यहां हर शाम सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए चलती है स्पेशल क्लास

Divendra SinghDivendra Singh   29 Dec 2018 7:44 AM GMT

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यहां हर शाम सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए चलती है स्पेशल क्लास

माल (लखनऊ)। हर शाम को गाँव के सारे बच्चे यहां इकट्ठा हो जाते हैं और फिर शुरू होती है चर्चा किसके स्कूल में आज क्या पढ़ाया गया। ये बच्चे हर शाम को एक जगह पर इकट्ठे होकर पढ़ते हैं और जो समझ में नहीं आता उसमें उनकी मदद करते हैं, भइया और दीदी।

ग्रामीणों क्षेत्रों में ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों की पढ़ाई पर खास ध्यान नहीं दे पाते, ऐसे में गाँव के बड़े बच्चों ने छोटे बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी उठा रखी है। आठवीं में पढ़ने वाली झलक, महेशर और अंकित का काम होता है गाँव भर के बच्चों को इकट्ठा करना।

झलक हर शाम को बच्चों को अपने घर पर बुलाकर पढ़ाती हैं। झलक बताती हैं, "मुझे पढ़ाना बहुत अच्छा लगता है। पढ़ाने के साथ-साथ खुद की भी तैयारी हो जाती है। मैं तो बच्चों से रोज स्कूल जाने के लिए कहता हूं। गाँव के जो लोग अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते उन्हें पढ़ाई का महत्व समझाने की कोशिश करती हूं।

गाँव के रमेश कुमार बताते हैं, "अच्छा लगता है अब गाँव के बच्चे शाम को खेलने में अपना समय खराब नहीं करते हैं, हम लोग तो नहीं पढ़ पाए लेकिन बच्चे पढ़ लिखकर आगे बढ़े हम सभी सोचते हैं, लेकिन ध्यान नहीं दे पाते थे। अब जब से बड़े बच्चों ने जिम्मेदारी ली है, कोई बच्चा नहीं छूटता। अगर कोई बच्चा नहीं पहुंचता तो ये घर ये बुलाकर लाते हैं।"


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ये बच्चे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ गाँव के उन अभिभावकों को जागरूक करते हैं जिनके बच्चे स्कूल नहीं जाते। वहीं गाँव की कुछ बेटियां अनपढ़ महिलाओं को पढ़ना-लिखना सिखा रही हैं। बच्चों के इस प्रयास में विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्य भी सहयोग कर रहे हैं।

इस पाठशाला में हर दिन करीब 50 से अधिक बच्चे पढ़ने आते हैं, प्राथमिक विद्यालय की विद्यालय प्रबंधन समिति और गैर सरकारी संस्था वात्सल्य के सहयोग से सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल रही है। झलक और महेशर पहले गाँव भर के बच्चों को इकट्ठा करती हैं, फिर उन्हें पढ़ाती हैं।

महेशर बताती हैं, "सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों कोई होमवर्क नहीं मिलता है, हम लोग छोटे थे तो दिन भर घूमते स्कूल खुलने तक जितना कुछ पढ़ा रहता सब भूल जाते, लेकिन अब मुझे जितना आता है बच्चों को पढ़ा देती हूं। पहले तो छोटे बच्चे आना ही नहीं चाहते थे, लेकिन अब सब आते हैं, खेल के साथ ही हर दिन पढ़ायी भी हो जाती है।"

वात्सल्य संस्था की तरफ से इन बच्चों के लिए किताबें, कॉपियां और पढ़ाई के जरूरी सामान दिए गए हैं। इन बच्चों को संस्था की तरफ से ट्रेनिंग भी दी गई है कि कैसे बच्चों को पढ़ा सकते हैं। प्राथमिक विद्यालय की विद्यालय प्रबंधन समिति की सदस्य राम स्वरूप कहते हैं, "अब हर दिन सभी बच्चे एक जगह इकट्ठा हो जाते हैं, हम लोग भी बच्चों को देखते रहते हैं, बच्चे स्कूल बंद होने के बाद भी तो हमारी ही जिम्मेदारी में आते हैं।"

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