हर बूंद को गिनें, क्योंकि हर बूंद मायने रखती है!

भारत के गाँवों में कुओं का नक्शा बनाने और मापने, और साझा संसाधन के रूप में भूजल की सामूहिक समझ को बढ़ाने के लिए 2020 में 'नापो जल, बचाओ कल' नाम का एक राष्ट्रीय अभियान शुरू किया गया था। इस साल, पूरे देश में कम से कम 50,000 कुओं के मैपिंग का लक्ष्य है।

Chiranjit GuhaChiranjit Guha   23 May 2022 1:21 PM GMT

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हर बूंद को गिनें, क्योंकि हर बूंद मायने रखती है!

गणना मानसून आने से पहले करें और दूसरी गणना मानसून के बाद करें। खुले कुएँ निजी और सामान्य जमीन पर हो सकते हैं। इसका मकसद ज्यादा से ज्यादा खुले कुओं की मैपिंग करना है।

चिरंजीत गुहा और सहाना श्रीनाथ

पानी- जब आप इस शब्द को सुनते या पढ़ते हैं तो पहला शब्द आपके दिमाग में कौन सा आता है।

हमें सिर्फ अलर्ट होने की चेतावनी देता है। इस से पहले कि बहुत देर हो जाए, पानी के मुद्दों को सुलझाने के लिए कमर कसने की जरूरत है।

जब गूगल पर भारत में पानी पर नोट की खोज करते हैं तो आपकी स्क्रीन पर पानी की कमी और जल संकट जैसे शब्द दिखाई देते हैं। जब आप इस समस्या की गहराई में उतरेंगे तो आपको पता चलेगा कि संसाधन जो हकीकत में हमारे देश जल की आपूर्ति को निर्धारित करता है, भूजल है।

75 प्रतिशत कृषि और 85 प्रतिशत पेयजल आपूर्ति भूजल पर निर्भर करती है।

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जबकि पानी की खपत और उपयोग लगातार बढ़ रहा है, इसकी उपलब्धता के प्रबंधन के लिए कोई समन्वित उपाय नहीं है। भूजल, अपनी 'अदृश्य' प्रकृति के कारण, रिचार्ज और प्रबंधन के मामले में ज्यादा उपेक्षित है। यह एक सामूहिक समझ की गिरावट की वजह से भूजल एक साझा, सामान्य संसाधन है, जिसने भारत को भूजल के ज्यादा प्रयोग और संदूषण के एक भयानक संकट की तरफ अग्रसर किया है।

समस्या का वर्तमान पर्यावरणीय प्रभाव भूजल स्तर में तेज गिरावट, स्प्रिंग डिस्चार्ज में कमी या समाप्ति, खारे पानी के दाखिल होने और पानी की गुणवत्ता में मुकम्मल तौर पर गिरावट की शक्ल में सामने आता है। हमारे जैसे देश के लिए हकीकत में कयामत ला सकता है।


भूजल संसाधनों पर स्थान-विशिष्ट डेटा तैयार करना

तो हम क्या कर सकते हैं? इसका कोई आसान सा जवाब नहीं है। हालांकि, हम मौजूदा हालात का जायजा लेकर शुरुआत कर सकते हैं। और ऐसा ही कुछ साल पहले हमने किया था जब ACWADAM (Advanced Center for Water Resources Development and Management), INREM फाउंडेशन, FES (Foundation for Ecological Security) और वाटर प्रैक्टिशनर्स नेटवर्क (WPN) के अन्य सदस्य इकट्ठा हुए थे ताकि समस्या की मौजूदा भयावहता को ठोस तरीके से हल कर सकें।

इन चर्चाओं में एक महत्वपूर्ण गैप था वह ये कि देश के ज्यादातर हिस्सों के भूजल संसाधनों का अच्छी गुणवत्ता वाले जगह के हिसाब से डेटा की कमी थी। अक्सर हमारे सामने ऐसी पहल आती जो भूजल रिचार्जिंग पर केंद्रित होती हैं।

हालांकि, जब संसाधन की उपलब्ध क्षमता पर थोड़ी स्पष्टता होती है, तो इसकी उपलब्धता में वास्तविक सुधार का आकलन करना कठिन होता है। इस प्रकार, भूजल को मैप करने, इसकी क्षमता को मापने और बेहतर पुनर्भरण और भूजल संसाधनों के उपयोग की योजना बनाने के लिए सामूहिक प्रयास करने की तत्काल आवश्यकता है।

