इस स्कूल में प्रयोगशाला की दीवारें ही बन गईं हैं बच्चों की किताबें

कोई बच्चा नहीं मारता रट्टा, प्रयोगशाला में मिलता है विज्ञान और गणित का ज्ञान, सोनभद्र के इस स्कूल में एसएमसी और अध्यापकों के सहयोग से बन गई विज्ञान प्रयोगशाला

Divendra SinghDivendra Singh   15 Oct 2018 9:08 AM GMT

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इस स्कूल में प्रयोगशाला की दीवारें ही बन गईं हैं बच्चों की किताबें

सोनभद्र। आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले पवन को क्लास से अधिक विज्ञान प्रयोगशाला में ज्यादा अच्छा लगता है, तभी तो वो हर दिन कुछ न कुछ नया सीखते रहते हैं। ये हैं पूर्व माध्यमिक विद्यालय जहां बच्चे किताबी ज्ञान के साथ ही प्रयोग के जरिए भी सीखते हैं।

सोनभद्र जिले के घोरावल ब्लॉक के ढुटेर कला का ये पूर्व माध्यमिक विद्यालय देखने में तो दूसरे सरकारी विद्यालयों की तरह ही है, लेकिन पढ़ाई के मामले में सबसे अलग है। इसका श्रेय जाता है विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और स्कूल के स्टाफ को, जिनके प्रयासों से आज यहां की तस्वीर बदल गई है। यहां विज्ञान शिक्षक राजकुमार किताबी ज्ञान के साथ ही प्रयोग करके भी बच्चों को विज्ञान पढ़ाते हैं। वो बताते हैं, "हम बच्चों को किताबें कितना रटा दें, बच्चे भूल जाते हैं। लेकिन प्रैक्टिकल के जरिए बच्चों को एक बार जो बता दिया जाता वो नहीं भूलते हैं।"

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विद्यालय प्रबंधन समिति के प्रयासों से बदली है इस स्कूल की तस्वीर


आज जो भी स्कूल में है सब विद्यालय प्रबंधन समिति प्रयासों से ही है। एसएमसी अध्यक्ष ज्ञानदास कन्नौजिया इतने एक्टिव हैं कि हर दिन एक बार स्कूल का चक्कर जरूर लगाते हैं। वो बताते हैं, "जब एसएमसी का गठन हुआ तो मुझे अध्यक्ष् बनाया गया तो हम सब का यही प्रयास रहता है कि हमारे बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले, वो स्कूल के साथ ही अपने माता-पिता का भी नाम करें। "

वो आगे कहते हैं, "यहां के विज्ञान अध्यापक बहुत एक्टिव हैं, शिक्षा विभाग की तरफ से जिले के कई स्कूलों में लैब बनाने का बजट आया था, आज तक वो नहीं बने और हमारे यहां बहुत अच्छे से काम हो रहा। ऐसे में बच्चों का भी मन लगा रहता है, ज्यादा बेहतर ढंग से समझ पाते हैं। विभाग से इतना बजट नहीं आया था कि पूरी लैब अच्छे से तैयार हो पाती, तब शिक्षकों और एसएमसी के सदस्यों ने पैसा इकट्ठा करके लैब को पूरा कराया।"

कई प्रतियोगिताओं में बच्चे ले चुके हैं भाग

यहां के बच्चे दूसरे विषयों के साथ ही विज्ञान और गणित में भी आगे रहते हैं, तभी तो जिला स्तरीय कई प्रतियोगिताओं में यहां के बच्चे अव्वल आते हैं। विज्ञान शिक्षक राजकुमार बताते हैं, "हमारे यहां के कई बच्चों ने ऐसे प्रोजेक्ट बनाए हैं, जिनसे जिलास्तर के अधिकारी भी खुश हुए हैं। विज्ञान की नई तकनीकी विधि से घुमती हुई पेन, हाईड्रोलिक क्रेन, इलेक्ट्रिक मोटर, हाईड्रोलिक जेक जैसे कई यंत्रों को बनाकर अपना हुनर प्रदर्शित कर चुके हैं।"

