बजट कठिन समय में बना, न तो विकासोन्मुख न लोकलुभावन

Dr SB MisraDr SB Misra   2 Feb 2017 11:05 AM GMT

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बजट कठिन समय में बना, न तो विकासोन्मुख न लोकलुभावनबजट कठिन समय में बना, न तो विकासोन्मुख न लोकलुभावन।

डाॅ. एसबी मिश्रा

महंगाई और मन्दी के बीच सन्तुलन स्थापित करना आसान नहीं था और हुआ भी नहीं। पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं और भारत के आम चुनाव 2019 में होने हैं ऐसी परिस्थिति में दूरगामी विकास की आशा नहीं की जा सकती है फिर भी मूलभूत ढांचा पर ध्यान गया है।

मध्यम वर्ग किसी समाज की रीढ़ होता है इसे ध्यान में रखकर इस वर्ग पर ध्यान गया है। कितनी आय पर कितना कर लगा इससे अधिक महत्वपूर्ण है कि देश की 70 प्रतिशत आबादी के लिए कितना रोजगार सृजन का प्रावधान हुआ। मोदी सरकार पर सूट बूट की सरकार होने, उद्योगपतियों की पोषक होने के इल्जाम लग रहे थे, सरकार ने इस इमेज से बाहर निकलने का प्रयास किया है। समय बताएगा जो प्रावधान गरीबों के लिए किए गए है वे वहां तक पहुंचते हैं या नहीं। रक्षा और चिकित्सा पर ध्यान गया है लेकिन शिक्षा को इससे अधिक की अपेक्षा थी। किसान और मजदूर को थोड़ी खैरात मिली लेकिन क्या उनकी क्रयशक्ति भी बढ़ेगी, इसमें सन्देह है।

यह मानकर चला जा सकता है कि विकास की पटरी पर सबसे तेज दौड़ने का दम भरने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाल साल में ऐसा नहीं कह सकेगी। देश के पास बैंकों में बहुत पैसा आ गया था इसलिए बचत पर ध्यान नहीं गया है यह बात समझा में आती है परन्तु इतना अधिक जमा धन लेकर आशा थी कि कृषि के साथ ही ग्रामीण उद्योग स्थापित करने पर आग्रह होगा।

समाज की मूलभूत आवश्यकताओं रोटी, कपड़ा,मकान, चिकित्सा और शिक्षा में से मकानों के निर्माण और विपणन की गति धीमी हो रहीं थी, उस पर ध्यान गया है लेकिन रोजगार सृजन पर इससे अधिक की अपेक्षा थी। शेयर बाजार पर अनुकूल प्रभाव दिख रहा है और भारी उद्योग से जुड़े लोग सन्तुष्ट दिखाई पड़ रहे हैं तो फिर शायद मन्दी से उबर जाएंगे। अभी महंगाई के मामले में दालें और सब्जियां स्थिर हैं लेकिन बाकी चीजों पर बजट के बाद क्या असर होगा यह देखने की बात है।

दूसरी सरकारों की अपेक्षा गाँवों के लिए धन का आवंटन भले ही बढ़ा है लेकिन इससे बहुत अन्तर नहीं पड़ेगा। युवाओं के लिए रोजगार सृजन एक बड़ी चुनौती है विशेषकर अमेरिका का दरवाजा बन्द होता दिख रहा है तब चुनौती और भी बड़ी है। इस दिशा में ध्यान नहीं गया लगता है।

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