गर्मियां सिर पर हैं और फलों का राजा आम भी बाज़ार में दस्तक दे चुका है। हर घरों में फलों के इस राजा का स्वाद बड़े आनंद से लिया जाता है। जहां एक तरफ कच्चे आम से अचार, मुरब्बे और अनेक स्वादिष्ठ पेय पदार्थ बनाए जाते हैं, वहीं पके हुए आम भोजन के साथ बड़े मजे से खाए जाते हैं। आम के फलों के अलावा इसके सारे अंगों में अनेक औषधीय गुण विराजमान हैं, वास्तव में पूरा आम का पेड़ ही औषधीय गुणों का खजाना है। न सिर्फ पके और कच्चे दोनों तरह के आम बल्कि आम के पेड़ के तमाम अंगों और गुठलियों को भी आदिवासी औषधि के तौर पर सदियों से अपनाते चले आ रहे हैं। चलिए आम के इस मौसम में हम जानते हैं आम से जुड़े देशी आदिवासी हर्बल नुस्खों को, इन नुस्खों को आप जान जाएंगे तो आप भी कहेंगे “आम तो आम, गुठली के भी दाम”।
ताजे हरे आम के बीजों यानि गुठलियों को सुखा लिया जाए और कुचलकर चूर्ण तैयार किया जाए। इस चूर्ण में स्वादानुसार काला नमक और जीरा पाउडर मिलाया जाए और अपचन होने की दशा में रोगी को दिया जाए तो अतिशीघ्र आराम मिल जाता है। इस नुस्खे को २-3 दिन तक लगातार दिया जाए तो समस्या में आराम मिल जाता है। आम की गुठलियों के चूर्ण को दही के साथ मिलाकर देने से दस्त में तेजी से आराम मिलता है।
डाँग- गुजरात में दस्त और बदहजमी की हालत में अक्सर रोगी को यही देसी नुस्खा दिया जाता है। लू लगने पर भी इसी फार्मूले का इस्तेमाल इन्हीं आदिवासियों द्वारा किया जाता है। इस नुस्खे को तैयार करने के लिए आम की गुठलियों को सुखाकर चूर्ण तैयार किया जाए और आधा चम्मच चूर्ण आधे कप दही में मिलाकर दिया जाना चाहिए। कई आधुनिक शोध इस फार्मूले को सत्यापित भी कर चुकी हैं। आम की गुठलियों का चूर्ण, कमल के सूखे फूल, बीज और सूखी पत्तियों की समान मात्रा लेकर कुचल लिया जाए और अच्छी तरह से मिला लिया जाए और महिला को दिया जाए तो उसके गर्भधारण करने की गुंजाइश बढ़ जाती है।
आदिवासी हर्बल जानकार संतान प्राप्ति के लिए हर्बल नुस्खों के तौर पर इसे अपनाने की सलाह देते हैं। बच्चों के पेट में कृमि होने की दशा में आम की गुठलियों के चूर्ण और विडंग नामक जड़ी-बूटी की समान मात्रा मिलाकर रात सोने से पहले दिया जाए तो कृमि मृत होकर मल के साथ बाहर निकल आते हैं। आम की गुठलियों के रस को नकसीर/नाक से लगातार खून निकलते रहने की शिकायत में काफी कारगर माना जाता है।
डाँग-गुजरात के हर्बल जानकारों के अनुसार दिन में तीन बार इस रस की 2-2 बूंद मात्रा नाक में डाली जाए तो शीघ्र समस्या का निदान होने लगता है। आम की ताजा पत्तियों के रस को एसिडिटी नियंत्रण के लिए हर्बल जानकारों के द्वारा दिया जाता है। ताजा पत्तियों (लगभग 10 ग्राम) को 50 मिली पानी के साथ पीस लिया जाए और रोगी को पीनी के लिए दिया जाए तो तुरंत आराम मिलने लगता है।
खांसी होने पर पके आम को चुल्हे पर भून लिया जाए और ठंडा होने पर रोगी को खिलाया जाए तो खांसी में जल्द आराम मिलता है। पके हुए आम (लगभग 100 ग्राम) को खाने के बाद एक गिलास ठंडा दूध पी लिया जाए तो नींद बेहतर आती है।
आम से जुड़े कुछ खास पारंपरिक पेय
- कच्चे आम का पना (आम रस) लू और गर्मियों के थपेड़ों से बचने का एक कारगर देसी फार्मुला है।
- एक गिलास रस का सेवन करने से लू की समस्या में राहत मिल जाती है और ये पारंपरिक पेय स्वाद में भी अव्वल होता है।
- महाराष्ट्र के मेलघाट वनांचल में बसे कोरकु जनजाति के लोग घुरिया नामक एक पारंपरिक पेय तैयार करते हैं। लगभग 250 ग्राम कच्चे आम के फ़लों को 500 मिली पानी में 15-20 मिनट के लिए उबाला जाता है, दूसरी तरफ 250 मिली ठंडा पानी लिया जाता है और इस पानी में उबले आम लेकर मसल लिए जाते हैं। इन मसले हुए आमों पर ताजा पुदिना पत्तियों का रस (1 चम्मच), नींबू रस (2 चम्मच), थोड़ा सा कद्दुकस किया अदरख, 1 चम्मच धनिया पत्तियों का रस, शक्कर (2 चम्मच) और काला नमक (1/2 चम्मच) अच्छी तरह से मिला लिया जाता है और इस तरह तैयार हो जाता है घुरिया। आदिवासियों के अनुसार इस पेय का एक गिलास दोपहर खाने के बाद पीने से लू लगने पर अतिशीघ्र आराम दिलाता है।
- बुंदेलखंड में गर्मियों में अक्सर घर आए मेहमानों को कच्चे आम का पना पिलाया जाता है। कच्चे आम से बनने वाले इस पेय की खासियत इसका खट्टा-मीठा और तीखा होना है।
- पना बनाने की विधि- मध्यम आकार के दो कच्चे आम लेकर पानी में पांच मिनट तक उबाला जाता है ताकि आम गल जाएं। उबले आम के छिलके निकाल लिए जाते हैं और एक बर्तन में इसे निचोड़ लिया जाता है। इसमें 2 कप शक्कर, 500 मिली पानी, 1 चम्मच काला नमक मिलाकर अच्छी तरह से घोल लिया जाता है। दूसरी तरफ़, आधा चम्मच काली मिर्च, 2 चम्मच सौंफ़ और 2 चम्मच जीरा लेकर अच्छी तरह से कुचलकर पाउडर तैयार कर आम वाले घोल में डाल दिया जाता है और फिर इस पूरे मिश्रण को 5 मिनट तक उबाला जाता है, यही पेय आम का पना कहलाता है। ठंडा होने पर आम का पना रेफ्रीजरेटर में रख दिया जाता है और फिर मेहमानों के आगमन पर स्वागत के तौर पर परोसा जाता है।