इस स्कूल में पड़ोस के गांव से भी पढ़ने आते हैं बच्चे

बदायूं विकास खंड ऊझानी का प्राथमिक विद्यालय लऊआ खूबसूरत परिसर और बेहतर पढ़ाई के लिए है मशहूर, प्रधानाध्यापक और एसएमसी सदस्यों ने बदल दी स्कूल की तस्वीर

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   11 Sep 2018 7:36 AM GMT

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इस स्कूल में पड़ोस के गांव से भी पढ़ने आते हैं बच्चे

बदायूं। विकास खंड ऊझानी का प्राथमिक विद्यालय लऊआ पूरे जनपद में अपने खूबसूरत परिसर और शानदार पढ़ाई के लिए जाना जाता है। जहां एक तरफ सरकारी स्कूलों में कम होती बच्चों की संख्या विभाग के लिए चिंता का कारण है, वहीं प्राथमिक विद्यालय लऊआ की स्थिति सुकून देने वाली है। यहां छात्रों के लगातार आ रहे आवेदनों की वजह से प्रधानाध्यापक दाखिला रोकने को मजबूर हैं। विद्यालय की इस बदली तस्वीर के पीछे विद्यालय प्रबंध समिति और प्रधानाध्यापक के अथक प्रयास हैं जिसका परिणाम है कि पास पड़ोस के गाँवों के बच्चे भी इस स्कूल में पढ़ने आ रहे हैं।

यह स्कूल नहीं हमारा घर है

विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष उमेश सिंह का कहना है, 'यह स्कूल हमारे लिए सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि घर जैसा है। जैसे हम लोग अपने घर को साफ सुथरा और सजा कर रखते हैं, वैसे स्कूल को भी रखते हैं। जब मुझे प्रबंध समिति का अध्यक्ष बनाया गया था तब अपनी जिम्मेदारी का अहसास नहीं था। प्रधानाध्यापक मुकेश कुमार ने मुझे जिम्मेदारी का अहसास दिलाया।'

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कई गाँवों के बच्चों को भा रहा है यह स्कूल

अच्छी पढ़ाई, हर बच्चे पर फोकस और अनुशासन विद्यालय की पहचान है। इसी पहचान की वजह से कई गाँवों के बच्चे इस स्कूल में पढ़ने आते हैं। आज स्कूल में 125 बच्चे पंजीकृत हैं, जिसमें से 40 बच्चे दूसरे गाँव के हैं। अच्छी पढ़ाई के कारण लोग अपने बच्चों का नामांकन यहां कराना चाहते हैं। लेकिन हर बच्चे का दाखिला लेना संभव नहीं है। प्रधानाध्यापक मुकेश कुमार का कहना है, 'हम लोग हर एक बच्चे पर ध्यान देते हैं, अगर संख्या अधिक हो जाएगी तो हम हर बच्चे पर उतना ध्यान नहीं दे पाएंगे जितना देने की जरूरत है।'

खूबसूरत परिसर की सब करते हैं तारीफ

फरवरी 2018 में जिलाधिकारी ने इस विद्यालय में जिला समीक्षा बैठक का आयोजन किया था। तब उन्होंने यहां के खूबसूरत परिसर और पढ़ाई की खूब तारीफ की थी। जिलाधिकारी जिस किसी विद्यालय में जाते हैं इस स्कूल और प्रबन्ध समिति के सदस्यों की नज़ीर जरूर देते हैं। विद्यालय में बनी पेंटिंग्स बरबस ही लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच लेती हैं। स्कूल के मीटिंग हॉल की दीवार पर बनी बस जैसी कलाकृति ऊझानी डिपो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इसके साथ पूरा परिसर ऑयल पेंट से रंगा हुआ है।

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प्रबन्ध समिति के सदस्य खुद करते हैं सफाई

वैसे तो स्कूल की सफाई की जिम्मेदारी गांव के सफाई कर्मी की होती है, लेकिन यहां सदस्य खुद विद्यालय की सफाई करते हैं। प्रत्येक सप्ताह पूरे परिसर की सफाई होती है। हर क्लास को धोया जाता है। स्कूल में लगे पेड़-पौधों की नियमित कटाई-छंटाई होती है। इसके साथ साथ प्रबन्ध समिति के सदस्य समाजसेवी और जनप्रतिनिधियों से मिलकर स्कूल के विकास और शैक्षिक संसाधनों से स्कूल को समृद्ध करने में जुटे हुए हैं। जन सहयोग से स्कूल में कंप्यूटर, पंखे, बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर की व्यवस्था है जिसने स्कूल की सूरत बदलकर रख दी है।

