अनोखा स्कूल: जहां ट्रेन के डिब्बों में चलती है बच्चों की स्पेशल क्लास

स्कूल को आकर्षक बनाने के लिए ऐसी पेंटिंग कराई कि विद्यालय भवन ट्रेन जैसा दिखने लगा। अब जबकि पूरे ग्राम पंचायत में दो विद्यालय संचालित हैं उसके बाद भी इनके यहां बच्चों की संख्या 90 से अधिक है। बच्चों के लिए पहले ट्रेन का आकर्षण काम आता है और फिर अच्छी पढ़ाई।

Divendra SinghDivendra Singh   13 Oct 2018 12:46 PM GMT

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अनोखा स्कूल: जहां ट्रेन के डिब्बों में चलती है बच्चों की स्पेशल क्लास

घोरावल (सोनभद्र)। हर दिन सुबह बच्चे आते ही ट्रेन के डिब्बे और बस में अपनी-अपनी सीट पर बैठ जाते हैं, इसके बाद दिन भर बच्चों की क्लास यहीं पर लगती है। आपको लग रहा होगा कि स्कूल वो भी ट्रेन और बस में, लेकिन ये सच है। इस सरकारी विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने विद्यालय को ऐसा पेंट कराया है कि आप भी धोखा खा जाएंगे।

सोनभद्र जिला मुख्यालय से लगभग 15 किमी. दूर घोरावल ब्लॉक के दुरावल खुर्द गाँव में है ये प्राथमिक विद्यालय। यहां के प्रधानाध्यापक राजकुमार सिंह के प्रयासों से आज ये स्कूल सोनभद्र जिले ही नहीं पूरे प्रदेश में अपनी अलग पहचान बना रहा है। राजकुमार सिंह को स्कूल का कायाकल्प करने के लिए शिक्षा विभाग से ज्यादा मदद नहीं मिली तो अपनी सैलरी से स्कूल को बदलने की ठानी।


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राजकुमार सिंह बताते हैं, "साल 2012 में जब प्राथमि‍क विद्यायल में मेरी नियुक्ति हुई तो बहुत कम बच्चे आते थे, बच्चों को मन पढ़ने में न लगता और अभिभावक खुद भी अपने बच्चों को नहीं भेजना चाहते थे, ऐसे में बच्चों में स्कूल आने और पढ़ाई में इंट्रेस्ट बढ़ाने के लिए मैंने स्कूल को ट्रेन और बस की तरह बनाने के बारे में सोचा।"

स्कूल को आकर्षक बनाने के लिए ऐसी पेंटिंग कराई कि विद्यालय भवन ट्रेन जैसा दिखने लगा। अब जबकि पूरे ग्राम पंचायत में दो विद्यालय संचालित हैं उसके बाद भी इनके यहां बच्चों की संख्या 90 से अधिक है। बच्चों के लिए पहले ट्रेन का आकर्षण काम आता है और फिर अच्छी पढ़ाई।

वो आगे बताते हैं, "सोशल मीडिया में ऐसे ही एक स्कूल के बारे देखा था, गाँव में बच्चों का इंट्रेस्ट जगाने के लिए ऐसा कुछ करना होता है, जिससे उनका मन लगा रहे।"

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ट्रेन का नाम है दुरावल एक्सप्रेस

हर कमरे बोगी के तरह बने हुए हैं और उनमें जाने के लिए सीढ़ियां भी लगी हैं। यहां तक की कमरों का नाम एस वन, एस टू जैसी बोगियों के नाम पर हैं और आगे इंजन का लुक दिया गया है। जहां पर क्लास के हिसाब से बच्चे बैठते हैं। क्लास रूम में ट्रेन की तरह सिटिंग अरेजमेंट भी किया गया है।

