भारत में हर 28 में से एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर का खतरा है। 35 से 45 साल की शहरी महिलाओं में अब यह कैंसर गर्भाशय के कैंसर से भी बड़ा संकट बनता जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में संवाद खुल कर होने लगा है लेकिन ग्रामीण इलाकों में स्तन से जुड़े तमाम विकारों के लिए आज भी चर्चाओं को चार दिवारी के भीतर ही रखा जाता है।
महिलाएं आंतरिक अंगों से जुड़ी
समस्याओं को लेकर चर्चा करने में संकोच करती हैं जबकि स्तन कैंसर जैसी समस्याएं प्राणघाती भी साबित हो सकती हैं। ऐसे में ये ज़्यादा ज़रूरी है कि समस्या की गंभीरता को देखते हुए इस विषय से जुड़े मुद्दों, सेहत रखरखाव और समाधानों पर खुलकर जानकारियों का आदान-प्रदान होना जरूरी है।
इस सप्ताह हमारे पाठकों के लिए स्तन कैंसर से बचाव की जानकारियों को साझा करने जा रहा हूँ। स्तन कैंसर कैसे होता है, क्यों होता है, आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में इसके इलाज के लिए कौन कौन सी दवाएं या सुविधाएं उपलब्ध हैं जैसे बिंदुओं पर प्रकाश डालने के बजाए मेरा प्रयास है कि उन पारंपरिक नुस्खों और साधारण जानकारियों को आप तक लाया जाए जिससे कि इस कैंसर के होने की संभावनाओं को दूर किया जा सके।
स्तन कैंसर से बचाव के लिए मुख्य रूप से महिलाओं को अपने शारीरिक भार को संतुलन में रखना होगा, मोटापा एक साथ बीमारियों का पुलिंदा लेकर आता है और वैसे भी मोटापा अपने आप में एक बीमारी है और कई दूसरी बीमारियों को पैर पसारने का मौका भी देता है। मोटापे की ओर अग्रसर कर रही महिलाएं हों या पहले से ही मोटापे से त्रस्त महिलाएं, इन्हें हर दिन औसतन आधे से एक घंटा कसरत करने और हरी सब्जियों को अपनी डाइट का हिस्सा बनाना होगा ताकि मोटापे की वजह से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम हो, खास बात ये है कि नियमित व्यायाम से शरीर की प्रतिरोधी क्षमता और मेटाबोलिज्म मजबूत होता है। स्वस्थ आहार के रूप में खड़े अनाज, सब्जियों, मेवों और फलों की प्रमुखता होनी चाहिए, इनके अलावा मांसाहारी लोग अच्छे प्रोटीन के स्रोत जैसे मछली और चिकन भी खा सकते हैं, इन्हें प्रोसेस्ड मीट से बचना चाहिए। करीब 30 की उम्र पार करने के बाद महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियां से दूरी कर लेनी चाहिए क्योंकि इस तरह की गोलियों और रसायनों से शरीर में हार्मोनों के स्तर पर सीधा असर पड़ता है। गर्भनिरोधन के लिए गोलियों के बजाए अन्य तरीकों के लिए सोचा जा सकता है।
इसके अलावा अब देखने में आता है कि पहले के मुकाबले लड़कियों में मासिक धर्म कम उम्र में शुरू होने लगा है जिसकी वजहें भी अनेक है और शरीर में आए इस बदलाव के विपरीत अब पढ़ी लिखी लड़कियों की शादी देर से होने लगी है और बच्चे पैदा करने की औसत उम्र भी काफी आगे बढ़ गई है। कई बार महिलाएं कभी मां ना बनने का स्वेच्छिक फैसला करती हैं और उन्हें जाने अनजाने में ब्रेस्टफीडिंग का मौका नहीं मिलता और इस तरह का बदलाव शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का संतुलन बिगाड़ देता है और इससे भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। खैर, इन सबके परे कुछ हर्बल नुस्खे या पारंपरिक उपाय ऐसे भी हैं जिनका इस्तेमाल कर स्तन कैंसर से काफी हद तक बचा जा सकता है।
महिलाओं में स्तन कैंसर जैसी घातक बीमारी से निपटने के लिए इन आठ वनस्पतियों को अतिमहत्वपूर्ण माना जाता है। इन आठ वनस्पतियों और इनमें पाए जाने वाले रसायनों पर औषधि विज्ञान जगत में जबरदस्त शोध जारी है। चलिए जानते हैं इन्ही आठ वनस्पतियों के बारे में और जानते हैं कि आखिर क्या कहती हैं आधुनिक शोधें और किस तरह महिलाओं में स्तन कैंसर रोकथाम या उपचार में कारगर साबित हो सकती हैं ये वनस्पतियां.