इसके अलावा, इस जानकारी को फैलाने की और स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराने की जरूरत है, क्योंकि यह वह जगह है जहां संसाधन मौजूद हैं, और यही वह जगह है जहां कार्रवाई संसाधन को प्रभावित कर सकती है। इन विचारों और चर्चाओं से आखिरकार भूजल निगरानी उपकरण की उत्पत्ति हुई।

भूजल मॉनिटरिंग टूल

एक ओपन सोर्स, एंड्रॉइड एप्लिकेशन, जिसका उद्देश्य उपलब्ध भूजल क्षमता को सही तरीके से मापने की चुनौती का हल ढूंढना है।यह कुओं के जल स्तर का डेटा इकट्ठा करने और वेब प्लेटफॉर्म पर इस डेटा के कलेक्शन और विजुअलाइजेशन को सक्षम बनाता है – ताकि सब तक इसकी रसाई आसानी से हो।

इस अभ्यास को आसानी से किया जा सकता है: आप अपने मोबाइल या टैबलेट में भूजल मॉनिटरिंग टूल इंस्टाल करें,एप्लिकेशन पर खुद को पंजीकृत करें, और अपने डिवाइस के जीपीएस की सहायता से, साल में दो बार खुले कुओं के जल स्तर की गणना और मापना शुरू करें। पहली गणना मानसून आने से पहले करें और दूसरी गणना मानसून के बाद करें। खुले कुएँ निजी और सामान्य जमीन पर हो सकते हैं। इसका मकसद ज्यादा से ज्यादा खुले कुओं की मैपिंग करना है।


कुएं क्यों खोलें, आप पूछ सकते हैं। यह आम वजह है कि खुले कुएं गैर महदूद, खुले पानी के जखीरों के जल संसाधनों में टैप होते हैं - चट्टान और मिट्टी की परत जो जल संसाधनों को वायुमंडलीय दबाव पर रखती हैं, जहां जल स्तर बढ़ता है और वर्षा में परिवर्तन के साथ गिरता है। इन पानी के जखीरों का पृथ्वी की सतह पर एक सुराख है, और इस प्रकार, सभी मिट्टी और नमी संरक्षण गतिविधियों जैसे कि रिचार्ज ढांचे का निर्माण, इसके जल स्तर को सीधे प्रभावित करते हैं।

दूसरी ओर, सीमित पानी के जखीरों के ऊपर एक मोटी परत होती है, जो पानी को उनमें तुरंत रिसने से रोकती है; इस प्रकार, इन पानी के जखीरों के जल स्तर को बढ़ने में सालों, दशकों तक भी लग जाते हैं।

जैसे खुले कुओं का नक्शा बनाना और हर मौसम में ज्यादा से ज्यादा कुओं को कवर करना अहम है, वैसे ही कुओं के मौसम को मौसम के बाद, साल दर साल मैपिंग करना भी उतना ही अहम है। यह हमें स्थानीय भूजल स्थिति की मुकम्मल तस्वीर प्रदान करेगा, जो ज्यादा सटीक अनुमानों और खास स्थानों पर भूजल स्तर में समय के साथ परिवर्तन के रुझानों के विश्लेषण की अनुमति देगा। यह हमें पानी के जखीरे का एक इलाकाई प्रतिनिधित्व देगा, और दिए गए पानी की प्रकृति को स्थापित करने में भी मदद करेगा।

स्थानीय नक्शा बनाएं

भूजल मॉनीटरिंग टूल के जरिये डेटा इकट्ठा करने और इसे वेब प्लेटफॉर्म (भूजल निगरानी पोर्टल) पर अपलोड करने से बड़ा फायदा यह है कि दो तरह से स्थानीय नक्शा बनाने की सुविधा मिलती है।

पहला जल तालिका नक्शा है जो भूजल की गति की दिशा को बताता है, एक उच्च जल स्तर क्षेत्र कम जलस्तर वाले क्षेत्र की तुलना में रिचार्ज के संभावित क्षेत्रों के बारे में बताता है।

दूसरा जल स्तर का नक्शा है जो जमीन की सतह से भूजल संसाधनों की गहराई को दर्शाता है। वे नए कुओं की खुदाई या मौजूदा कुओं को गहरा करने के लिए सटीक गहराई की पहचान करने में मदद करते हैं।

ग्राम/पंचायत/ब्लॉक स्तरों पर डेटा के विज़ुअलाइज़ेशन में मदद करके - ये नक्शा स्थानीय कम्युनिटी, सरकारी पदाधिकारियों और नागरिक समाज संगठनों के लिए उनके भूजल संसाधनों की हालत को समझने और बाद में प्रबंधन, संरक्षण और इन संसाधनों को फिर से भरने के लिए सूचित प्रयास करने के लिए बहुत उपयोगी हो जाते हैं।

