ओडिशा के मोटे अनाजों की कहानी दुनिया भर के लिए एक सबक है

ओडिशा मिलेट्स मिशन 2017 में प्रति वर्ष 60-65 करोड़ रुपये के शुरुआती निवेश के साथ शुरू हुआ था। फिलहाल यह अब बढ़कर 360 करोड़ रुपये प्रति वर्ष हो गया है। राज्य सरकार ने अगले छह सालों के लिए 2,808 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। दरअसल विचार रोजमर्रा के खाने में बाजरे के इस्तेमाल को बढ़ावा देने और हाल ही में कॉर्पोरेट घरानों के साथ साझेदारी में संपन्न हुए हॉकी विश्व कप जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के जरिए बाजरे को मुख्यधारा में लाने का है।

Manoj Kumar MishraManoj Kumar Mishra   28 Feb 2023 1:30 PM GMT

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ओडिशा के मोटे अनाजों की कहानी दुनिया भर के लिए एक सबक है

जहां एक तरफ ओडिशा 2023 के एक और प्रमुख खेल आयोजन यानी ओडिशा हॉकी मेन्स वर्ल्ड कप की मेजबानी करने का लुत्फ उठा रहा था, वहीं दूसरी तरफ प्रशंसकों और दर्शकों ने कलिंगा स्टेडियम में मिलेट शक्ति आउटलेट और मैदान के बाहर लगाए गए स्ट्रीट-फूड मेले में बाजरे से बने व्यंजनों का भरपूर स्वाद लिया।

इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स पर ओडिशा ने भी अपने यहां आए खिलाड़ियों और अधिकारियों को बाजरे से बने खाने का स्वाद चखाया था। खेलों की दुनिया में अपना नाम दर्ज कराने के अलावा, ओडिशा ने पोषण, जलवायु परिवर्तन से निपटने और सशक्तिकरण के बारे में भी दुनिया को एक संदेश दिया है। ओडिशा में महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे 1,500 से ज्यादा स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के नेतृत्व और मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक की निगरानी में ओडिशा मिलेट्स मिशन (ओएमएम) के तहत पिछले छह सालों से बाजरे की खेती की जा रही है। 2017 में उठाया गया यह छोटा सा कदम आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता की कहानी गढ़ रहा है।

ओडिशा के क्रांतिकारी किसानों द्वारा अपनी पारंपरिक फसल को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ पर्यावरण बचाने के लिए उठाया गया यह कदम जलवायु परिवर्तन से निपटने, टिकाऊ खेती के जरिए पर्यावरण को संरक्षित करने, किसानों की आजीविका में सुधार लाने, आर्थिक विकास और लोगों की सेहत को बनाए रखने की एकमात्र नीति है। ओडिशा की सफलता की कहानी अब देश के बाकी हिस्से और दुनिया के लिए अनुकरणीय है।

बाजरा से बने कई स्वादों वाले कुकीज़, केक, दलिया मिक्स, पास्ता, रसगुल्ला और गुलाब जामुन उच्चवर्ग के लोगों के घरों तक पहुंच गया है। जिलों में बने बाजरा कैफे अब युवा और बुजुर्गो दोनों को पसंद आ रहे हैं। कुछ उद्यमी एसएचजी अपने कैफे में रागी चिकन मोमो से लेकर रागी कस्टर्ड, फॉक्सटेल फ्राइड राइस और रागी चिकन मंचूरियन जैसी डिश लेकर आए हैं।

ये सभी कहानियां ओडिशा मिलेट्स मिशन यानी OMM के लिए और भी बड़े और बेहतर दिनों की पटकथा लिख रही हैं। यह योजना 2017 में राज्य सरकार के साथ प्रति वर्ष 60-65 करोड़ रुपये के शुरुआती निवेश के साथ शुरू हुई थी और अब बढ़कर 360 करोड़ रुपये प्रति वर्ष हो गई है। राज्य सरकार ने अगले छह सालों के लिए 2,808 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। दरअसल विचार रोजमर्रा के खाने में बाजरे के इस्तेमाल को बढ़ावा देने और हाल ही में कॉर्पोरेट घरानों के साथ साझेदारी में संपन्न हुए हॉकी विश्व कप जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के जरिए बाजरे को मुख्यधारा में लाने का है।

ओडिशा के कृषि और किसान अधिकारिता विभाग (DA&FE) ने खेतों और लोगों के आहार में बाजरा को फिर से शामिल करने के लिए आदिवासी क्षेत्रों में पांच साल के शुरुआती कार्यक्रम के रूप में इस योजना को लॉन्च किया था। उसके बाद से ओएमएम कई मायनों में बूस्टर शॉट बन गया है।

इस कार्यक्रम ने थोड़े समय में बेहद शानदार नतीजे दिए हैं, खासतौर पर पर्यावरण बचाने और सतत विकास को बढ़ावा देने के मामले में। ये दोनों ही जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित मुख्य लक्ष्य हैं। ओएमएम की अभूतपूर्व सफलता ने राज्य सरकार को 2022 में इस परियोजना को 142 ब्लॉकों तक बढ़ाने करने के लिए प्रेरित किया है। बाजरे की खेती के लिए 75,000 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन को तैयार किया गया है, जिसमें तकरीबन 1.5 लाख किसानों को शामिल किया गया है।