पत्ता गोभी
इंडोल-3-कार्बिनोल नामक रसायन पत्ता गोभी में प्रचुरता से पाया जाता है और आधुनिक शोधों से जानकारी मिलती है कि यह रसायन स्तन कैंसर होने की संभावनाओं को काफी हद तक कम करता है।
चुकंदर
लाल चुकंदर का काढ़ा मल्टी-ओर्गन ट्यूमर्स की वृद्धि रोकने में अतिकारगर है और अब वैज्ञानिक इसके काढे या जूस को अन्य कैंसर औषधियों के साथ उपयोग में लाने के प्रयास कर रहे हैं ताकि कैंसर दवाओं के साईड इफेक्ट को कम करने में भी मदद मिले।
लाल अनार
प्रयोगशालाओं से प्राप्त क्लिनिकल परिणामों पर नजर डाली जाए तो जानकारी मिलती है कि अनार के दानों में एरोमाटेज नामक एंजाईम की क्रियाशीलता को कम करने का गुण होता है। दर असल एरोमाटेज एंजाईम एंड्रोजन को एस्ट्रोजन में बदलने का कार्य करता है, जिससे अक्सर महिलाओं में स्तन कैंसर होने की संभावनांए बढ़ जाती है।
लाल मूली
लाल मूली में एंटीओक्सिडेंट्स की मात्रा बहुत ज्यादा होती है जो कि स्तन कैंसर की कोशिकाओं को फैलने से रोकती है। जापान के वैज्ञानिकों ने चूहों पर एक क्लिनिकल प्रयोग कर निष्कर्ष निकाला कि लाल मूली चूहों में स्तन कैंसर होने की घटनाओं को कम करती है।
गाजर
संतरे की तरह गाजर में भी जबरदस्त मात्रा में बीटा कैरोटीन नामक रसायन पाए जाते हैं जिनमें जबरदस्त एंटीओक्सिडेंट गुण होते है और स्तन कैंसर नियंत्रण के लिए यह अत्यंत कारगर है।
सेब
जिस सेब पर लाल और गुलाबी रंग दिखाई दे, मान लीजिए कि इसमें एन्थोसायनिन्स और क्वेरसेटिन (एक तरह का फ्लेवेनोल) नामक रसायन प्रचुर है और प्रयोगशालाओं के परिणामों की मानी जाए तो यह कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि रोकने में काफी सक्षम हैं।
लाल अंगूर
लाल और बड़े आकार के अंगूरों के छिलकों में एंटीओक्सिडेंट गुणों की भरमार होती है। इसकी प्रामाणिकता भी विज्ञान ने कर चुका है कि यह कैंसर कोशिकाओं की वृद्दि को प्रभावित कर कम कर देता है।
शकरकंद
ये भी एंटिओक्सिडेंट्स की खदान माने जाते हैं और इसके छिलकों में बीटा कैरोटीन भी जबरदस्त पाया जाता है। एक शोध के परिणामों के अनुसार यदि रोज शकरकंद खाया जाए तो महिलाओं में स्तन कैंसर होने की संभावनांए 25 प्रतिशत कम हो जाती है। जापानी वैज्ञानिकों के एक अध्ययन के अनुसार शकरकंद का जूस स्तन कैंसर होने पर कैंसर कोशिकाओं की वृद्दि रोकता है और नई कैंसर कोशिकाओ के बनने के क्रम को रोकता है।