यह डेटा विज़ुअलाइज़ेशन स्थानीय स्तर पर रिचार्ज-डिस्चार्ज डाइनामिक को समझने में मदद करता है, मौजूदा पानी के इस्तेमाल के परिदृश्य पर जागरूकता पैदा करता है, और स्टेकहोल्डरों को उन पहलुओं पर गौर करने के लिए संवेदनशील बनाता है जिन्हें कृषि, सिंचाई, और घरेलू खपत जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियों को भविष्य की योजना बनाते वक्त ध्यान में रखा जाना चाहिए।

योजना और कार्यान्वयन

इस तरह के डेटा मुखतलिफ तरह की संरचनाओं की प्लानिंग और कार्यान्वयन के बारे में भी बता सकते हैं। इस टर्म में कि कौन सा क्षेत्र पानी रिचार्ज स्ट्रक्चर के लिए सब से मुनासिब है और कौन सा अन्य सतही जल भंडारण संरचनाओं के लिए सबसे मुनासिब है। जब सूचना की परतों को निर्णय समर्थन उपकरण जैसे कम्पोजिट लैंडस्केप असिस्मेंट एंड रीस्टोरेशन टूल (सीएलएआरटी) के साथ इकट्ठा किया जाता है तो यह योजना की सटीकता में 10 से 15 प्रतिशत तक सुधार करता है।

इन पहलुओं पर चर्चा की हौसला अफजाई करके, स्टॉक होल्डरों को स्थानीय स्तर पर विकास के लिए उपलब्ध मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) जैसी योजना और धन का उपयोग करने के लिए अच्छी जगह दी जाती है। संसाधन निगरानी के इस पहलू को लाने से भूजल के बारे में एक सामान्य संसाधन के रूप में चर्चा हो सकती है,जो इसके प्रभावी संरक्षण और टिकाऊ प्रबंधन के लिए काफी अहम है।

इसके अलावा, खुले कुओं की निगरानी शुरू की गई जो विकासात्मक गतिविधियों के प्रभाव का आकलन करने में सहायता करती है। उदाहरण के लिए, मनरेगा फंड का इस्तेमाल करके बनाए गए स्ट्रेकचर का आकलन अस्थायी भूजल डेटा के माध्यम से उनके प्रभाव के संदर्भ में किया जा सकता है।

यह डेटा किसानों के लिए अपने निजी कुओं को मापने और निगरानी करने के लिए भी फायदेमंद है - लगातार तीन वर्षों तक भूजल स्तर की लगातार निगरानी करने से किसान की भूमि के आसपास भूजल की हालत के बारे में उपयोगी जानकारी मिल सकती है।

जब कोई किसान मृदा टेस्ट करता है और भूजल मॉनिटरिंग डेटा के विश्लेषण के साथ इसके डेटा का उपयोग करता है, तो यह फसल के विकल्प और अच्छी तरह से निर्णय लेने के लिए उपयोगी जानकारी दे सकता है, इस तरह फसल के तबाह होने के जोखिम को कम कर सकता है, और आर्थिक अवसरों और आजीविका के लचीलेपन में सुधार कर सकता है।

नापो जल बचाओ कल

नापो, जल बचाओ कल नाम से एक सहभागी राष्ट्रीय अभियान 2020 में शुरू किया गया ताकि भारत के गांवों के कुओं का नक्शा बनाया जा सके और उसे मापा जा सके और साझा संसाधन के रूप में भूजल की सामूहिक समझ को बढ़ाया जा सके। इस अभियान के माध्यम से हमारा लक्ष्य है कि भारत के हर गांव में कम से कम एक कुएं का नक्शा बनाना है। इस साल, हमने सामूहिक रूप से देश भर में कम से कम 50 हजार कुओं का नक्शा बनाने का लक्ष्य रखा है।

ग्राउंडवाटर मॉनिटरिंग टूलकिट एक्सेस करने के लिए यहां क्लिक करें

आओ, भारत के भूजल को मापने और सामूहिक रूप से अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अखिल भारतीय अभियान में शामिल हों। जैसा कि अभियान के नाम से पता चलता है: नापो जल, बचाओ कल!

चिरंजीत गुहा फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी (FES) में प्रिंसिपल कंसलटेंट - एनालिटिक्स हैं। वह CLART और GWMT के प्रधान वास्तुकार हैं। सहाना श्रीनाथ FES की कम्युनिकेशंस टीम के साथ काम करती हैं। ये इन दोनों के व्यक्तिगत विचार हैं।

अंग्रेजी में आर्टिकल पढ़ें

अनुवाद: मोहम्मद अब्दुल्ला सिद्दीकी

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