'एसएमसी की सक्रियता ला रही शिक्षा के स्तर में सुधार'
विद्यालय प्रबंधन समितियों के बनने से शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ है। पहले सारी जिम्मेदारी अकेले गाँव प्रधान की हुआ करती थी, ऐसे में प्रधान अपने पास के स्कूल तो देख लेते लेकिन बाकी विद्यालय अछूते रहे जाते थे। कई ग्राम पंचायतों में तो दस-बारह विद्यालय हैं जिन्हें एक ग्राम प्रधान के लिए देखना आसान नहीं था..
Divendra Singh 1 Oct 2018 5:55 AM GMT
लखनऊ। प्रदेश के विद्यालयों में विद्यालय प्रबंधन समितियां लंबे अरसे से काम कर रही हैं। समिति की मदद से ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षा के स्तर में काफी सुधार हुआ है। राजधानी लखनऊ में ये विद्यालय प्रबंधन समितियां कितनी सक्रिय हैं और इनकी मौजूदगी से क्या बदलाव हुए हैं इसके बारे में बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. अमरकांत सिंह से गाँव कनेक्शन के संवाददाता ने खास बातचीत की।
सवाल : विद्यालय प्रबंधन समितियां कितनी सक्रिय हैं ?
जवाब : ड्रेस वितरण से लेकर स्कूल के बजट तक में विद्यालय प्रबंधन समिति का दखल होता है। दस प्रतिशत ही ऐसे सदस्य होंगे जो काम नहीं करते, लेकिन 90 प्रतिशत बेहद सक्रिय हैं। वो विरोध भी करते हैं और आवाज भी उठा रहे हैं, समितियों के बनने से शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ है। पहले सारी जिम्मेदारी अकेले गाँव प्रधान की हुआ करती थी, ऐसे में प्रधान अपने पास के स्कूल तो देख लेते लेकिन बाकी विद्यालय अछूते रहे जाते थे। कई ग्राम पंचायतों में तो दस-बारह विद्यालय हैं जिन्हें एक ग्राम प्रधान के लिए देखना आसान नहीं था। लेकिन जबसे एसएमसी का गठन हुआ है बदलाव साफ देखा जा सकता है। सदस्यों में ग्राम प्रधान के भी प्रतिनिधि होते हैं, कई सरकारी कर्मचारी भी हैं। साथ ही अभिभावकों की मौजूदगी है जो अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि इसमें महिला सदस्यों को वरियता दी जाती है, इसलिए अच्छे परिणाम आ रहे हैं।
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सवाल: विद्यालय प्रबंधन समितियों के गठन में विभाग कितना सहयोग करता है ?
जवाब : जब प्रबंधन समिति का गठन होता है, उसके बाद उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है। कई चीजे हैं जैसे कि उन्हें समझाया जाता है कि अगर कोई पैसे के लिए कहीं साइन कराता है तो सोच समझकर फैसला लें। उनके बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं इसलिए वे हर फैसला बेहद गंभीरता के साथ लेते हैं।
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सवाल : नामांकन बढ़ाने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं ?
जवाब : बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए स्कूल चलो अभियान चलाया गया। इसके साथ ही ऐसे शिक्षकों को चिह्नित किया जा रहा है, जिससे स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ी है। जिनके यहां लगातार दो साल से बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है उन्हें सम्मानित करते हैं।
सवाल : स्कूल को बेहतर बनाने के लिए जहां ग्रामीण आगे आए हैं उनके प्रोत्साहन के लिए क्या किया जा रहा है ? विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के लिए एनजीओ का कितना रोल है ?
जवाब : स्कूल में सहयोग करने वाले ग्रामीणों को सार्वजनिक कार्यक्रमों में सम्मानित किया जाता है, ताकि दूसरे लोग भी उनसे प्रेरणा ले सकें। उन्हें एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। कई ऐसे एनजीओ यहां भी हैं जो बेहतर काम कर रहे हैं।
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