ये भारत है, यहां पुल गिरते हैं आम लोग मरते हैं। इन लोगों के मरने से कुछ नहीं रुकता, सब चलता रहता है। 14 मार्च को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे स्टेशन का एक ओवरब्रिज टूटा। ज़्यादा लोग भी नहीं मरे, केवल 6 लोग और 40 लोग बुरी तरह ज़ख़्मी हुए हैं। ग़ौर करने वाली बात है उनमें से कोई भी ऐसे पद पर नौकरी नहीं कर रहा था जिसके मौत से देश को कोई ख़ास नुक़सान पहुंचें। वही आम लोग, मरने के लिए पैदा हुए टाइप नर्स और मज़दूर टाइप लोग थे।
जैसे ज़हीर खान जिसकी एक छोटी सी दुकान है घाटकोपर में, अपने अब्बा के साथ दुकान से लौट रहा था। घर पर दो छोटी-छोटी बेटियाँ अपने अब्बू के लौटने की राह देख रही थी मगर दादा घायल हो कर हॉस्पिटल में पड़े हैं और अब्बू तो कभी लौटेंगे ही नहीं। इन बच्चियों के सिर से बाप का साया उठ गया। एक बूढ़े बाप को अपने 32 साल के बेटे को क़ब्रिस्तान ले कर जाना होगा। कौन है ज़िम्मेवार उनके इस दुःख लिए?
Maharashtra CM: It’s unfortunate. I’ve ordered for a high level inquiry. A structural audit of the bridge had earlier been done&it was found to be fit. Even after that if such incident happened, it raises question on the audit. Inquiry will be done. Strictest action will be taken pic.twitter.com/h7qHQXKWqb
— ANI (@ANI) March 14, 2019
ख़ैर ये तो एक घर की कहानी बताई। ऐसी ही कहानियाँ बाक़ी के भी घरों की होंगी। कुछ जा रहे थे अपने काम पर तो कुछ लौट रहे थे। जो जा रहे होंगे वो अपने बच्चों को सुला कर सुबह जल्दी लौटने के वादा के साथ निकले होंगें। जो लौट रहे थे वो शायद साथ बैठ कर कुछ क्वॉलिटी टाइम बिताने या फिर बच्चे के लिए कोई कुछ खाने-पीने का सामान ले कर लौट रहे होंगे।
अब बीच में ओवरब्रिज टूट गया और ये लोग मर गये। इसमें किसी का क्या दोष। दोष इसलिए नहीं कि #BMC वालों ने अभी किसी कॉंट्रैक्टर को मुंबई की सभी ओवरब्रिज के निरीक्षण का काम सौंपा था। ऑडिट रिपोर्ट अभी 18सितम्बर 2018 को BMC के सिवीक कमिसनर को सौंपी गयी। जिसमें इस ओवरब्रिज 6 महीने के लिए फ़िट बताया गया था। अब ये तो मरने वालों की क़िस्मत की बीच में ही टूट गयी। इसमें BMC या शिवसेना या congress या MNC क्या ही कर सकती है। उधर मुंबई रेलवे ने भी साफ़-साफ़ कह दिया है कि ये हिमालया ब्रिज उनके सिर का दर्द नहीं BMC वाली के हिस्से की चीज़ है। तो इस ऐक्सिडेंट से उनका कोई लेना-देना है ही नहीं।
Maharashtra: Morning visuals from the spot where part of a foot over bridge near CSMT railway station collapsed in Mumbai yesterday. 6 people had died in the incident. pic.twitter.com/4qQ909Zznc
— ANI (@ANI) March 15, 2019
बढ़िया। ज़रा एक नज़र देखिए तो इस हादसों से भरे मुंबई शहर के इंफ़्रास्ट्रक्चर पर। 29 सितम्बर 2017 को जब elphinstone पुल टूटा था तब 23लोगों की मौत हुई थी और 39 घायल हुए थे। उस समय भी पुल टूटने के इस हादसे को भीड़ में मची भगदर का नाम देकर हुक्मरानों ने अपना-अपना पल्ला झाड़ लिया था। जबकि ग़ौर करने वाली थी कि वो पुल भी 100 साल से अधिक पुराना था।
सोचिए ज़रा आज से 100 पहले के बने ये ओवरब्रिज चाहे कितने ही मज़बूत क्यों न हो मगर क्या वो सक्षम है, आज की भीड़ को सम्भालने के लिए। सिर्फ़ वही एक हादसा हुआ रहता तो शायद सवाल नहीं उठाया जाता BMC के नियत पर लेकिन ऐसा है नहीं। 3 जुलाई 2018 को 2 लोग अंधेरी स्टेशन के पास एक पाथ-वे के टूटने से मरे थे। 3-4 लोग विले-पारले वाले ब्रिज के नीचे भी दबे थे उसी साल।
मरने वालों को पाँच लाख का मुआवज़ा देने की घोषणा महाराष्ट्र के माननिए मुख्यमंत्री ने देने की घोषणा की है। वैसे इस घोषणा को सुन कर 17 दिसम्बर 2018 की एक घटना याद आ गयी। ESIC हॉस्पिटल में आग लग गयी थी और 13 लोग मारे भी गये थे उसमें। तब भी मृतकों के परिवार को मुआवज़ा देने की बात कही गयी थी मगर आज भी उनके परिवार वाले दर ब दर उस रक़म को पाने के लिए भटक ही रहें हैं।
Mumbai: A team of NDRF and dog squad also present at the spot where portion of a foot over bridge near CSMT railways station collapsed earlier this evening. 5 people have died, 36 injured. Toll is likely to rise. pic.twitter.com/KxR4uxQ7BC
— ANI (@ANI) March 14, 2019
ख़ैर, आँकड़े वैसे कोई हृदय विदारक है नहीं। इतना बड़ा देश है अपना भारत इतना-इतना तो चलता है। अब चुनाव आ रहा। मुद्दे देश की सड़कें, हॉस्पिटल, स्कूल रोज़गार ये सब नहीं है तो क्या हुआ। हम को चाहिए भी नहीं ऐसी कोई फ़ैसिलिटी। हम को आदत है हादसों की। हम सिर पर कफ़न बाँधें तैयार बैठे रहते हैं मरने के लिए। नेता जी आप सर्जिकल स्ट्राइक करवाइए, विपक्ष आप मरे हुए आतंकियों की संख्या गिनिए। चाइना से होली में पिचकारी नहीं मंगवाइए और न दीवाली में वो झिलमिलाता लाइट बॉल। स्वदेशी अपनाने का नारा लगाइए और जनता से इसी सब बातों पर वोट माँग लीजिए।
देश की अर्थव्यवस्था से ले कर इंफ़्रास्ट्रक्चर जाए तेलहंडे में आपको क्या। आप बड़े लोग उड़ते हैं आसमान में। अरे आपके गुज़रने से पहले तो सड़कों की भी मरम्मत कर दी जाती है, तो आपको मौत की क्या परवाह होगी।
वैसे मौत की परवाह हम जनता को भी कुछ ख़ास है नहीं, वरना हम देश की मूलभूत समस्याओं पर आपसे सवाल करते। आपको विवश करते उनको दुरुस्त करने के लिए मगर भाई, हम जनता हैं। हम डेयर-डेवल्ज़ हैं बॉस। हर दिन मौत का सामना करने के लिए ही घर से निकलते हैं। क़िस्मत ठीक रही तो लौट कर घर भी आ जाते हैं।
बाक़ी क्या है। ज़िंदगी है तो मौत आएगी ही। ये सब तो होता ही रहता है चलता ही रहता है। चिल्ल!