सेहत की रसोई में आज आपको बताएंगे बबूल गोंद और बाजरे की खिचड़ी के बारे में

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सेहत की रसोई में आज आपको बताएंगे बबूल गोंद और बाजरे की खिचड़ी के बारे मेंबबूल गोंद और बाजरे की खिचड़ी।

सेहत की रसोई में इस सप्ताह हम बताने जा रहे हैं सेहत से भरी जानकारी और व्यंजनों की बात, हमारे दो एक्सपर्ट हर्बल वैज्ञानिक डॉ दीपक आचार्य और मास्टर शेफ़ भैरव सिंह के साथ, सेहत और किचन का तड़का हर सप्ताह एक खास व्यंजन के साथ हम परोसते हैं आप सभी पाठकों के लिए, सेहत की रसोई में।

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बबूल गोंद और बाजरे की खिचड़ी

आवश्यक सामग्री

  • बाजरा- 100 ग्राम
  • पानी- 400 मिली.
  • बबूल का गोंद- 50 ग्राम
  • शुद्ध देसी घी- 30 ग्राम
  • काली मिर्च- 5-6
  • लहसुन की कलियां- 5-6
  • नमक- स्वादानुसार

विधि

बाजरे के दानों को अच्छी तरह से 2 से 3 बार धो लिया जाए ताकि ये साफ हो जाए। इन दानों को 400 मिली पानी में करीब 2 घंटों के लिए डुबोकर रख दिया जाए। इसमें लहसुन की कलियों को डाल दिया जाए और इसे ढ़ांककर मध्यम आंच पर पकने के लिए रख दिया जाए। किसी एक बर्तन में घी को गर्म किया जाए और इसमें बबूल का गोंद डाल दिया जाए और हल्का हल्का भूना जाए। भुन जाने के बाद गोंद पॉपकॉर्न की तरह फूला हुआ और चमकदार दिखायी देगा। इस बर्तन में पके हुए बाजरे को भी मिला दिया जाए, नमक मिलाकर इस पर काली मिर्च भी छिड़क दी जाए। कुछ ही समय में तैयार हो जाएगी बबूल गोंद और बाजरे की खिचड़ी।

क्या कहते हैं हर्बल आचार्य

डॉ़ दीपक आचार्य के अनुसार आदिवासी अंचलों में एक बेहद खास अनाज है जिसे कई तरह के विकारों को दूर करने के लिए भिन्न-भिन्न तरह से उपयोग में लाया जाता है। लोग इस बात से बेखबर हैं कि अन्य अनाजों की अपेक्षा बाजरा में भरपूर प्रोटीन, आयरन, जिंक, कैल्शियम की मात्रा होती है। इसमें वे सभी गुण होते हैं, जिससे स्वास्थ्य ठीक रहता है। बाजरा में पाए जाने वाले कुछ अन्य आवश्यक तत्व जैसे मैग्नीशियम, मैग्नीज, ट्रिप्टोफेन, फास्फोरस, फाइबर (रेशा), विटामिन—बी आदि हमारे शरीर के लिए आवश्यक होते है और कई तरह के रोगों से लड़ने में मददगार भी होते हैं।

बाजरा शरीर व मस्तिष्क को स्वस्थ रखता है, मैग्नीशियम सिर दर्द एवं हार्ट अटैक के खतरे को कम करता है तथा इसमें पाया जाने वाला विटामिन नियासिन (विटामिन बी 3) कोलेस्ट्राल की मात्रा को कम करता है साथ ही यह मधुमेह (टाइप 2) के खतरे को कम करता है। ठीक इसी तरह बबूल गोंद भी एक महत्वपूर्ण औषधि है। बबूल गोंद को पेप्टिक अल्सर ठीक करने के लिए अचूक माना जाता है। बबूल गोंद का चूरा (20 ग्राम) लगभग 100 मिली दूध में डालकर 5 मिनट तक कम आंच पर गर्म किया जाए और फ़िर 15 ग्राम तुलसी पत्तियों को इसमें डालकर बर्तन को ढांक दिया जाए। जब यह दूध ठंडा हो जाए तो इसे रोगी को देने से शीघ्र आराम मिलने लगता है।

डाँग- गुजरात के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार बबूल गोंद, देशी घी और मिश्री मिलाकर लगभग 30 ग्राम प्रतिदिन दूध के साथ लेने से वीर्य की दुर्बलता दूर होती है। लहसुन के गुणों की दुनिया दीवानी है, चाहे ब्लड प्रेशर की बात की जाए या सूक्ष्मजीवी संक्रमण की, लहसुन बेहद कारगर उपाय है और इसे दुनियाभर के वैज्ञानिक सबसे बेहतर एंटीबॉयोटिक मानते हैं। काली मिर्च भी माइग्रेन, सिर दर्द, सर्दी, खांसी और बुखार के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इन सब उपयोगी वनस्पतियों से तैयार बबूल गोंद और बाजरे की खिचड़ी निश्चित ही आपकी सेहत को दुरुस्त करने में काफी मदद करेगी, स्वाद का स्वाद और सेहत साथ-साथ।

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