पढ़ाई के साथ साफ-सफाई का पाठ

स्कूल के रेकॉर्ड पर गौर किया जाए तो यहां बच्चा एक बार प्रवेश ले लेता है वह पांचवी की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही दूसरे स्कूल में जाता है। अभिभावक हेत सिंह का कहना है, 'हमारे घर के दो बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं। स्कूल के मास्टर बहुत मन से बच्चों को पढ़ाते हैं। मास्टर साहब बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ साफ सफाई की भी शिक्षा देते हैं। बच्चे बिना हाथ धोए कुछ नहीं खाते हैं। हर सप्ताह नाखून जरूर काटते हैं।' अभिभावक वीरपाल ने बताया,'स्कूल में पढ़ाई बहुत अच्छी होती है। हमारे बच्चों को अंग्रेजी की बहुत सी कविताएं याद हैं। विज्ञान और गणित भी आ गया है। '

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पढ़ाई को रोचक बनाने की कोशिश

बच्चों का मन पढ़ाई में लगा रहे इसके लिए अध्यापक पढ़ाई को रोचक बनाने की कोशिश करते हैं। कई प्रतियोगिताएं भी होती रहती हैं। कक्षा पांच के छात्र संदीप बताते हैं, 'स्कूल में पढ़ाई के साथ साथ हमें खेलने को भी मिलता है। मन करता है पूरे दिन स्कूल में ही रहूं।'

125 बच्चे पंजीकृत हैं कुल

78 छात्र

47 छात्राएं

अभिभावकों में जगाया विश्वास

प्रधानाध्यापक मुकेश कुमार ने बताया," समिति के सदस्यों के सहयोग का ही परिणाम है कि हमारे विद्यालय की तारीफ हर तरफ है। जितने भी सदस्य हैं उन्हें उनकी जिम्मेदारी का पूरा अहसास है। पहले इस गाँव के ज्यादातर बच्चे अन्य स्कूलों में पढ़ने जाते थे। तब मैंने समिति के सदस्यों के सहयोग से अभिभावकों को विश्वास दिलाया कि हमारे स्कूल में अन्य विद्यालयों से अच्छी पढ़ाई होती है। इसी का नतीजा है कि आज गाँव का पांचवी तक का हर बच्चा यहीं पढ़ता है।"


विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष उमेश सिंह ने बताया, " प्रधानाध्यापक हमारे बच्चों को बहुत मेहनत से पढ़ाते । यह देख मैं भी सक्रिय हो गया। प्रिंसिपल साहब जैसा कहते वैसा करते गए। यह हम सबकी कोशिशों का ही नतीजा है कि धीरे धीरे समिति के सारे सदस्य जिम्मेदारी समझने लगे। सबकी कोशिशों से ही विद्यालय में बदलाव आया है।

विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्य देवेंद्र सिंह ने बताया, जब कोई हमारी और हमारे स्कूल की तारीफ करता है तो हमारा मनोबल और बढ़ जाता है। हम ये सोचते हैं कि और क्या किया जाए कि हमारा स्कूल प्रदेश में नम्बर एक स्कूल बन जाये। हम लोग स्कूल को लेकर हर महीने बैठक करते हैं, जिसमें स्कूल के विकास और बच्चों के पढ़ने के लिए बेहतर माहौल बनाने पर चर्चा होती है। हमारे इस प्रयास में अभिभावकों का भी पूरा सहयोग रहता है।'

मैं पहले दूसरे स्कूल में पढ़ती थी, लेकिन वहां अच्छी पढ़ाई नहीं होती थी। मेरे पड़ोस में रहने वाली दोस्त इस स्कूल में पढ़ती थी और पढ़ाई में काफी अच्छी थी। पापा को जब यहां की पढ़ाई के बारे में पता चला तो उन्होंने मेरा दाखिला करवा दिया। शिखा, कक्षा- चार

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