राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ की जम्मू कश्मीर इकाई के आमंत्रण पर एक प्रतिनिधिमंडल के साथ पांच दिवसीय कश्मीर यात्रा पर था। सात नवंबर को बेमौसम बर्फबारी से किसानों को हुए नुकसान का जायज़ा लेना हमारी यात्रा का मुख्य मकसद था।
इस यात्रा के दौरान मैंने कुपवाड़ा, बारामुला और श्रीनगर जिलों के पण्डितपोरा, आदूरा, पलाहलन, कटियावाली, कुरहू, यारू समेत 25 गांवों का दौरा किया और हजारों किसानों से मुलाकात की। श्रीनगर से बाहर निकलते ही बर्फबारी से बर्बाद हुई सेब के बगीचों के मंज़र दिखने लगे।
ग्रामीण इलाकों में 85% आबादी सेब के बगीचों से होने वाली आमदनी से अपने परिवार का गुजारा चलाती है। सात नवंबर को हुई बेमौसम बर्फबारी ने सेब के किसानों की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी है। करीब 50% पेड़ टूट गए हैं और 20 से अधिक दिन बीत जाने के बावजूद कोई भी अधिकारी बर्फबारी से हुए नुकसान का मुआयना करने के लिए गाँवों में नहीं पहुंचा है।
पिछले साल का अब तक नहीं मिला मुआवजा
पिछले साल 2018 में हुई बर्फबारी से हुए नुकसान का मुआवजा अधिकतर किसानों को अब तक नहीं मिला है। एक किसान ने बताया कि पिछले साल हुए नुकसान के मुआवजे के तौर पर उन्हें 500 रुपये का चेक मिला और जब उसे बैंक में जमा कराने गए तो बैंक ने खाता खोलने के लिए 600 रुपये की फीस मांग ली।
यह भी पढ़ें : 140 रुपए प्रति किलो तक पहुंचा प्याज का भाव, जनवरी से पहले राहत की उम्मीद नहीं
सेब के एक पेड़ को पूरी तरह तैयार होने में 20 से 25 साल लगते हैं। किसानों का कहना था कि एक पेड़ को बच्चे की तरह पालना पड़ता है और उसे तैयार करने में एक पूरी पीढ़ी निकल जाती है।
पण्डितपोरा गाँव में एक किसान ने कहा कि पिछले 20 साल में उनकी फसल की लागत मूल्य लगातार बढ़ रही है लेकिन सेब की एक पेटी की कीमत आज भी उन्हें वो ही मिल रही है जो आज से 20 साल पहले मिलती थी। आदूरा गाँव के एक बुजुर्ग किसान ने कहा कि अब तो उनकी हालत ऐसी हो गयी है कि उन्हें अपने हालात पर रोना भी नहीं आता।
तब कहा एक-एक किसान से सेब खरीदेगी नेफेड
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा था कि नेफेड किसानों से 5500 करोड़ रुपये का सेब खरीदेगी। हालिया समय में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि कश्मीर में एक-एक किसान का सेब नेफेड खरीदेगी और उन्होंने नेफेड द्वारा किसानों के सेब खरीदे जाने की प्रक्रिया को पूर्ण तौर पर सफल बताया था।
जमीनी हालात का जायज़ा लेने के बाद सरकार के सभी दावे खोखले नज़र आये। मुझे अपने पूरे दौरे में एक भी ऐसा किसान नहीं मिला जिसकी सेब की पेटियां नेफेड ने खरीदी हों।
एक किसान ने बताया कि वो अपने सेब की पेटियां नेफेड को बेचने के लिए सोपोर मंडी गए थे लेकिन वहां नेफेड ने सबसे उच्च श्रेणी के 15 किलो सेबों की पेटी की कीमत 300 रुपये लगाई जो पहले व्यापारी 600 रुपये में खरीदते थे। किसानों ने बताया कि मंडियों में नेफेड से सम्बंधित अधिकारी 12 बजे के आसपास पहुंचते हैं और कुछ समय बाद वापस चले जाते हैं, उसके बाद शाम को कुछ समय आते हैं और खानापूर्ति कर के वापस चले जाते हैं।
किसानों और ड्राइवरों को मिलीं धमकियां
हालिया समय में सेब के किसानों और दूसरे राज्यों के ट्रक ड्राइवरों को आतंकियों द्वारा धमकियां दी गई और कई ट्रक ड्राइवरों की हत्या कर दी गयी जिस से बाहरी राज्यों के ट्रक ड्राइवर घाटी में सेब लेने के लिए नहीं गए। इस वजह से सेब के ट्रांसपोर्ट की कीमत दोगुने से भी अधिक हो गयी।
पहले एक पेटी सेब का कश्मीर से दिल्ली की आजादपुर मंडी तक का किराया 70 रुपये था जो अब बढ़कर 150 रुपये से भी अधिक हो गया। इसके अलावा जम्मू से कश्मीर तक का राष्ट्रीय राजमार्ग सर्दियों में अधिकतर समय बन्द रहता है जिससे कई बार सेब सड़क के किनारे खड़े ट्रकों में ही खराब हो जाता है।
यह भी पढ़ें : प्याज, टमाटर और दालें.. जिनकी कीमतें बहुत ज्यादा या कम होनें पर देश गिरी और बनीं हैं सरकारें
