अंतरिम बजट विकासोन्मुख है, महंगाई न बढ़ाए

जो भी हो विपक्ष अपने घोषणा पत्रों में वादे कर रहा था और मोदी सरकार ने बजट प्रस्ताव में वोटर के सामने लोकलुभावन प्रस्ताव पेश कर दिया जो अधिक विश्वसनीय कहे जा सकते हैं। देखना होगा आने वाले चुनाव में वोटरों पर इसका कितना प्रभाव पड़ता है, देश पर पड़ने वाला प्रभाव बाद में दिखेगा।

Dr SB MisraDr SB Misra   2 Feb 2019 8:22 AM GMT

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अंतरिम बजट विकासोन्मुख है, महंगाई न बढ़ाए

पीयूष गोयल ने जो अन्तरिम बजट पेश किया, उसका निहितार्थ है, खूब कमाओ और खूब खर्चा करो, जिससे बाजार में खूब पैसा आए और बैंकों में पैसा आए। मध्यम वर्ग और किसान का विशेष ध्यान रखा है।

मध्यम वर्ग जो किसी देश समाज की रीढ़ होता है, अनेक वर्षों से उपेक्षित और अप्रसन्न था, किसान की भी नाराजगी भारी पड़ सकती थी। किसान के लिए राहुल गांधी ने कई वादे कर रहे थे, जिनकी पहल सरकार ने बजट में कर दी। प्रत्येक किसान को अन्य लाभों के साथ 500 रुपया प्रतिमाह की पेंशन सीधे उनके खाते में जाएगी।

मध्यम वर्ग की आयकर सीमा को अनेक साल से नहीं बढ़ाया गया था, उसे अचानक लम्बी छलांग देकर 5 लाख कर दिया गया। अर्थशास्त्र के ज्ञानी विस्तृत विश्लेषण करेंगे।

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आज से पहले बजट भाषण में सांसदों द्वारा शायद ही किसी प्रधानमंत्री के लिए नारे लगे होंगे जैसे इस बार मोदी, मोदी के नारे लगे। बजट में सांसदों को अपना उज्जवल भविष्य दिखाई दे रहा है। किसी वैकल्पिक सरकार के लिए सभी वादे पूरे करना टेढ़ी खीर होगी और वर्तमान सरकार को तो अप्रैल के बाद ही सोचना शुरू करना है। जब दुनिया मन्दी के दौर से गुजर रही है तब यह बजट विकासोन्मुख तो है, लेकिन महंगाई ला सकता है।

अप्रैल में बजट लागू होने के बाद बैंक ऋण सस्ता होगा और बैंक ब्याज आकर्षक, तब बैंकों में पैसा अधिक आएगा और उठेगा क्योंकि ब्याज पर आयकर में छूट मिलेगी और सम्पत्ति में पैसा लगेगा। बिल्डरों के बने पड़े फ्लैटों की बिक्री में गति आएगी और नए बनेंगे क्योंकि बिल्डर और खरीदार दोनों को सुविधाएं दी गई है। वैश्विक मन्दी के दौर में इनफैक्शनरी बजट लाकर मोदी सरकार ने जोखिम भरा कदम उठाया है, जो सफल हुआ तो सरकार के दोनों हाथों में लड्डू होंगे।

मोदी पर इल्जाम लगता था कि उनकी सरकार उदयो्गपतियों की पक्षधर है, शायद उस आलोचना से बचने का भी प्रयास किया गया है, लेकिन नौकरियों का सृजन कैसे होगा, यह सरकार को देखना होगा। जो भी हो विपक्ष अपने घोषणा पत्रों में वादे कर रहा था और मोदी सरकार ने बजट प्रस्ताव में वोटर के सामने लोकलुभावन प्रस्ताव पेश कर दिया जो अधिक विश्वसनीय कहे जा सकते हैं। देखना होगा आने वाले चुनाव में वोटरों पर इसका कितना प्रभाव पड़ता है, देश पर पड़ने वाला प्रभाव बाद में दिखेगा।

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