बरेली (उत्तर प्रदेश)। “रिश्तेदार हमारे गांव में आने से कतराते हैं, क्योंकि लोगों में एक डर बन चुका है कि इस गांव का पानी पीने से वे भी कैंसर की चपेट में आ सकते हैं। दूसरे गाँव के लोग न तो हमारे गाँव की बेटियों से शादी करना चाहते हैं और न ही अपनी बेटियों को हमारे गाँव में भेजना चाहते हैं।” ये कहना है, यूपी के तहसील मीरगंज के गांव बहरौली निवासी प्रमोद कुमार शर्मा (37वर्ष) का।
वजह पूछने पर प्रमोद ने बताया, ” रामगंगा नदी के खादर क्षेत्र में बसे हमारे गांव में इंडिया मार्का हैंडपंपों से आर्सेनिक युक्त पानी निकल रहा है, जिससे हमारे गाँव के लोगों में कैंसर की बीमारी हो रही है। कैंसर से अभी तक करीब 56 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और करीब दर्जन भर लोग कैंसर से पीड़ित हैं। इस वजह से लोग हमारे गाँव आने से कतराते हैं।”
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इस गाँव में संपन्नता है, युवाओं के पास रोजगार है, खेत और घर भी है, लेकिन यहां के युवाओं से लोग शादी से कतराते हैं, क्योंकि गाँव के भूजल में आर्सेनिक की मात्रा बहुत ज्यादा हो गई है। इस पानी को हैंडपंप के जरिये पीने वाली बड़ी आबादी पानी जनित कैंसर का शिकार हो रही है। यहां के रहने वाले ग्रामीण तिल-तिल मर रहे हैं। ग्रामीण बदनामी के डर से इस दर्द को सह रहे हैं। अधिकांश ग्रामीण इसलिए चुप्प रहते हैं क्योंकि उन्हें डर है कि लोगों को पता चल जाएगा तो उनके बेटे-बेटियों से कोई शादी नहीं करेगा।
बहरौली गांव में 36 इंडियामार्का हैंडपंप लगे हुए हैं, जिसमें से 16 में आर्सेनिक मिला पानी निकल रहा है। । करीब तीन साल पहले जल निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गाँव में हुए सभी सरकारी हैंडपंप के पानी की जांच कराई। जांच में 16 सरकारी हैंडपंपों का पानी हानिकारक बताया गया, जिसे पीने से तमाम बीमारियां हो सकती हैं। टीम ने उन हैंडपंपों को चिह्नित कर ग्रामीणों को इनका पानी न पीने की हिदायत दी थी। हैंडपंप पर खतरे का निशान भी लगा दिया गया था।
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बरेली के सीएमओ डॉक्टर विनीत शुक्ला ने बताया, ” बहरौली का मामला मुझे मालुम है। वहां के पानी की भी हम लागों ने जांच कराई थी, लेकिन आर्सेनिक की मात्रा बहुत ज्यादा नहीं पाई थी। गाँव में जो मौतें हुई हैं वे अलग-अलग कैंसर से हुई हैं। कोई कॉमन केस नहीं था। हमारे यहां कैंसर का ट्रीटमेंट भी नहीं होता है। हम लोग समय-समय पर गाँव में जागरुकता का आयोजन भी करते हैं। मेरी टीम भी कई बार जा चुकी हैं। कुछ और टीमों को भेजकर जांच कराउंगा।”
एक साल पहले इसी गाँव के रहने वाले रघुवीर (32वर्ष) की मौत कैंसर से हो गई थी। रघुवीर के भाई सतवीर (50वर्ष) का कहना है,” मेरे भाई को कैंसर हो गया था। बरेली से लेकर दिल्ली तक दर्जनों डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन मेरा भाई बच नहीं सका। जांच रिपोर्ट में उसके लीवर में कैंसर की बात आई थी। हम लोगों ने जल निगम से गाँव में एक ओवरहेड टैंक बनाने की मांग की थी। विभाग ने भी जल्द से जल्द निर्माण का वादा किया था, लेकिन वादे तो वादे ही होते हैं।”
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रामगंगा नदी को प्रदूषित करने का खमियाजा है। रामगंगा में समाए सीवरेज और औद्योगिक रसायन अब नदी से सटे इलाकों के भूजल में घुलकर आर्सेनिक का कारण बन चुके हैं। नतीजतन, इस पानी को हैंडपंप और नलों के जरिये पीने वाली बड़ी आबादी पानी जनित कैंसर और अन्य रोगों का शिकार हो रही है।
रामगंगा नदी को प्रदूषित करने का खमियाजा ग्रामीण कैंसर और पानी जनित रोगों के रूप में उठाना पड़ रहा है। रामगंगा में सीवरेज और फैक्ट्रियों से निकलने वाला दूषित जल रामगंगा में मिलकर उसके पानी को जहरीला बना रहा है। दूषित और रसायनिक पानी नदी से किनारे स्थित गाँवों के भूजल में घुलकर आर्सेनिक का कारण बन रहा है। हाल में ही हुई भूजल ही एक जांच में जिले के 40 से ज्यादा गांवों के भूजल में आर्सेनिक की मात्रा सामान्य से पांच गुना अधिक पाई गई थी।
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बहरौली के ग्राम प्रधान अशोक मोहन गंगवार ने बताया,” हमारे गाँव का पानी बहुत दूषित हो चुका है। गाँव के हैंडपंप आर्सेनिक युक्त पानी दे रहे हैं। हम लोगों ने कई बार जलनिगम और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इस समस्या से अवगत करा चुके हैं। मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करा चुके हैं, लेकिन किसी ने भी इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया, जिसका नतीजा यह है कि हर साल किसी न किसी की मौत कैंसर से हो रही है।”
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