किसानों का कहना था कि मार्च महीने में उन्हें केसीसी का लोन चुकाना है लेकिन बेमौसम बर्फबारी से उनकी सेब की फसल खराब होने की वजह से अब वो समय पर केसीसी लोन नहीं चुका पाएंगे जिस वजह से भविष्य में बैंक अधिकारी उन्हें प्रताड़ित करेंगे।
जम्मू के ग्रामीण इलाकों में बेमौसम बारिश की वजह से किसानों की बासमती चावल की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गयी है। जिस बासमती चावल का रेट पिछले साल किसानों को 4500 रुपए प्रति कुंतल मिला था, उसी बासमती चावल का रेट किसानों को इस साल मात्र 1500 रुपये प्रति कुंतल से 2500 रुपए प्रति कुंतल तक मिल रहा है।
किसानों की समस्याओं पर बात करना जरूरी
हजारों किसानों से बात करने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि पूरे भारत में जम्मू-कश्मीर के किसान सबसे अधिक शोषित, पीड़ित और परेशान हैं। जम्मू कश्मीर के किसान अनेक समस्याओं से पीड़ित है, उनमें से कुछ प्रमुख समस्याओं पर बात करना जरूरी है।
जम्मू कश्मीर में किसानों को के.सी.सी. का लोन लेने के लिए अपनी जमीन के अलावा दो सरकारी कर्मचारी गारंटी के तौर पर देने पड़ते हैं, अन्य किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में दो सरकारी कर्मचारियों की गारंटी देने का नियम नहीं है।
यह भी पढ़ें : 150 रुपए किलो तक आखिर प्याज कैसे पहुंचा, क्या होगा अगले साल का हाल?
कश्मीर में किसानों को नकली कीटनाशक दवाइयां उपलब्ध होती हैं। एक किसान ने बताया कि आज से 20 साल पहले उन्हें सिर्फ 2 तरह की कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल करना पड़ता था, आज विज्ञान की इतनी तरक्की के बावजूद उन्हें 18 तरह की कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल करना पड़ता है जिस वजह से उनकी फसल की लागत बढ़ती जा रही है। नकली कीटनाशक दवाइयों के खेल में राजनेता, अधिकारी और दवाई कम्पनियां शामिल हैं।
जम्मू कश्मीर का बागवानी व कृषि विभाग पूरी तरह असफल
जम्मू कश्मीर का बागवानी व कृषि विभाग पूरी तरह असफल है। किसानों में कृषि व बागवानी विभागों के प्रति भारी रोष है। बागवानी विभाग की कार्यशालाओं की हालत पूरी तरह खस्ता है। किसानों का कहना है कि बागवानी व कृषि विभागों से उन्हें किसी भी तरह की मदद नहीं मिलती है। कृषि व बागवानी विभागों में आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता है।
कश्मीर में मंडियों में व्यापारियों द्वारा किसानों से 12% कमीशन वसूला जाता है। इस तरह किसानों का शोषण अन्य किसी भी राज्य की मंडियों में नहीं होता। व्यापारियों द्वारा किसानों से सेब ले कर बिना पेमेंट किये भाग जाने की घटनाएं कश्मीर में आम बात है। किसानों के उत्पाद खरीदने से पहले व्यापारियों के लाइसेंसों की ठीक से जांच कश्मीर घाटी में नहीं की जाती है।
जम्मू-कश्मीर में सॉयल टेस्टिंग (मिट्टी की जांच) योजना पूरी तरह विफल रही है। एक साल से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद किसानों को अपनी मिट्टी की जांच रिपोर्ट नहीं मिलती है।
किसान विरोधी कानूनों को तुरंत समाप्त किया जाए
जम्मू कश्मीर के किसानों को राहत देने के लिए हालिया समय में हुई बेमौसम बर्फबारी को केंद्र सरकार द्वारा प्राकृतिक आपदा घोषित कर राहत पैकेज का ऐलान किया जाना चाहिए। हम केंद्र सरकार से ये भी मांग करते हैं कि जम्मू कश्मीर में मौजूदा किसान विरोधी कानूनों को तुरंत समाप्त किया जाए और किसानों को ऋण मुक्त किया जाए।
यह भी पढ़ें : गिरती जीडीपी की चिंता में कृषि क्षेत्र फिर हाशिए पर
हमारे संगठन के प्रतिनिधिमंडल ने 27 नवम्बर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर से मुलाकात की और जम्मू कश्मीर के किसानों के वर्तमान हालात को उनके सामने पेश किया। हमारी बातों को गंभीरता से सुनने के बाद उन्होंने आश्वासन दिया कि जम्मू-कश्मीर के किसानों की हरसंभव मदद की जाएगी। उन्होंने कहा कि वे स्वयं जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल को इस विषय में पत्र लिखेंगे। कृषि मंत्री ने कहा कि निकट भविष्य में वे जम्मू-कश्मीर का दौरा करेंगे और किसानों से मुलाकात करेंगे।
(लेखक राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं)
Posted by : Kushal Mishra