बच्चे पर रखते हैं ध्यान, बखूभी निभाते हैं ज़िम्मेदारी

प्रधानाध्यापक और एसएमसी अध्यक्ष के सहयोग से बदल रही स्कूल की तस्वीर। विद्यालय की भलाई के लिए एमएमसी सदस्य हमेशा रहते हैं सक्रिय

Jigyasa MishraJigyasa Mishra   31 Oct 2018 11:17 AM GMT

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बच्चे पर रखते हैं ध्यान, बखूभी निभाते हैं ज़िम्मेदारी

बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)। बच्चों की प्रार्थना सभा शुरू होने से पहले सलीम विद्यालय पहुंच कर रामसुधि को पिछले दिनों अनुपस्थित बच्चों के बारे में बताने लगते हैं। "अमन के दादी की तबियत ठीक नहीं है इसलिए वह कुछ दिनों से विद्यालय नहीं आ रहा," सलीम रामसुधि को बताते हैं।

सलीम बाराबंकी जिले के निंदूरा ब्लॉक में स्थित प्राथमिक विद्यालय इटौंजा के स्कूल प्रबंधन समिति सदस्य हैं और रामसुधि इसी विद्यालय के प्रधानध्यापक। विद्यालय में कुल 152 बच्चे नामांकित हैं जिनमे 82 लड़के हैं और 70 लड़कियां। "हमें अपने एसएमसी मेंबर्स को कभी भी उनकी ज़िम्मेदारियों का ध्यान नहीं दिलाना पड़ता है। ये लोग जितने बेहतर तरीके से गाँव वालों को समझ और समझा पाते हैं, वैसा करना हमारे लिए थोड़ा मुश्किल होता है," रामसुधि बताते हैं।

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सलीम का घर विद्यालय से लगा हुआ ही है, करीबन 20 कदम की दूरी पर। यही वजह है कि सलीम प्रतिदिन विद्यालय पहुँचते हैं और शिक्षकों से मिलकर जानते हैं कि कौन सा बच्चा स्कूल नहीं आ रहा और जो बच्चा आ भी रहा है उनमे से किन बच्चों की कक्षा में प्रस्तुति अच्छी नहीं है। फिर सलीम विद्यालय में पढ़ने वाले उन बच्चों के घर जाकर, उनके अभिभावकों से मिलकर इसकी वजह जानते हैं। "मैं अपने बच्चे को नियमित स्कूल भेजता हूँ और शाम में उसका गृहकार्य करवाता हूँ, उसी तरह गाँव के सभी अभिभावक यदि अपने अपने बच्चों पर ध्यान दें तो काफी सुधार आएगा। इसलिए हम लोग हमेशा अभिभावकों से बात कर के उन्हें समझाते हैं," सलीम ने बताया।

सलीम अकेले ही विद्यालय में पढ़ने वाले 152 बच्चों की व्यक्तिगत जानकारियां नहीं इकट्ठी करते। सलीम की ही तरह हरी शंकर भी बराबर तरीके से विद्यालय में गुणवक्ता लाने के लिए कार्यरत रहते हैं। हरिशंकर विद्यालय के स्कूल प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष हैं और पूरा ध्यान रखते हैं सभी बच्चों के अभिभावक महीने में एक बार मीटिंग के लिए स्कूल ज़रूर आएं। हरी शंकर गाँव वालों को समझते हैं कि वो बच्चों को काम में न लगायें और नियमित रूप से उन्हें विद्यालय भेजें।

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विद्यालय में पढ़ने वाली प्रियंका बताती है, "पहले हम भी मम्मी-पापा के काम में उनकी मदद करते थे लेकिन जब से सर और मैडम ने मम्मी-पापा से बात की है, अब वो लोग हमें काम नहीं करने देते और हमेशा पढ़ने के लिए बोलते हैं।"

ग्राम प्रधान अनीता वर्मा बच्चों के सेहत का पूरा ध्यान रखने के लिए स्कूल में बन रहे मिड-दे-मिल का खुद ही पूरा ध्यान रखती हैं। विद्यालय के प्रधानाध्यापक, रामसुधि बताते हैं, "चाहे बच्चों के भोजन का राशन लाना हो या सब्ज़ियां, प्रधान मैडम खुद ही सभी चीज़ों का ध्यान रखती हैं और जब से पोषण माह शुरू हुआ है, अकसर विद्यालय आकर बच्चों के लिए बन रहे भोजन का भी निरिक्षण करती हैं।

प्रबंधन समिति की उपाध्यक्ष सानिया और रेनू देवी भी विद्यार्थियों की माताओं से समय समय पर मिल कर उन्हें बच्चों को घर में पढ़ाने और प्रतिदिन स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करती हैं। "हमें जब भी कोई मीटिंग करनी होती है या अभिभावकों/ बच्चों के बारे में जानकारी चाहिए होती है हम रेनु जी बुलाते हैं और वो सारा काम छोड़कर हमें वक़्त देती हैं," सहायक अध्यापक लता देवी बताती हैं।

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