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हमारी सेहत व नींबू परिवार के फल 

Health

आदिवासियों के दैनिक क्रियाकलापों की बात हो या आमतौर पर रोगोपचार के लिए परंपरागत ज्ञान, सभी के लिए ये लोग अपने आस-पास के पेड़ पौधों और प्रकृति पर आश्रित रहते हैं। आदिवासी और ग्रामीण भारतीयों के लिए आस-पास की वनस्पतियां जीवनदायी होती है। हिन्दुस्तान खुद अपने आप में जैव विविधता की दृष्टि में दुनिया के तमाम देशों से अलग है।

यहां के सुदूर वनांचलों में रहने वाले आदिवासी आज भी इसी जैवविविधता के साथ सामंजस्य बनाते हुए जीवनयापन कर रहे हैं। पातालकोट (मध्यप्रदेश) और डांग (गुजरात) जैसे इलाकों के आदिवासी आज भी परंपरागत हर्बल ज्ञान को अपनाकर अपने रोगों का उपचार करते हैं। आदिवासी हर्बल जानकार जिन्हें भगत और भुमका कहा जाता है, वे इस ज्ञान के पारंगत है और इनका सारा समुदाय इन्हें देवतुल्य मानता है। इस सप्ताह हम तीन अलग-अलग प्रकार के नींबू परिवार के पौधों के औषधीय गुणों के बारे में जानेंगे।

नींबू

अपचन

सूखे नींबू के फल, अदरक, लहसुन और काला नमक की समान मात्रा लेकर अच्छी तरह मिला लिया जाए और भोजन से ठीक पहले रोगी को दिया जाए तो यह पाचन में मददगार होता है और इसी चूर्ण का सेवन सिर चकराने पर भी किया जाए तो आराम मिलता है।

पीलिया

लेंडी पीपर, जिसे पिप्पली भी कहा जाता है, के करीब ५ फल, काली मिर्च (5), अदरक 2 ग्राम, नींबू रस (2 मिली) और चुटकी भर काला नमक लेकर मिलाया जाए और रोगी को दिन में कम से कम 2 बार दिया जाए तो आदिवासी मानते हैं कि 15 दिनों में ही पीलिया से ग्रस्त रोगी की सेहत में बेहतरी दिखाई देती है।

त्वचा की देखभाल

मंडूकपर्णो का संपूर्ण पौधा (3 ग्राम), चित्रक की जड़ों का चूर्ण (2 ग्राम), करंज की जड़ों का तेल (5 मिली) को भलिभांति मिला दिया जाए। सारे मिश्रण को पीस लिया जाए और उसे करीब 10 मिली छाछ और नींबू फल का रस (3 मिली) के साथ मिला लिया जाए। इसे चेहरे की त्वचा पर पेस्ट की तरह लगाया जाए तो यह चेहरे का तेज बढ़ाने में मददगार साबित होता है। पेस्ट को चेहरे पर 15 मिनट तक लगाए रखने के बाद साफ पानी से धो लिया जाना चाहिए, बेहद फायदा करता है।

फोड़े फुन्सियां

एक चुटकी हल्दी और एक चम्मच दूध की मलाई को आधा चम्मच नींबू रस के साथ अच्छी तरह मिला लिया जाए और इसे फोड़े- फुन्सियों पर लेपित किया जाए तो जल्द आराम दिलाता है और ऐसा करने से घाव या फोड़े फुन्सियां पकते भी नहीं है।

मुहांसे

मुहांसों पर नींबू रस लगाने से जल्द ही समस्या खत्म हो जाती है। नींबू के रस में सूक्ष्मजीवों को मारने की क्षमता होती है। चेहरे पर नींबू रस की नियमित हल्की मालिश कई तरह के सूक्ष्मजीवी संक्रमणों से बचाती है।