"सरकारी स्कूलों से लोग दूर भागते हैं उन्हें लगता है कि यहां पढ़ाई नहीं होती है, बस इसी सोच को बदलने में हम लगे हैं कि पढ़ाई के साथ ही यहां भी सारी सुविधाएं मिलती हैं जो दूसरे स्कूलों में फीस देकर मिलती है। अब लोगों की सोच बदल भी रही है।"
राजकुमार सिंह, प्रधानाध्यापक, प्राथमिक विद्यालय


विद्यालय प्रबंधन समिति का भी मिलता पूरा साथ

विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्य भी विद्यालय का पूरा सहयोग करते हैं। सहायक अध्यापक कमलेश कुमार गुप्ता बताते हैं, "इसी साल ये स्कूल इंग्लिश मीडियम हुआ है, तो हमारा कंपटीशन भी बढ़ रहा है। हमने अभिभावकों से कहा कि उन्हें बच्चों के यूनिफार्म और किताब को कोई खर्च नहीं लगता है तो एक अतिरिक्त यूनिफार्म बच्चों के लिए खरीद सकते हैं, जिससे हम दूसरे स्कूलों से अलग दिखें।"

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वहीं अभिभावक रमेश बताते हैं, "इसके पहले हम हर महीने महंगी फीस देकर प्राइवेट स्कूल में भेजते थे, अब यहां ऐसा कुछ नहीं है, लेकिन बच्चे पढ़ने में अच्छे हो गए है। तो हम लोग भी स्कूल की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।"

नहीं करते बजट का इंतजार, आपसी सहयोग से हो जाते हैं सारे काम


विद्यालय में इस समय एक प्रधानाध्यापक, छह सहायक अध्यापक और एक शिक्षामित्र की नियुक्ति है। इंग्लिश मीडियम होने के बाद यहां पर अध्यापकों की संख्या बढ़ी है। अब स्कूल मे कोई भी जरूरत होती है, बजट का इंतजार नहीं करते हैं। महीने में सभी अपनी एक-एक दिन की सैलरी दे देते हैं। सहायक अध्यापक कमलेश कुमार गुप्ता बताते हैं, "अभी जल्द ही सभी के सहयोग से स्कूल में बैंड, स्पीकर, माइक जैसे सामान आए हैं।"

इस स्कूल में होती है पैरेंट्स-टीचर मीटिंग

विद्यालय प्रबंधन समिति के बनने से यहां के अभिभावक भी जागरूक हो रहे हैं। एसएमसी की मीटिंग के साथ अब इस सरकारी स्कूल में पैरेंट्स-टीचर मीटिंग भी होने लगी है, जिसमें सभी अभिभावक हिस्सा लेते हैं। इस मीटिंग में बच्चों पढ़ाई के साथ ही स्कूल के लिए क्या नया कर सकते हैं, इन सब मुद्दों पर बात होती है।

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हर दिन 45 मिनट की लगती है मॉर्निंग असेम्बली

दुरावल खुर्द के इस प्राथमिक विद्यालय में हर दिन 45 मिनट की मॉर्निंग असेम्बली लगती है। इसमें बच्चों को कई सारी गतिविधियां कराई जाती हैं, जिसमें योग और सामान्य ज्ञान के बारे में बातया जाता है। जैसे कि उस दिन देश-दुनिया में खास हुआ है। तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली रोशनी अब इंग्लिश में अपना परिचय देने लगी हैं और बड़े होकर डॉक्टर बनना चाहती हैं। वो बताती हैं, "पहले मैं दूसरे स्कूल में पढ़ती थी इस बार पापा ने यहां पर नाम लिखा दिया है, मैं ही मेरे साथ कई लोगों का नाम इस बार यहां लिखा दिया गया है।

दुरावल खुर्द प्राथमिक विद्यालय में बच्चों की संख्या

  • कुल बच्चे- 97
  • छात्र- 42
  • छात्रा - 55

सोनभद्र में स्कूलों संख्या

प्राथमिक विद्यालय - 1804

पूर्व माध्यमिक विद्यालय – 654

           

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