लखनऊ। चिकित्सा के क्षेत्र में मशीनों का प्रयोग बहुत तेजी से हो रहा है। मशीनों के प्रयोग के बाद अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) का प्रयोग चिकित्सा के क्षेत्र में काफी तेजी से बढ़ रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के प्रयोग से कैंसर जैसे जटिल रोग की शुरुआत में ही पहचान करना और इलाज आसान हो गया है। इस तकनीक से बीमारी की शुरुआत से पहले ही इसका पता लिया जाएगा , जिससे व्यक्ति में उस रोग की संभावना को दूर किया जा सके।
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केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप का कहना है , ” कैंसर के निदान की भविष्यवाणी करने वाली पहली एआई पायलट परियोजना जल्द ही शुरू की जाएगी।”
” हाल ही में एआई तकनीकों ने दिखाया है कि कैसे चिकित्सक इसके प्रयोग से कैंसर का बेहतर निदान कर सकते हैं। एआई स्वास्थ्य सेवा, कृषि और ऊर्जा में एक आदर्श बदलाव ला रहा है। कैंसर के लिए पूर्वानुमान उपकरणों के लिए एआई मॉडल विकसित करने पर एक प्रस्ताव लाया गया है। हमारे पास कैंसर से संबंधित बहुत सारे डेटा हैं और कैंसर जीनोमिक्स कार्यक्रम के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संघ में भागीदार हैं।” डॉक्टर स्वरूप ने आगे बताया।
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आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कंप्यूटर और रोबोटिक्स की दुनिया में क्रांति जैसी है। यह किसी रोबोट को बुद्धि या समझ देने जैसा है। एआई युक्त रोबोट या यंत्र अपने आसपास के परिवेश के हिसाब से खुद फैसले करने में सक्षम होते हैं।
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विदेशों में चिकित्सा क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) तकनीक प्रयोग बड़े स्तर पर किया जा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से रेडियोलॉजी के क्षेत्र में काफी मदद मिलेगी। इस तकनीक के द्वारा किसी व्यक्ति में बीमारी की शुरुआत से पहले ही इसका पता लगा लिया जाएगा, जिससे व्यक्ति में उस रोग की संभावना को ही खत्म किया जा सके। स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में ये तकनीक बहुत जरूरी है।
बीबीडी यूनिवर्सिटी, लखनऊ के रेडियोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. डॉक्टर नीता मिश्रा का कहना है, ” चिकित्सा क्षेत्र में काफी बदलाव हो रहे हैं। रोबोटिक ट्रीटमेंट के बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) हेल्थ सेक्टर में काफी मददगार साबित हो रहा है। इस तकनीक के प्रयोग से उस बीमारी के फैलने से रोकने के लिए प्रभावी दवा या इलाज तलाश करना आसान हो सकेगा। इससे कई तरह की बीमारियों का उपचार आसानी से करने में मदद मिल सकेगी। इस टेक्नोलॉजी से चिकित्सों को काफी मदद मिल रही है।”
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