सरकारी स्कूल की प्रिसिंपल की सोच की आप भी करेंगे तारीफ़

प्रधान की मदद और प्रधानाध्यापक और एसएमसी सदस्यों की कोशिशों से बदली श्रावस्ती के मॉडल स्कूल पांडेयपुरवा की रंगत,विद्यालय में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की वजह से अभिभावक खुद अपने बच्चों का प्रवेश कराने लाते हैं

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   8 Oct 2018 11:03 AM GMT

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श्रावस्ती। मॉडल स्कूल पांडेयपुरवा की प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में अलग ही पहचान है। प्रधानाध्यापक, ग्राम प्रधान और एसएमसी सदस्यों की कोशिश ने इस विद्यालय की रंगत ही बदल दी है। विद्यालय के कमरों में टाइल्स, शौचालय के साथ शानदार किचन बना है। इस स्कूल में बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा दी जा रही है। इसके साथ ही खेल-खेल में पढ़ाया जाता है।

विकासखंड हरिहरपुर रानी के पांडेयपुरवा स्थित प्राथमिक विद्यालय की हालत कुछ वर्ष पहले तक काफी बदहाल थी। टूटी दीवारें, इधर-उधर दौड़ते बच्चे यही इस विद्यालय की पहचान थी। अप्रैल 2018 में यहां प्रधानाध्यापक अनुराग पांडेय की तैनाती हुई। अनुराग ने आते ही नए प्रयोग करने शुरू कर दिए।

अभिभावकों ने समझी जिम्मेदारी, अब हर एक बच्चा जाता है स्कूल


प्रधानाध्यापक अनुराग पांडेय ने बताया, 'सबसे पहले मैंने प्रधान से मिलकर गांव में खुली बैठक का आयोजन कराया और विद्यालय की कार्य योजना सौंप दी। प्रधान ने अपनी निधि से विद्यालय की दशा और दिशा बदल दी। स्कूल देखने के बाद आप एक नजर में यह यकीन नहीं कर सकते कि यह प्राथमिक विद्यालय है।

हर कमरे में फर्श पर चमचमाती टाइल्स, दीवारों पर शानदार पेंटिंग और हर कमरे में पंखे लगे हैं। बीएसए के माध्यम से बच्चों के बैठने के लिए सीटों का इंतजाम किया। हम लोग एक-एक बच्चे पर ध्यान देते हैं। हमारी कोशिश रहती है कि कोई भी बच्चा पढ़ाई में पीछे न रह जाए।'

अभिभावकों ने सहयोग कर बदली व्यवस्था

प्रधानाध्यापक अनुराग पांडेय, प्रधान राजेंद्र प्रसाद और एसएमसी सदस्यों ने आसपास के लोगों के सहयोग से प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर बदल दी। शिक्षा से लेकर बच्चों के रहन सहन और साफ सफाई के बारे में बताने के साथ ही अभिभावकों से मिलकर विद्यालय के लिए सहयोग लिया।

अभिभावक पवन कुमार ने बताया, 'मेरे बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं। यहां पर पढ़ाई बहुत अच्छी होती है। अब तो इस स्कूल में अंग्रेजी भी पढ़ाई जाने लगी है। स्कूल के सभी टीचर मन से बच्चों को पढ़ाते हैं। जब कभी प्रधान और शिक्षक किसी बैठक के लिए बुलाते हैं हम लोग पूरा सहयोग करते हैं।'

"गाँव का हर बच्चा ख़ूब पढ़े, अफ़सर बने और अच्छी नौकरी करे,"


एसएमसी अध्यक्ष राम मनोहर वर्मा ने बताया, 'हमारा जिला शिक्षा के मामले में काफी पीछे है। हमारी कोशिश है कि हमारा जिला शिक्षा के क्षेत्र में बहुत आगे जाए, इसलिए मैं शिक्षा को बहुत महत्व देता हूं। मैं चाहता हूं कि मेरे गांव का एक भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रह जाए।

इसके लिए मैं अपने एसएमसी सदस्यों के साथ मिलकर स्कूल जाने वाले हर बच्चे के माता-पिता से हर माह मिलता हूं। उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में बताता हूं। उन्हें कोई दिक्कत है तो उस परेशानी का समाधान कराता हूं। अभिभावक हमारी बातों का मानते हैं और अपने बच्चों को स्कूल जरूर भेजते हैं।'

प्रोजेक्टर से बच्चों की होती है पढ़ाई

सहायक अध्यापिका अंशू रानी ने बताया, 'हमारे विद्यालय में 145 बच्चे पंजीकृत हैं, जिसमें 63 छात्र और 82 छात्राएं हैं। सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की वजह से अभिभावक खुद उनका प्रवेश करवाने के लिए आगे आए। हमारे स्कूल में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई होती है। प्रोजक्टर से स्मार्ट क्लास के अलावा बच्चों को प्रेरणादायक फिल्में और कहानियां दिखाई जाती हैं। बच्चों को कैरम, बैडमिंटन, क्रिकेट और शतरंज भी खेलवाया जाता है। स्कूल के विकास में प्रधान ने भी सहयोग किया है।'

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बायोमैट्रिक मशीन से शिक्षकों और बच्चों की हाजिरी

पूर्व माध्यमिक विद्यालय निजी स्कूलों को भी मात दे रहा है। इस इस स्कूल में शिक्षकों और बच्चों की हाजिरी बायोमैट्रिक मशीन से लगती है। कोई भी लेट नहीं हो सकता। बच्चों को शुद्ध पानी पिलाने के लिए आरओ भी लग रहा है।

विद्यालय के लिए प्रधान ने खर्च किए दस लाख रुपये

मॉडल स्कूल पांडेयपुरवा प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान गढ़ रहा है। इस स्कूल को संवारने में ग्राम प्रधान राजेंद्र प्रसाद पांडेय की महत्वपूर्ण भूमिका है। पंचायत निधि से करीब 10 लाख रुपये खर्च कर प्रधान ने स्कूल की सूरत ही बदल डाली। कमरों में टाइल्स, शौचालय के साथ सबमर्सिबल और शानदार किचन बनवाया। कभी बदहाल रहे प्राथमिक स्कूल की तस्वीर इन दिनों देखते ही बनती है।

ग्राम प्रधान राजेश पांडेय ने बताया, " विद्यालय के प्रधानाध्यापक मेरे पास आए और स्कूल की स्थिति के बारे में बताया। स्कूल की हालत बहुत खराब थी। मैंने प्रधान निधि से करीब दस लाख रुपए खर्च कर विद्यालय में निर्माण करवाया। अब स्कूल के सभी कमरे और ऑफिस टाइल्स और पेटिंग से चमचमा रहे हैं। स्कूल में मिड डे मील तैयार करने के लिए किचन बनाया गया है। बच्चों के हाथ धोने के लिए वॉश बेसिन भी बनवाया गया है। जहां साबुन के साथ साफ तौलिया भी हर वक्त रखा रहता है।"

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