वीडियो: इस स्कूल में हर बच्चा बोलता है फार्राटेदार अंग्रेजी

अक्सर सरकारी स्कूलों में पढ़ाई न होने, टीचरों की कमी, मिड-डे मिल न बनने जैसी ही खबरें सामने आती हैं, लेकिन श्रावस्ती जिले के मध्यनगर मनोहरपुर गाँव में स्थित प्राथमिक विद्वयालय ने एक अलग ही मिसाल पेश की है।

Diti BajpaiDiti Bajpai   12 Jun 2018 8:50 AM GMT

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इकौना (श्रावस्ती)। "माई नेम इज मानवी शर्मा, माई फादर्स नेम इज मिस्टर शिव कुमार शर्मा, माई डिस्ट्रिक नेम इज श्रावस्ती, आई रीड इन क्लास टू।" ये किसी प्राइवेट स्कूल के बच्ची का परिचय नहीं, बल्कि एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली बच्ची का परिचय है।

अक्सर सरकारी स्कूलों में पढ़ाई न होने, टीचरों की कमी, मिड-डे मिल न बनने जैसी ही खबरें सामने आती हैं, लेकिन श्रावस्ती जिले से करीब 50 किमी दूर इकौना ब्लॉक के मध्यनगर मनोहरपुर गाँव में स्थित प्राथमिक विद्वयालय ने एक अलग ही मिसाल पेश की है। इस स्कूल में हर वो संसाधन मौजूद हैं, जो एक अच्छे कॉन्वेंट स्कूल में होने चाहिए।



विद्यालय प्रंबधन समिति और शिक्षकों ने मिलकर बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल जैसी सुविधाएं दे रहे हैं। जब यह स्कूल खुला था तब यहां बहुत ही कम बच्चे पढ़ने आते थे। धीरे-धीरे समिति की बैठकें हुई और स्कूल में जो भी कमी थी, उसको पूरा किया गया। प्राथमिक स्कूल की सहायक अध्यापक नेहा पांडेय ने बताया, जब भी समिति की बैठक होती है उसमें विद्यालय में क्या कमी है, किसमें सुधार की आवश्यकता है, इस बारे में चर्चा होती है। हाल में स्कूल का फर्श टूट गया था तो बैठक हुई और ग्राम प्रधान के सहयोग से फर्श बनवाया गया।

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स्कूल देखने के बाद आप एक नजर में यह यकीन नहीं कर सकते कि यह प्राथमिक विद्यालय है। वर्ष 2014 में बने इस स्कूल में पहले कोई भी सुविधाएं नहीं थी। लेकिन विद्यालय प्रंबधन समिति के प्रयासों से स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए कुर्सी-मेज, शौचालय, हर कमरे में पंखे और फूलों की क्यारियां तैयार की गईं हैं। एक समय में जहां इस स्कूल में मात्र 50 बच्चे ही पढ़ने आते थे। वहीं अब 96 बच्चे पढ़ने आ रहे हैं।

मध्यनगर मनोहरपुर गाँव में स्थित प्राथमिक विद्यालय में कक्षा तीन में पढ़ने वाली भारती यादव बताती हैं, मुझे स्कूल आना बहुत अच्छा लगता है। स्कूल में जो प्रार्थना होती है उसको रोज मैं ही कराती हूं। बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले इसके लिए विद्यालय में लाइब्रेरी भी हैं, जहां छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं। लाइब्रेरी में 100 से ज्यादा किताबें भी उपलब्ध है।

जब भी मीटिंग होती है। हम इस अभिभावकों को बच्चों को समय पर स्कूल और बच्चे ड्रेस में स्कूल आएं, इसके लिए बोलते हैं क्योंकि अनुशासन होगा तभी बच्चे अच्छा कर सकेंगे। विद्यालय प्रंबधन समिति के अध्यक्ष नान बच्चा ने बताया, पूरे स्कूल में ग्राम प्रधान ने टाइल्स लगवाए हैं। सोलर पैनल लगवा रखे हैं ताकि बच्चे गर्मिंयों में स्कूल छोड़कर भाग जाते हैं वो न करें। पहले हमारे स्कूल में उत्तम चौधरी प्रधानाध्यापक थे जिनकी वजह से विद्यालय में कई तरह के प्रयास किए गए।

