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‘आबादी विस्फोट में हिन्दू और मुसलमान न गिनें महाराज’

Bharatiya Janata Party

भारतीय जनता पार्टी के सांसद साक्षी महाराज ने मुसलमानों की बढ़ती गति पर अपने विचार व्यक्त किए थे जिस पर चुनाव आयोग ने उन्हें फटकार लगाई है। शायद उनके विचार से मुसलमानों में बहु विवाह के कारण उनकी आबादी तेजी से बढ़ रही है।

साक्षी महाराज को मालूम होगा कि लालू यादव के आठ बच्चे हैं या नौ पता नहीं। क्या वह लालू यादव को आदर्श हिन्दू मानेंगे या अली करीम छागला, सिकन्दर बख्त, शाहनवाज, अब्दुर्रहीम और रसखान को। यदि मुस्लिम आबादी भारतीयता में विश्वास करती है तो आपत्ति किस बात की। और फिर क्या आप बता सकते हैं हिन्दू कौन है और मुसलमान कौन है। मन्दिर में घंटा बजाने से कोई हिन्दू नहीं हो जाता और मस्जिद में कबीर की भाषा में बांग देने से कोई मुसलमान नहीं हो जाता।

सारी दुनिया में आबादी का विस्फोट हो रहा है जिसके लिए रोटी, कपड़ा, मकान, दवाई, शिक्षा की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी सरकार की होती है। यह बात सरकार को देखनी चाहिए कि यदि कोई समूह दो से अधिक बच्चे प्रति युगल पैदा करता है तो इसको कैसे रोका जाए, चाहे हिन्दू हो या मुसलमान। धार्मिक कानून यदि देशहित में आड़े आते हैं तो सरकार को सोचना चाहिए कि कहीं बार-बार सच्चर कमीशन तो नहीं बिठाना पड़ेगा, कभी मुसलमानों के लिए तो कभी हिन्दुओं के लिए।

हिन्दुओं को संख्या बल की नहीं बुद्धिबल की आवश्यकता है। हमें ध्यान रखना चाहिए कि धृतराष्ट्र के 100 बेटे थे और सगर के 60000 लेकिन क्या हुआ? महाभारत की लड़ाई पांच पांडवों ने नहीं अकेले कृष्ण ने जिताई थी। अनेक हिन्दूवादी लोग हिन्दू आबादी बढ़ाने की बात करते हैं जरूरी नहीं कि वे गणवेश में पंक्तिबद्ध होकर खड़े हो जाएंगे। आदर्श स्थिति यह होगी कि मुसलमान नमाज अदा करते हुए भारत देश को सारे जहां से अच्छा समझें।

जो लोग हिन्दू आबादी बढ़ाने की बात करते हैं वे जानते होंगे कि राष्ट्रीय स्वयं संघ के प्रचारकों के लिए शर्त रहती है कि वे शादी नहीं करेंगे तब आबादी कैसे बढ़ेगी। जिस बात की शिक्षा दी जाए उसे पहले व्यवहार में लाना चाहिए और फिर हमारे पूर्वजों ने कहा है ‘वरमेको गुणी पुत्रो, न च मूर्ख शतान्यपि।’ यदि करोड़ों की संख्या में भूखे, नंगे, अनपढ़ हिन्दू पैदा हो गए तो भेड़ बकरी की तरह मारे जाएंगे जैसे राणा सांगा के एक लाख सैनिकों को बाबर के 1200 सिपाहियों ने परास्त किया था। सैनिक नहीं तोपखाना चाहिए था। विश्व हिन्दू परिषद का दायित्व है कि वर्तमान हिन्दू समाज की कमजोरियों को दूर करके हिन्दू समाज में ज्ञान, समृद्धि और शौर्य पैदा करें ना कि उनकी संख्या बढ़ाने की चिन्ता करें।

हिन्दू आबादी बढ़ने से वोट बढ़ जाएंगे लेकिन वे किसे वोट देंगे पता नहीं। सद्बुद्धि के बिना वोट का कोई मतलब नहीं। जो हिन्दू आज मौजूद हैं उनमें विश्वबन्धुत्व की कौन कहे, क्या हिन्दू बन्धुत्व है। आवश्यकता है व्यक्ति निर्माण के माध्यम से राष्ट्र निर्माण की। अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि संघ के भी सभी 30-35 आनुशांगिक संगठन अनुकूल वातावरण की खोज में राजनीति में अधिक रुचि ले रहे हैं। यह डॉक्टर हेडगेवार और गुरुजी की इच्छा और योजना के विपरीत है। यदि वे चाहें तो अपने लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण स्वयं कर सकते हैं।

जब 1964 में विश्व हिन्दू परिषद की स्थापना हुई तो बड़ी आशाएं जगी थीं कि हिन्दू समाज की बुराइयों को दूर करके प्रबुद्ध भारत की स्थापना में अपना योगदान देंगे लेकिन आज भी छुआछूत, जातिगत अलगाव, दहेज, कन्याभ्रूण हत्या, नारी उत्पीड़न, लिंगभेद जैसी अनेक समस्याएं जस की तस मौजूद हैं। आज का हिन्दू अपने इतिहास को, अपने पूर्वजों को, अपनी परम्पराओं को नहीं जानता और आपस में छोटी-छोटी बातों पर लड़ता है और साक्षी महराज मुसलमानों को दोषी मानते हैं। कहने में संकोच नहीं होना चाहिए कि मुस्लिम समाज में बराबरी और परस्पर एकता विद्यमान है भले ही विश्वबन्धुत्व की बात ना करते हों। हिन्दू समाज में अनेक लोगों का तिरस्कार, गैर-बराबरी और सवर्णों का अहंकार अभी भी मौजूद है। क्या हम इन बातों का निराकरण कर सकेंगे।

sbmisra@gaonconnection.com

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