संतरा

शारीरिक शक्ति

संतरे में ग्लूकोज व डेक्सटोल जैसे तत्व भरपूर होते हैं, जो शारीरिक शक्ति के लिए बड़े खास होते हैं। इसके अतिरिक्त संतरे के रस में विटामिन सी, विटामिन बी कॉम्लेक्स, विटामिन ए, कई खनिज तत्व, और कुछ मात्रा में पौष्टिक पदार्थ एवं अन्य पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। आदिवासी नियमित रूप से संतरे का रस अपने बच्चों को पिलाते हैं। संतरे के रस में काला नमक और कुछ मात्रा में अदरक कुचलकर निकाले गए रस को भी मिलाकर अक्सर बच्चों को दिया जाता है, खास तौर से उस वक्त जब बच्चा बीमारी से उठता है। यह कमजोर शरीर में स्फूर्ति दिलाने का कार्य करता है।

घमौरियों का इलाज

गर्मियों में घमौरियां के इलाज के लिए डांग- गुजरात के आदिवासी संतरे के छिलकों को छाँव में सुखाकर पाउड़र बना लेते हैं और इसमें थोड़ा तुलसी का पानी और गुलाबजल मिलाकर शरीर पर लगाते हैं, ऐसा करने से तुरंत आराम मिलता है।

पेट के अल्सर

भोजन करने के बाद आधा गिलास संतरे का रस रोज लिया जाए तो पेट के अल्सर ठीक हो जाते हैं।

बवासीर

छांव में सुखाए संतरे के छिलकों को बारीक पीस लें और घी के साथ बराबर मात्रा में मिलाएं और इसे 1-1 चम्मच दिन में 3 बार पीने से बवासीर में आराम मिलता है।

अपचन

संतरे के रस को गर्म करके उसमें काला नमक और सोंठ का पाउड़र मिला लें, आदिवासियों के अनुसार ये अपचन और आमाशय संबंधित रोग में खूब फ़ायदा देता है।

कागजी नींबू या बिजौरा

अपचन

इसके कच्चे फल को चबाने से अपचन की समस्या ठीक होती है, आदिवासी जानकारों की मानी जाए तो इसके रस में भोजन को पचाने की जबरदस्त क्षमता पायी जाती है।

पेट दर्द और दस्त

कागजी नींबू के पके हुए फल के भीतर 2 से 3 लौंग, एक कालीमिर्च, अजवायन 5 ग्राम, अदरक (3 ग्राम) और चुटकी भर नमक को भर दिया जाता है। इस फल को छांव में दो दिनों के लिए रख दिया जाता है और जब यह सूख जाता है तो इसे चूर्ण में तब्दील कर दिया जाता है। चूर्ण की एक ग्राम मात्रा दिन में तीन से चार बार देने से दस्त या पेट दर्द में तेजी से आराम देती है।

मिर्गी

निर्गुण्डी की सूखी पत्तियां (करीब 15) और कागजी नींबू का रस (करीब 5 मिली) लेकर अच्छी तरह मिला लिया जाए और मिर्गी से ग्रस्त रोगी के नथुनों में इस रस की 3-3 बूंदे दिन में 3 से 4 बार डाली जाए तो आराम मिलता है। लगातार 3-4 माह तक ऐसा करने से मिर्गी के दौरों की संख्या बहुत कम हो जाती है और कई बार रोगी को पूर्ण आराम भी मिल जाता है।

अम्लता या एसिडिटी

इसके फलों का रस (करीब एक चम्मच) 100 मिली पानी में डाला जाए और स्वादानुसार शक्कर मिला ली जाए और रोगी को दिन में 3-4 बार दिया जाए तो आराम मिलता है।

पथरी

कागजी नींबू का रस निकाला जाए और करीब एक कप मात्रा रस में एक ग्राम काला नमक मिलाकर पी लिया जाए, यह बहुत ज्यादा खट्टा होता है और शायद इससे दांत भी खट्टे पड़ जाएं लेकिन इसका सेवन प्रतिदिन एक बार निरंतर 15 दिनों तक किया जाए तो किडनी में पथरी हो तो निकल आती है।

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