जिस बदहाल स्कूल में ग्राम प्रधान ने की थी पढ़ाई, उस स्कूल को बनाया हाईटेक

जिस सरकारी विद्यालय में ग्राम प्रधान ने पढ़ाई की थी, आज उन्होंने उस विद्यालय की तस्वीर बदल दी है, अगर ऐसा ही हर ग्राम प्रधान अपनी पंचायतों में करें तो प्राथमिक शिक्षा का स्तर सुधर सकता है।

Divendra SinghDivendra Singh   20 July 2018 9:09 AM GMT

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जिस बदहाल स्कूल में ग्राम प्रधान ने की थी पढ़ाई, उस स्कूल को बनाया हाईटेक

भनवापुर (सिद्धार्थनगर)। ग्राम प्रधान बनने के बाद लोग दूसरे कामों में लग जाते हैं, लोगों के मन में ग्राम प्रधानों के लिए यही छवि बन गई है, लेकिन इस ग्राम प्रधान की ग्राम पंचायत को देखकर आप अपनी सोच बदल देंगे।

सिद्धार्थ नगर ज़िला मुख्यालय से करीब 60 किमी. दूर भनवापुर ब्लॉक के हसुड़ी औसानपुर ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान दिलीप त्रिपाठी ने अपने गाँव में विकास की शुरूआत सरकारी विद्यालयों से की उन्होंने अब तक खुद के लगभग 6 लाख रुपए खर्च के हाईटेक विद्यालय बना दिया है। दिलीप त्रिपाठी बताते हैं, "मैंने भी इसी प्राथमिक विद्यालय और पूर्व माध्यमिक विद्यालय ये पढ़ायी की थी, इसलिए यहीं से शुरूआत की।"

दिलीप त्रिपाठी ने आज इन विद्यालयों की तस्वीर ही बदल दी है, दो साल पहले तक हसुड़ी भी देश के उन गांवों में शामिल था जहां मूलभूत सुविधाएं तक नहीं थीं। लेकिन आज शहरों को मात देता हाईटेक प्राइमरी और जूनियर स्कूल है, पूरा गांव गुलाबी रंग में रंगा है। हर गली नुक्कड़ पर सीसीटीवी और लाउडस्पीकर लगे हैं।


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उनके प्रयास से गांव में स्थित प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय का पूरी तरह कायाकल्प हो चुका है, ये अब हाईटेक विद्यालय बन गए हैं। फर्श पर लगे टाइल्स, दीवारों पर लगी पुट्टी व शौचालयों में लगा फ्लश इस विद्यालय को अन्य विद्यालयों की श्रेणी से अलग करता है। प्राथमिक विद्यालय में अध्यनरत 125 छात्रों पर 4 तो पूर्व माध्यमिक विद्यालय में 36 छात्रों पर दो अध्यापक हैं। दोनों विद्यालयों में चार-चार सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं।

देश की करीब 70 फीसदी आबादी गाँवों में रहती है और पूरे देश में सवा छह लाख गांव हैं। ग्राम पंचायत की आबादी के हिसाब से हर साल ग्राम प्रधानों के खातों में विकास के लिए पैसा आता है। सिद्धार्थनगर में 1199 ग्राम पंचायतें हैं, 1190 वें नम्बर पर कम आबादी वाली हसुड़ी औसानापुर ग्राम पंचायत है, जिसमे 1024 की आबादी है। छोटी पंचायत होने की वजह से यहां एक साल का बजट लगभग पांच लाख रुपए आता है।

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अपने गांव का विकास करने वाले दिलीप त्रिपाठी का कहना है, "मैं अपने गांव में वो हर एक सुविधा देने की कोशिश कर रहा हूं जिससे हमारे जिले की जो पिछड़ेपन की छवि बनी है वो इससे कम हो सके। हर पात्र व्यक्ति को सरकारी योजनाओं का लाभ मिले। गांव की हर बेटी सुरक्षित रहे, हर बच्चे को बेहतर शिक्षा मिले, घर की पहचान बेटी के नाम से हो, ऐसी तमाम बातों का खास ध्यान रखा है। हर घर को गुलाबी रंग से पुतवाया है। सिलाई-कढ़ाई केंद्र, कुटीर उद्योग, जैविक खेती को बढ़ावा जैसी कई सुविधाएं देने की कोशिश की है जिससे यहां का पलायन रुक सके।"


यहां के प्राथमिक विद्यालय को इस साल अंग्रेजी माध्यय से भी कर दिया गया है, दिलीप बताते हैं, "प्रधान बनने के बाद सबसे पहले अपने गाँव को ही गोद ले लिया, और शुरूआत स्कूल से की। एक समय था कि स्कूल के सामने की सड़क पर पानी भरा रहता था। आज इस विद्यालय को देखने के लिए लोग आते हैं।"

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गांव का विकास हर हाल में करना है इस सोच को पूरा करने के लिए ग्राम प्रधान दिलीप त्रिपाठी के लिए कम बजट बाधा नहीं बना। गांव के मुख्य मार्ग से लेकर हर मोहल्ले में 23 सीसीटीवी कैमरें, 90 एलईडी स्ट्रीट लाइट, 20 स्ट्रीट सोलर लाइट, 23 पब्लिक एड्रेस सिस्टम, हर तीसरे घर पर एक कूड़ादान पूरे गाँव में 40 कूड़ादान, कॉमन सर्विस सेंटर, वाई-फाई, कम्यूटर क्लासेज, मार्डन स्कूल, पूर्वांचल सांस्कृतिक संग्रहालय जैसी तमाम सुविधाएं है।

इस पंचायत में 95 प्रतिशत ग्रामीणों के आधार कार्ड, 97 प्रतिशत बिजली कनेक्शन, सभी पात्र लाभार्थियों को हर सरकारी योजना के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करके सम्बंधित विभाग को भेज दिया गया है। 'डिजिटल हसुड़ी डाट काम' पर गाँव के एक परिवार के बारे में 36 तरह की जानकारी उपलब्ध है।

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प्रधानमंत्री ने भी किया है सम्मानित


हसुड़ी औसानपुर को पंचायती राज दिवस पर नाना जी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम पुरस्कार और दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। दिलीप त्रिपाठी देश के पहले ग्राम प्रधान हैं जिन्हें दोनों पुरस्कार एक साथ मिले हैं। दिलीप त्रिपाठी बताते हैं, "हमारा देश का पहला गाँव हे, जिसे दोनों पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, नाना जी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम पुरस्कार के साथ दस लाख और दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार के साथ आठ लाख रुपए की सहायता राशि भी मिली है। इन पैसों से गाँव में जिम, बच्चों के लिए पार्क और लाइब्रेरी बनानी है, इतना पैसे चार साल में मिलते एक साथ मिले हैं, इसे गाँव के विकास कार्य में ही लगाऊंगा।"

      

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