सितंबर 2022 में राज्य के कृषि सचिव ने सभी विभागों के सचिवों को लिखा कि वे अपने विभागों की आधिकारिक बैठकों में बाजरा स्नैक्स को शामिल करने पर विचार करें। यह अधिकारियों के बीच बाजरा से बने उत्पादों की खपत को लोकप्रिय बनाने और बढ़ावा देने के लिए उठाया गया कदम है। इस कदम का मकसद विभिन्न विभागों को बाजरा से बने स्नैक्स की आपूर्ति करने के लिए ओएमएम के तहत प्रशिक्षित मिशन शक्ति महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए और अधिक आर्थिक अवसर प्रदान करना भी है। इससे न सिर्फ बाजरा के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद मिलेगी, बल्कि इस सप्लाई चैन से कई लोगों को रोजगार मिलने की भी उम्मीद है।

2021-22 में राज्य सरकार ने 41,286 किसानों से 3,377 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 3.23 लाख क्विंटल रागी की खरीद की थी। सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 6 लाख क्विंटल रागी की खरीद का लक्ष्य रखा है। सरकार ने पीडीएस में भी बाजरा को शामिल किया है। पीडीएस के तहत खरीफ विपणन सीजन 2019-20 में चावल के विकल्प के रूप में 14 जिलों में एक महीने के लिए 50 लाख राशन कार्ड लाभार्थियों को 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बाजरा मुहैया कराया जा रहा है।

जब दुनिया जलवायु परिवर्तन की वजह से बाढ़ और सूखे जैसी चरम मौसमी घटनाओं से होने वाली तबाही से जूझ रही है, तो ऐसे में यह पूछना लाजमी हो जाता है कि साफ, स्वस्थ वातावरण के बिना जीने के क्या मायने है? हम इस इको-सिस्टम का हिस्सा हैं और कोई भी असंतुलन - मानव निर्मित या प्राकृतिक - हमारे जीवन के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों को भी खतरे में डाल रहा है। यही कारण है कि ओडिशा सरकार ने उस संतुलन को बनाए रखने और अप्रत्याशित परिस्थितियों की वजह से आए किसी भी तरह के अंतराल को ठीक करने के प्रयास को दोगुना कर दिया है।

अब तक जो कुछ भी किया गया, उसका प्रभाव बहुत अच्छा रहा है: ओडिशा ने अपने बाजरा मिशन के जरिए वातावरण को डीकार्बोनाइज करने का बीड़ा उठाया है। बाजरा पर्यावरण के अनुकूल हैं क्योंकि वे वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने में मदद करते हैं और इस प्रकार कम कार्बन फुटप्रिंट रखते हैं। बाजरे के खेत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ पृथ्वी को बचाने के लिए पहली पंक्ति के प्रयासों में से एक है, जो हर साल मानव निर्मित कार्बन उत्सर्जन को अवशोषित करते हैं।

बाजरा सदियों से भारतीय आहार का हिस्सा रहा है। सेहत के लिए इसके कई फायदे हैं। बाजरा से होने वाले फायदों को पहचानते हुए भारत सरकार ने इस साल के बजट के दौरान श्री अन्न योजना के जरिए बाजरा को औपचारिक रूप से बढ़ावा दिया है।

ओडिशा ने खेतों और जनजातीय समुदायों की थाली में बाजरे को फिर से लाकर घरेलू स्तर पर पोषण में सुधार के लिए एक समर्पित मिशन की स्थापना करके इस पहलू में शुरुआती बढ़त हासिल की है। इस कार्यक्रम का बजट 2017 के राज्य कृषि बजट में रखा गया था और तब से इसने सफलता की कई कहानियां लिखी हैं।

प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) योजना के जरिए किसानों को तीन साल के लिए प्रोत्साहन की घोषणा करने वाला ओडिशा देश का पहला राज्य है। ओडिशा ने आईसीडीएस में रागी लड्डू को भी शामिल किया और साथ ही पीडीएस प्रणाली के माध्यम से लोगों को बाजरा वितरित कर रहा है।

ओडिशा मिलेट मिशन में एक गौरवशाली अध्याय को जोड़ते हुए ओडिशा के मिलेटप्रेन्योर्स ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहली व्यावसायिक खेप भेजी है. इसे कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण की तरफ से मदद दी गई थी. यह खेप महिला प्रबंधित किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) से खरीदी गई थी।

ओएमएम दुनिया भर में ‘स्वाद’ की चाहत रखने वालों के लिए ओडिशा के बाजरा को दुनिया में ले जाना चाहता है. यह पोषण, जलवायु परिवर्तन से बचने, सेहतमंद खाने और सशक्तिकरण के बारे में सफलता की नई कहानियां गढ़ रहा है।

मनोज कुमार मिश्रा ओडिशा सरकार के आईटी सचिव हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।

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