विद्यालय प्रबंधन समितियों के सहयोग से शिक्षा के स्तर में आया सुधार

विद्यालय के रखरखाव की व्यवस्था, वित्तीय प्रबंधन की व्यवस्था, बच्चों की स्कूलिंग की व्यवस्था, बच्चों के ड्राप आउट रोकने की व्यवस्था के बारे में एसएमसी को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण का प्रभाव एसएमसी पर पड़ रहा है। और पहले से ज्यादा मजबूती से विद्यालय प्रबंधन समितियां काम कर रही हैं।

Divendra SinghDivendra Singh   9 Jun 2018 6:47 AM GMT

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विद्यालय प्रबंधन समितियों के सहयोग से शिक्षा के स्तर में आया सुधार

लखनऊ। विद्यालय प्रबंधन समिति की मदद से शिक्षा के स्तर में क्या बदलाव आए हैं और शिक्षा व्यवस्था में यूनिसेफ की क्या महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, इस बारे में सर्व शिक्षा अभियान, उत्तर प्रदेश के राज्य परियोजना निदेशक डॉ. वेदपति मिश्रा ने खास बातचीत में कई जानकारियां साझा कीं।

डॉ. वेदपति मिश्रा बताते हैं, " अंतर्राष्ट्रीय संस्था यूनिसेफ द्वारा स्कूल प्रबंधन समितियों के सदस्यों को प्रशिक्षित करने का काम किया गया, लगभग 9 लाख लोग प्रशिक्षित किए गए हैं, विद्यालय के रखरखाव की व्यवस्था, वित्तीय प्रबंधन की व्यवस्था, बच्चों की स्कूलिंग की व्यवस्था, बच्चों के ड्राप आउट रोकने की व्यवस्था के बारे में उन्हें ब्रीफ किया गया, उस प्रशिक्षण का प्रभाव एसएमसी पर पड़ रहा है। और पहले से ज्यादा मजबूती से विद्यालय प्रबंधन समितियां काम कर रही हैं।"

वो आगे बताते हैं, "शिक्षा पर इसका प्रभाव पड़ा है, अभी सर्वे का परिणाम भी आया है बहुत सारे जनपदों में हमारे बच्चों ने मैथ्स, इंग्लिश में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है जहां पर थोड़ी बहुत कमी रह गई है उसमें सुधार करने की जरूरत है। उसमें हम यूनिसेफ का सहयोग ले रहे हैं और धीरे-धीरे डे टू डे हमारा जो शैक्षणिक स्तर है उसमें भी सुधार आ रहा है।"

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अभी हमने एमएमएसी के सदस्यों को जन पहल माड्यूल पर प्रशिक्षित किया है, प्रशिक्षण में बच्चों की उपस्थिति पर जोर दिया गया और एमएमएसी के सदस्यों के द्वारा सहयोग दिया जा रहा है एमएमएसी द्वारा विद्यालयों में बैठकें की जा रही है और बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने हेतु चर्चा की जा रही हैं।

आगे एमएमएसी के सदस्यों को और भी किया जाएगा प्रशिक्षित

अभी एसएमसी में जो प्रोक्योरमेंट प्रोसेस है, उसके बारे सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है, लेकिन अभी और भी प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। इसे अगले शैक्षणिक कैलेंडर में सम्मलित करके लागू किया जाएगा, और प्रयास ये भी रहेगा की जो भी एमएमएसी के लिए प्रोक्योरमेंट प्रोसेस है, वित्तीय नियम हैं उनका पालन करें और उनके अभिलेखों का, बिल बाउचर को सही ढंग से रखें, डाक्यूमेंटेसन सही से हो और कोई भी एजेंसी जब वहां पर जाये तो एमएमएसी सारे अभिलेख उनके सामने पेश कर सकें।

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रेडियो कार्यक्रम के बारे में उन्होंने बताया, "अभी हमने जनपहल रेडियो कार्यक्रम शुरू किया है, वो सप्ताह में दो दिन प्रसारित हो रहा है, पंद्रह मिनट के प्रोग्राम है, इसमें एमएमएसी के सदस्यों के कर्तव्यों, नियमों और उनकी जिम्मेदारियों की जानकारी दी जाती है।

सोशल आडिट के जरिए समय-समय पर निगरानी भी की जाती है, इस बारे में उन्होंने बताया, "विद्यालय प्रबंध समिति एवं सोशल आडिट टीम द्वारा विद्यालय का सोशल ऑडिट किया जाता है जिसमें विद्यालय में बच्चों की हकदारियों, उनके अधिगम स्तर, बच्चों को मिलने वाला एमडीएम, विद्यालयों में बच्चों को दी जा रही सुविधाओं के बारे में जानकारी और उसके बेहतरी के उपायों पर चर्चा कर दर्ज किया जाता है।"

यूनिसेफ की मदद से शिक्षा के स्तर में आयी बढ़ोत्तरी

हमारे एसएमसी के सदस्य यूनिसेफ के सहयोग से विद्यालयों की बेहतरी के लिए लगातार कार्य कर रहे हैं जिसके फलस्वरूप विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति में वृद्धि हुई है। जनपहल रेडियो कार्यक्रम की सहायता से समुदाय व एसएमसी में जागरूकता बढ़ रही है उसका परिणाम ये हुआ है कि बच्चे गणित व साइंस और भाषा में उनकी अधिगम उपलब्धि बढ़ रही है।

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