पिछले दिनों ग्रामीण मंत्रालय द्वारा बुलाई गई मीटिंग में राजस्थान के प्रगतिशील किसान कान सिंह को भी बुलाया गया जहां, इस किसान ने किसानों और देश के उन्नत विकास के लिए कुछ सुझाव दिए।
आम बजट से एक बार फिर हमारी तरह लाखों किसानों को बहुत उम्मीदें हैं। कर्ज और गरीबी के बोझ तले दबे किसान की ओर से मैरे कुछ सुझाव हैं। इनमें से कुछ सुझाव मैं पिछले अक्टूबर में ग्रामीण मंत्रालय की बैठक में सरकार को भी दिए थे। ये बैठक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील पर 10-11 अक्टूबर को हुई थी, देश के चुनिंदा किसानों में मैं भी शामिल था। मैंने उनको सुझाव दिया।
जिसमें मेरा पहला सुझाव था कि वर्तमान सरकार इतिहास में अमर हो सकती है। जिसके लिए सरकार को एक रुपए का भी अतिरिक्त प्रबंध नहीं करना पड़ेगा। केवल नीतियों में परिवर्तन करना पड़ेगा। सरकार किसान और गाय पर दया न करे केवल नीतियां ठीक तरह से बना लें देश की उन्नति हो जाएगी।
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भारत सरकार डीएपी यूरिया और पेस्टीसाइड पर जो सब्सिडी दे रही है उसे सीधे किसान के खाते में डाल दे। जो प्रति एकड़ प्रति वर्ष किसान के हिस्से में आती है। इससे देश में एक बड़ा परिवर्तन होगा। परिवर्तन ये होगा कि जब रसायन की कीमत बढ़ेगी तो किसान इनके विकल्पों की ओर जाएगा। इनके विकल्प बेहतर परिणाम देने वाले हैं।
गो आधारित शून्य लागत खेती जिससे किसान देशी गाय पालेगा। गाय द्वारा बना हुआ उत्पादन बाजार में मंहगे भाव में बिकेगा। इसके अलावा गाय का घी दूध खाने से किसान के बच्चों में और किसान का आलस गायब हो जाएगा। इससे किसान और देश का स्वास्थ्य सुधरेगा वातावरण के साथ खनपान एवं रसायनों की खरीद पर होने वाले खर्च भी शामिल है। देश आत्मनिर्भर होना शुरू हो जाएगा और सरकार के बजट में कोई परिवर्तन भी नहीं होगा।
दूसरा सुझाव- ‘पशुपालकों को बना दिया जाए चरागाह का मालिक’
मेरा दूसरा सुझाव ये है कि गोचर (जिस जमीन पर गाय चारा खाती है) का मालिक गाय को बना दिया जाए। जब से सभ्यता की उत्पत्ति हुई है तब से आज तक कभी भी गोचर की मालिक सरकार नहीं रही। जब आजादी मिली जो सरकार ने एक गलती ये कर दी कि गोचर की जमीन की मालिक सरकार हो गई। इसीलिए आजतक देश का कल्याण नहीं हुआ इस देश का कल्याण किसान और गाय के मार्ग से ही निकलता है। ये बात सरकार को समझनी चाहिए। सरकार अपनी नीतियां सही कर ले तो गाय पनप जाएगी और गाय के पनपते ही देश अपने आप पनप जाएगा।
तीसरा सुझाव ये है पूरी दूनिया में हर चीज की कीमत उसकी गुणवत्ता से होती है। गाय के दूध का मूल्यांकन उसकी गुणवत्ता से करना चाहिए। जिस दिन गाय के दूध की गुणवत्ता के अनुसार मूल्य निर्धारित हो जाएगा उस दिन गाय का दूध 100 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बिकेगा और जिस दिन 100 रुपए में बिकेगा उस दिन से इस देश का कल्याण शुरू हो जाएगा। इस देश के प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गाय से जुड़ना ही पड़ेगा।
नोट- कान सिंह, किसान, जिला सीकर, राजस्थान। लेखक प्रगतिशील किसान हैं ये उनके निजी विचार हैं।
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