स्कूल में बच्चों की रुचि के अनुसार पढ़ाई का स्वरूप तय किया जाता है। बच्चों का स्कूल में ठहराव रहे इसके लिए खेल-खेल में पढ़ाया जाता है। इसके अलावा बच्चों के शारीरिक विकास के लिए बैडमिनटन, वॉलीबॉल, कैरम, क्रिकेट और शतरंज भी खेलवाया जाता है। सहायक अध्यापक नेहा पांडेय ने बताया, जो बैठक होती है उसमें शिक्षा से लेकर बच्चों के रहन सहन और साफ सफाई के बारे में बताया जाता है और अभिभावक इसके लिए जागरूक भी हो रहे हैं।

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शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने में विद्यालय प्रबंधन समिति की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस समिति को मजबूत बनाने के लिए यूनीसेफ संस्था भी काम कर रही है। इस संस्था ने लगभग दो साल पहले यूपी के छह जिले जिसमें बलरामपुर-श्रावस्ती, मिर्जापुर-सोनभद्र, बंदायू-लखनऊ में 'विद्यालय प्रबंधन समिति' को मजबूत करने का प्रयास किया। संस्था के इस प्रयास से दो वर्षों में विद्यालय प्रबंधन समिति को स्कूल और ग्राम पंचायत से सीधे जोड़ा गया। 80 से 90 प्रतिशत शिक्षक समय से स्कूल आने लगे। जिन विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति ज्यादा रहती है वहां के शिक्षक जिम्मेदारी से पढ़ाते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है शिक्षा की मांग बढ़ रही है।

साफ पानी पीने के लिए आरो प्लांट की व्यवस्था

जहां सरकारी स्कूलों में हैंडपंप स्कूल नहीं लगे है। वहीं इस स्कूल में ऑरो प्लांट लगा हुआ है। बच्चे ज्यादा समय स्कूल में ही गुजरते हैं इसलिए उनको सुविधाएं भी देना जरूरी हैं। हम लोगों ने बैठक में आरो प्लांट को लगवाने का निर्णय लिया। शिक्षक, ग्राम प्रधान ने मिलकर आरो लगवाया। सभी बच्चों को साफ और ठंडा पानी मिलता है। ऐसा बताते हैं विद्यालय प्रंबधन समिति के अध्यक्ष नान बच्चा।



स्कूल में बना है मॉडल शौचालय

स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्राम पंचायतों के सभी स्कूलों में मॉडल शौचालय बनने थे लेकिन ये शौचालय आपको कुछ ही स्कूलों में मिलेंगे। एसएमसी और ग्राम प्रधान के सहयोग से इस स्कूल में दो शौचालयों का निर्माण भी किया गया है। घरों में भी शौचालय बनवाए इसके लिए बैठक में अभिभावकों को जागरूक किया जाता है।

बिजली के लिए स्कूल में लगे सोलर पैनल

स्कूल में बिजली आए इसके लिए पांच सोलर पैनल भी लगवाए गए हैं। स्कूल की सहायक अध्यापिका नेहा पांडेय बताती हैं, पहले स्कूल में बिजली की व्यवस्था ही नहीं थी इसलिए बच्चों को बाहर बैठाकर पढ़ाना पड़ता था। जब बैठक हुई तो सोलर पैनल लगवाया गया। अब स्कूल में पंखे और लाइट जलती है। गर्मियों में बच्चे भागते भी नहीं है।

पेड़-पौधों से स्कूल को बनाया हरा-भरा

स्कूल में अंदर पहुंचते ही आपको चारों तरफ हरियाली दिख जाएगी। पेड़- पौधों के रख-रखाव के लिए विशेष ध्यान भी दिया जाता है। पेड़-पौधे हमारे लिए कितना जरूरी है इसके बारे में बच्चों को बताया जाता है। बच्चे स्कूल में लगे पेड़- पौधों का ध्यान रखते है। नेहा पांडेय ने गाँव कनेक्शन को बताया।

ड्रेस में आते हैं स्कूल की सभी बच्चे

एसएमसी और शिंक्षकों के प्रयासों से स्कूल के सभी बच्चे पूरी ड्रेस में और अनुशासन से आते हैं। समिति के अध्यक्ष नान बच्चा बताते हैं, मीटिंग में हर बार बच्चों को ड्रेस में और साफ सुथरे ढ़ग से भेजे इसके लिए अभिभावकों को बताया जाता है। लोगों में जागरूकता भी बढ़ रही है।" इस स्कूल में मीनू के हिसाब से मिड डे मील तैयार किया जाता है। इसके लिए दीवार पर दिन के हिसाब से मीनू भी लिखवाया गया है।

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