सब्ज़ियों की खेती के लिए मचान विधि है सबसे ज़्यादा फायदेमंद

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
सब्ज़ियों की खेती के लिए मचान विधि है सबसे ज़्यादा फायदेमंदgaonconnection

लखनऊ। मचान या बाड़ा विधि से खेती करने से किसानों को बहुत से फायदे होते हैं, गर्मियों में अगेती किस्म की बेल वाली सब्ज़ियों को मचान विधि से लगाकर किसान अच्छी ऊपज पा सकते हैं। 

इनकी नर्सरी तैयार करके इनकी खेती की जा सकती है। मचान या बाड़ा विधि की खेती के रूप में सब्जी उत्पादक करेला, लौकी, खीरा, सेम जैसी फसलों की खेती की जा सकती है। बरसात के मौसम में मचान की खेती फल को खराब होने से बचाती है। फसल में यदि कोई रोग लगता है तो तो मचान के माध्यम से दवा छिड़कने में भी आसानी होती है।

बाड़ा विधि में खेत में बांस या तार का जाल बनाकर सब्ज़ियों की बेल को जमीन से ऊपर पहुंचाया जाता है। बाड़ा विधि का प्रयोग सब्जी उत्पादक बेल वाली सब्जियों को उगाने में करते हैं। 

पौधों की खेत में रोपाई

पौधों को मिट्टी सहित निकाल कर में शाम के समय रोपाई कर देते हैं। रोपाई के तुरन्त बाद पौधों की हल्की सिंचाई अवश्य कर देनी चाहिए। रोपण से 4-6 दिन पहले सिंचाई रोक कर पौधों का कठोरीकरण करना चाहिए। रोपाई के 10-15 दिन बाद हाथ से निराई करके खरपतवार साफ कर देना चाहिए और समय-समय पर निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए। 

मचान या बाड़ा बनाने की विधि

इन सब्जियों में सहारा देना अति आवश्यक होता है सहारा देने के लिए लोहे की एंगल या बांस के खम्भे से मचान बनाते है। सहारा देने के लिए दो खम्भो के बीच की दूरी दो मीटर रखते हैं लेकिन ऊंचाई फसल के अनुसार अलग-अलग होती है। 

उपज 

इस विधि द्वारा मैदानी भागों में इन सब्जियों की खेती लगभग एक महीने से लेकर डेढ़ महीने तक अगेती की जा सकती है और उपज एवं आमदनी भी अधिक प्राप्त की जा सकती है। 

खेत की तैयारी

खेत की अन्तिम जुताई के समय 200-500 कुन्तल सड़ी-गली गोबर की खाद मिला देना चाहिए। सामान्यत: अच्छी उपज लेने के लिए प्रति हेक्टेयर 240 किग्रा यूरिया, 500 किग्रा सिगंल सुपर फास्फेट एवं 125 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश की आवश्यकता पड़ती है। 

 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.