हिम्मत की बैसाखी से पूरा कर रहीं शिक्षा का सपना
गोसाईंगंज ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय, कसिमपुर की स्कूल प्रबंधन समिति की सदस्य कमलीश फैला रहीं शिक्षा का उजियारा
Jigyasa Mishra 28 Sep 2018 11:38 AM GMT

जिज्ञासा मिश्रा
कासिमपुर (लखनऊ): बैसाखी के सहारे,स्कूल के मैदान में संभल कर चलती हुई कमलीश ठीक 9:45 पर रसोई के पास पहुंच जाती हैं। कमलीश विद्यालय की रसोई के सामने बैठ कर मिड डे मील परोसे जाने का इंतज़ार करती हैं।
कमलीश गोसाईंगंज ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय, कसिमपुर की स्कूल प्रबंधन समिति और माता-समूह की सदस्य हैं। गोसाईंगंज ब्लॉक लखनऊ जिले के अंतर्गत आता है जो मुख्य शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर है।
यह भी पढ़ें: शनिवार यानी... बिना बैग पढ़ाई
आरती सिंह जो साल 2008 से स्कूल में बतौर प्रधानाध्यापिका कार्यरत हैं, बताती हैं, 'कभी-कभार माता समूह की महिलाओं के आने में देर हो जाती है या खराब मौसम की वजह से वह नहीं आ पातीं हैं। लेकिन हर मंगलवार को कमलीश ठीक समय पर स्कूल पहुंच जाती हैं। मौसम खराब हो या कोई अन्य परेशानी वह कभी भी अपनी जिम्मेदारी निभाना नहीं भूलतीं। अगर गलती से उस दिन मेन्यू के हिसाब से भोजन न बना हो तो दस सवाल पूछती हैं।'
कमलीश यादव (48 वर्ष) ने कई वर्षों पहले एक दुर्घटना में अपना बायां पैर खो दिया था। मुसीबतें यहीं कम नहीं हुईं दो साल पहले उनके पति की सांप के काटने से मौत हो गयी थी। लेकिन कमलीश की हिम्मत नहीं टूटी। कमलीश के तीनो बेटों और पोते की जिम्मेदारी अचानक उनपर आयी तो उन्हें अशिक्षित होने का अहसास हुआ। अशिक्षा की वजह से उन्हें न ही उनके बड़े बेटे को अच्छी नौकरी मिली। परिवार को छोटे-मोटे काम कर के जैसे-तैसे घर चलना पड़ा।
यह भी पढ़ें: महिला शिक्षकों ने बदल दी स्कूल की सूरत
कमलीश बताती हैं, 'हमारे बेटे को नौकरी नहीं मिल रही थी, वह ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है। इसलिए अब हम अपने दोनों छोटे बच्चों को बराबर स्कूल भेजते हैं। हम बाकी बच्चों के घर भी जाते हैं जिनके माँ-बाप उनकी पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते।'
यह भी पढ़ें: एसएमसी सदस्य बन घर से निकल रहीं महिलाएं, समझ रहीं जिम्मेदारी
कमलीश खुद भी अक्सर समय से पहले पहुंच कर बच्चों की कक्षा के बाहर बैठ जाती हैं। पूरे ध्यान से शिक्षक द्वारा पढ़ाए जाने वाली बातें भी सुनती हैं। कमलीश बैसाखी के सहारे लोगों के घर-घर जाकर विद्यालय न जाने वाले बच्चों के अभिभावकों से उन्हें स्कूल भेजने को कहती हैं। कई बार क्लास के मॉनिटर भी कमलीश के साथ घूम-घूम कर बच्चों को सुबह स्कूल आने के लिए बुलाते हैं।
More Stories