लखनऊ। चिकुनगुनिया बुखार वायरल बीमारी है और यह एडिस मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर दिन के समय काटता है और इसके लक्षण डेंगू बुखार की तरह ही होता है। चिकुनगुनिया बुखार को ठीक होने में कभी कभी कभी महीनों लग जाते है। ऐसे बुखार में आराम और स्वस्थ खान-पान बेहद आवश्यक हो जाता है।
इस बीमारी के बारे में लखनऊ के डॉ अमित मल्होत्रा बताते हैं, “ये बीमारी मच्छरों से फैलती है। इसमें शुरूआत में लगातार बुखार रहता है और फिर शरीर में कमजोरी हो जाती है। ये कोई जानलेवा बीमारी नहीं हैं इसलिए समय रहते सही खानपान और देखभाल से मरीज जल्दी ठीक हो जाता है।”
लक्षण
जोड़ों में दर्द और सूजन
सिरदर्द और थकान होना
उल्टियां होना
बुखार होना
शरीर में दिदोरे पड़ना
चिकनगुनिया’ बुखार पहली बार वर्ष 1953 में तंजानिया में पहली बार सामने आया था। तंजानिया के बाद धीरे-धीरे इस वायरल ने पश्चिम, मध्य और दक्षिणी अफ्रीकी क्षेत्रों से होते हुए एशिया में भी अब अपने पांव पसार लिए हैं। आज हमारे देश में भी चिकनगुनिया के मरीज भारी संख्या में देखे जाते हैं।
संक्रमणचिकनगुनिया एक संक्रमित व्यक्ति को एडिस मच्छर के काटने के बाद स्वस्थ व्यक्ति को काटने से फैलता है। यह रोग सीधे मनुष्य से मनुष्य में नहीं फैलता है। यानी यह कोई संक्रामक रोग नहीं है। चिकनगुनिया से पीड़ित गर्भवती महिला के बच्चे को ये बीमारी होने का खतरा रहता है।
बचाव के उपाय
- घरों या अपने आसपास के इलाकों में पानी का जमाव न होने दें
- घरों में कूलर को सप्ताह में एक बार जरूर साफ करें। अगर ऐसा करना संभव न हो, तो आप उसमें सप्ताह में एक बार एक बड़ा चम्मच पेट्रोल का डाल सकते हैं।
- पूरी बांह के कपड़े पहनें ताकि शरीर के कम से कम हिस्से खुले रहें।
- शरीर के खुले अंगों में मच्छरमार क्रीम का इस्तेमाल करें।
- घर और आसपास के इलाके में मच्छर भगाने वाले स्प्रे और मच्छर मारने वाली दवाओं का छिड़काव कराएं।
- बच्चों को जहां खेलने भेज रहे हैं, वहां या उसके आसपास के इलाकों में पानी का जमाव न होने दें।
- बच्चों को स्विमिंग के लिए भेजने से पहले यह जांच करना न भूलें कि पूल का पानी कितने दिनों में बदला जा रहा है।
नोट
चिकुनगुनिया बुखार के लिए भी अभी तक किसी टीके का पता नहीं लग पाया है। इस बीमारी से बचने के लिए मच्छरों से बचना ही ज़रूरी है।