औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं फूल

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फूलों की बात की जाए तो सिर्फ साज-सज्जा और पूजन के बारे में ही ख़्याल आता है लेकिन फल औषधीय गुणों से भी भरपूर होते हैं, आज हम  पाठकों को कुछ ख़ास फूलों के बारे में बता रहे हैं ताकि इनके औषधीय गुणों की समझ बन पाए, उम्मीद है लेख पसंद आएगा। 

गेंदा के फूल

आदिवासियों का मानना है कि जिन पुरुषों को स्पर्मेटोरिया (पेशाब और मल करते समय वीर्य जाने की शिकायत) हो उन्हे गेंदा के फूलों का रस पीना चाहिए। यदि गेंदा के फूलों को सुखा लिया जाए और इसके बीजों को एकत्र कर मिश्री के दानों के साथ समान मात्रा (5 ग्राम प्रत्येक) का सेवन कुछ समय तक दिन में दो बार किया जाए तो यह पुरुषों को शक्ति और प्रदान करता है।

गेंदे के फूल की पंखुिड़यों को एकत्र कर पीस लिया जाए और शरीर के सूजन वाले हिस्सों में लगाया जाए तो सूजन मिट जाती है।

गेंदा के फूलों को नारियल तेल के साथ मिलाकर कुचल लिया जाए और हल्की-हल्की मालिश करके नहा लिया जाए, सिर में हुए किसी भी तरह के संक्रमण, फोड़े-फुन्सियों में आराम मिल जाता है। 

जिन्हें सिर में फोड़े-फुन्सियां और घाव हो जाए उन्हें मैदा के साथ गेंदे  की पत्तियों और फूलों के रस को मिलाकर सप्ताह में दो बार सिर पर लगाना चाहिए, आराम मिल जाता है। डाँग गुजरात के आदिवासियों के अनुसार यदि गेंदे के फूलों को सुखा कर और इसके बीजों को मिश्री के दानों के साथ समान मात्रा (5 ग्राम प्रत्येक) का सेवन तीन दिन तक किया जाए तो जिन्हें दमा और खांसी की शिकायत है, उन्हें काफ़ी फ़ायदा होता है।

अनार के फूल

आदिवासियों की मान्यता के अनुसार जिन महिलाओं को मातृत्व प्राप्ति की इच्छा हो, अनार की कलियां उनके लिए वरदान की तरह है। इन आदिवासियों के अनुसार अनार की ताजी, कोमल कलियां पीसकर पानी में मिलाकर, छानकर पीने से महिलाओं में गर्भधारण की क्षमता में वृद्धि होती है।

लगभग 10 ग्राम अनार के फूलों को आधा लीटर पानी में उबालें, जब यह एक चौथाई शेष बचे तो इस काढ़े से कुल्ले करने से मुंह के छालों में लाभ होता है। पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार अनार के फूल छाया में सुखाकर बारीक पीस लिए जाए और इसे मंजन की तरह दिन में 2 से 3 बार इस्तेमाल किया जाए तो दांतों से खून आना बंद होकर दांत मजबूत हो जाते हैं। 

डाँग, गुजरात के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार अनार के फूलों को पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से जलन अतिशीघ्र कम हो जाती है और दर्द में भी आराम मिलता है।

घरों के आंगन, क्यारियों और उद्यानों में उगाए जाने वाला यह एक अति महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है। इस वनस्पति में विन्कामाईन, विनब्लास्टिन, वि्क्रिरस्टीन, बीटा-सीटोस्टेराल जैसे महत्वपूर्ण रसायन पाए जाते है।

आदिवासियों का मानना है कि सदाबहार के लाल फूलों का सेवन उच्च-रक्तचाप में फ़ायदा करता है।

डाँग, गुजरात के आदिवासी लाल और गुलाबी पुष्पों का उपयोग मधुमेह में लाभकारी मानते है। आधुनिक विज्ञान भी इन फूलों के सेवन के बाद रक्त में शर्करा की मात्रा में कमी को प्रमाणित कर चुका है। दो फूलों को एक कप उबले पानी या बिना शक्कर की उबली चाय में डालकर ढांककर रख दिया जाता है और फ़िर इसे ठंडा होने पर पी लिया जाता है, ऐसा माना जाता है कि इसका लगातार सेवन मधुमेह में हितकारी है। अब वैज्ञानिक सदाबहार के फूलों का उपयोग कर कैंसर जैसे भयावह रोगों के लिये भी औषधियां बनाने पर शोध कर रहें है।

गुड़हल के फूल

गुड़हल के ताज़े लाल फूलों को हथेली में कुचल लिया जाए और इस रस को नहाने के दौरान बालों पर हल्का-हल्का रगड़ा जाए, गुड़हल एक बेहतरीन कंडीशनर की तरह कार्य करता है।

डाँग, गुजरात में आदिवासी गुड़हल के लाल फूलों को नारियल तेल में डालकर गर्म करते हैं और बालों पर इस तेल से मालिश की जाती है। कहा जाता है कि नहाते वक्त बालों पर इस तेल को लगाया जाए और नहाने के बाद बालों को आहिस्ता-आहिस्ता सूती तौलिये से सुखा लिया जाए और नहाने के बाद भी इस तेल को बालों पर लगाया जाए काफी तेजी से बालों की सेहत में सुधार आता है। गुड़हल के फूलों को चबाया जाए तो यह स्फ़ूर्तिदायक होता है और माना जाता है कि यह पौरूषत्व को बढ़ावा देता है।

फूलों को तिल के तेल में गर्म करके लगाने से बालों का झड़ना बंद हो जाता है और आदिवासी मानते है कि यह बालों का रंग भी काला कर देता है। करीब 4-5 ताजे गुड़हल, जासवंत के लाल फूलों को अपने जूतों पर रगड़िए, जूते चमकदार होते हैं।

केले के फूल

केले के फूल टाइप-1 डायबिटीज के रोगियों के लिए कारगर उपाय है। अनेक शोधों से यह निष्कर्ष निकाला गया है, फूल का रस तैयार करके टाइप-1 डायबिटीज रोगियों को दिया जाए तो यह रक्त में शर्करा की मात्रा कम करने में मदद करता है।

कई रसायनिक और कृत्रिम दवाओं के सेवन के बाद अक्सर मुंह में छाले आने की शिकायत होती है। कच्चे केले और केले के फूलों को सुखाकर चूर्ण तैयार कर लिया जाए और इस चूर्ण की थोड़ी सी मात्रा छालों पर लगाई जाए तो छालों में अतिशीघ्र आराम मिलता है। आधुनिक शोधों से पता चलता है कि कच्चे केले और केले के फूल में एक महत्वपूर्ण फ़्लेवोनोईड रसायन ल्युकोसायनिडिन पाया जाता है जो छालों के ठीक करने में सक्षम होता है। कई क्लिनिकल स्टडीज से यह भी ज्ञात हुआ है कि केले के फूल और पत्तियां त्वचा पर होने वाले अनेक सूक्ष्मजीवी खतरनाक संक्रमण को रोकने के लिए कारगर साबित हुई हैं। इनका रस अनेक तरह के त्वचा विकारों को दूर करने में सक्षम है। 

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