लोगों ने अपने आस-पास की साफ सफाई और शौचालयों के निर्माण का कार्य शुरु करवा दिया।

माधवी भविष्य में अपने इस अभियान को लेकर क्या कुछ नया करना चाहती हैं? इस सवाल के पूछे जाने पर माधवी कहती हैं “मेरी कोशिश है कि हमारे जिले की पंचायत में कोई एक घर भी ऐसा ना हो जहाँ शौचालय के अभाव में लोग खुले में शौच को जाएं, मैं हर घर में एक शौचालय देखना चाहती हूँ”। “हमारे चारों तरफ फैली गंदगी को दूर करना और अपने स्तर पर लोगों को पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता की जानकारी देना भी मेरा एक उद्देश्य है, उम्मीद है मुझे इस कार्य में सफलता मिलेगी”।

माधवी के स्कूल के हेड मास्टर, विद्यालय के शिक्षकगण, ग्राम पंचायत के अध्यक्ष और कई अन्य संस्थाओं ने माधवी के कार्यों की खूब सराहना की। आज माधवी ने ना सिर्फ उसके गाँव खंदेरयनपल्ली में अपनी पहचान बनायी है बल्कि पूरी जिला पंचायत में माधवी की एक अलग पहचान बन चुकी है। स्कूलों में होने वाले अनौपचारिक कार्यक्रमों और संवादों का असर किस हद तक किसी एक व्यक्तिविशेष में बदलाव ला सकता है, माधवी के कार्यों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है।

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