"सर ने हमें प्रयोगशाला हर दिन कुछ न कुछ नया सिखाते ही रहते हैं, बाहर से कोई भी अब आता है तो हम उन्हें प्रयोग करके दिखाते हैं।"
विकास, कक्षा-सात

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आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले पवन कहते हैं, "हम लोग हर दिन पढ़ने के साथ ही लैब में जरूर जाते हैं, सर हर दिन कुछ न कुछ नया सिखाते ही रहते हैं।"


डीएम और सीडीओ भी कर चुके हैं इस स्कूल का दौरा

समय-समय पर यहां जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, खंड विकास अधिकारी भी यहां आते रहते हैं। जिले में कोई भी नया अधिकारी यहां आता है तो एक बार इस स्कूल को देखने जरूर आता है। ज्ञानदास कन्नौजिया बताते हैं, "कोई भी अधिकारी या विधायक आता है तो हम उनसे सुझाव भी मांगते हैं कि हम और बेहतर ढंग से कैसे स्कूल को चला सकते हैं।"

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घर-घर जाकर बच्चों को बुलाते हैं एसएमसी अध्यक्ष

शुरूआत में अभिभावक अपने बच्चों की तरफ ध्यान ही नहीं देते थे, कई-कई दिन तक बच्चे गायब रहते थे। लेकिन जब से एसएमसी का गठन हुआ शायद ही कोई बच्चा कभी अनुपस्थित होता है। एसएमसी अध्यक्ष ज्ञानदास कन्नौजिया बताते हैं, "मैं एक बार गाँव का चक्कर जरूर लगा लेता हूं, कोई बच्चा अबसेंट तो नहीं हुआ है। हम अभिभावकों को भी समझाते हैं कि जब अध्यापक इतनी दूर से बच्चों को पढ़ाने आते हैं तो बच्चे को स्कूल न भेजकर आप अपना ही नुकसान करते हैं।"

प्रयोगशाला की दीवार ही बन गई है बच्चों की किताब


प्रयोगशाला की दीवार पर गणित और विज्ञान के सूत्रों के साथ कई मशहूर वैज्ञानिकों के पोस्टर लगाए गए हैं, जिससे बच्चे पढ़ते समझते रहते हैं। स्कूल के प्रधानाध्यापक यतिनन्दनलाल कहते हैं, "हम बच्चों से ये कभी नहीं कहते कि वो किसी विषय को रटकर याद करें, इसलिए स्कूल का ऐसा माहौल बनाया गया है, जिससे बच्चे चलते-फिरते, आते-जाते ज्यादा अच्छे से सीखते हैं।"

"कई ऐसे बच्चे हैं जिनका मन विज्ञान और गणित में खूब लगता है, यही बच्चे आगे चलकर वैज्ञानिक बन सकते हैं बस उन्हें सही सही रास्ता दिखाने की जरूरत है।"
राजकुमार, विज्ञान शिक्षक

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प्रबन्ध समिति के सदस्य खुद करते हैं सफाई

वैसे तो स्कूल की सफाई की जिम्मेदारी गांव के सफाई कर्मी की होती है, लेकिन यहां सदस्य खुद विद्यालय की सफाई करते हैं। प्रत्येक सप्ताह पूरे परिसर की सफाई होती है। हर क्लास को धोया जाता है। स्कूल में लगे पेड़-पौधों की नियमित कटाई-छंटाई होती है। इसके साथ साथ प्रबन्ध समिति के सदस्य समाजसेवी और जनप्रतिनिधियों से मिलकर स्कूल के विकास और शैक्षिक संसाधनों से स्कूल को समृद्ध करने में जुटे हुए हैं। जन सहयोग से स्कूल में कंप्यूटर, पंखे, बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर की व्यवस्था है जिसने स्कूल की सूरत बदलकर रख दी है।

दूसरे ब्लॉक से भी बच्चे आते हैं पढ़ने

पूरे जिले में अपनी पढ़ाई के लिए मशहूर इस स्कूल में दूसरे ब्लॉक से बच्चे पढ़ने आते हैं। तभी तो यहां बच्चों की संख्या दो सौ पार गई है।

विद्यालय में बच्चों की संख्या

कुल - 214

छात्र- 121

छात्रा - 93

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