लखनऊ। कैल्शियम हमारे शरीर में हड्डियों और दांतों की मजबूती के लिए बहुत जरुरी होता है। खासकर गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशु वाली माताओं के लिए जिन्हें अपने बच्चे को सही पोषण देने के लिए खुद को पोषित करना बहुत जरुरी हो जाता है।
अक्सर देखा गया है कि महिलाएं घर में बच्चों और पति को तो दूध देती हैं पर खुद कई बार नहीं पी पाती हैं ऐेसे में उनकी रोजाना की कैल्शियम जरुरत पूरी नहीं हो पाती है। अगर वह भी अपने खान-पान का ध्यान रखें और रोजाना एक ग्लास दूध पीए तो उम्र बढऩे के साथ कैल्शियम की कमी से आने वाली दिक्कतों की संभावना कम रहती है। यह कहना है मंजू शुक्ला का जो कॅरियर मेडिकल कॉलेज में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ हैं।
गोण्डा के रानीबाजार की रहने वाली अंजलि त्रिपाठी (33 वर्ष) को कैल्शियम की कमी है। इसके लिए डॉक्टर उन्हें कैल्शियम की टैबलेट और सिरप लेने सलाह दे चुके हैं।
जिन महिलाओं में कैल्शियम की कमी होती है उम्र बढ़ने के साथ में हड्डियों के रोग होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। ऐसे में सबसे ज्यादा खतरा ऑस्टोंपेरोंसिस बीमारी होने का रहता है जिसमें हड्डियां बहुत कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में हल्के से झटके से भी उनमें फैक्चर हो जाते हैं।
कैल्शियम की कमी होने से महिला और शिशु के स्वास्थ्य भी प्रभावित होते हैं। ‘’अगर गर्भावस्था के दौरान या नवजात शिशु के दूध की आवश्यकता के लिए महिलाओं को सही मात्रा में कैल्शियम नहीं लेती है तो इसका असर उनके अपने शरीर पर पड़ता है। ऐसे में कई बार उनके कूल्हे की हड्डी टेढ़ी हो जाती है जिससे उनकी सामान्य प्रसव होने में दिक्कत आती है।” डॉ. मंजू शुक्ला ने बताया।
उनके मुताबिक नवजात बच्चे को शुरुआत के छह महीने अपने मां के दूध पर ही निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में अगर मां में कैल्शियम की कमी है तो बच्चे के लिए उसका शरीर उचित मात्रा में दूध नहीं बना पाएगा जो बच्चे की हड्डियों और दांत के विकास के लिए आवश्यक होती है।
महिलाओं को औसतन एक दिन में 1000 मिली ग्राम कैल्शियम की जरुरत तो होती है, जो अगर खाने से पूरा न हो रहा हो तो कैल्शियम की टैबलेट लेकर उसे पूरा किया जा सकता है।
मंजू शुक्ला, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, मेडिकल कॉलेज
डॉ. मंजू ने बताया ने बताया ‘’महिलाओं को औसतन एक दिन में 1000 मिली ग्राम कैल्शियम की जरुरत तो होती है, जो अगर खाने से पूरा न हो रहा हो तो कैल्शियम की टैबलेट लेकर उसे पूरा किया जा सकता है।”
शरीर में कैल्शियम को अवशेषित करने के लिए धूप भी अहम भूमिका निभाती है। वरना शरीर में कैल्शियम होने के बावजूद वह हड्डियों को पोषित नहीं कर पाएगा। पहले महिलाएं अपने घर के कई काम धूप में बैठ कर करतीं थीं जिसे अब वह घर के अंदर टीवी के सामने करती हैं। इस तरह अब उनका धूप में उठना बैठना कम हो गया है डॉ. मंजू ने बताया।
उन्होंने बताया, जिन लड़कियों में मासिक धर्म के दौरान अधिक स्त्राव होता है उन्हें कैल्शियम ज्यादा लेना चाहिए। इससे उनके स्त्राव में कमी आती है। इसलिए आजकल गाँव में काम करने वाली स्वास्थ्य कार्यकत्रियां भी किशोरियों को कैल्शियम की टैबलेट देती हैं।
गर्भवती या नवजात शिशु की मां के लिए जरूरी कैल्शियम
किसमें कितना है कैल्शियम
सामग्री कैल्शियम की मात्रा मिली. ग्राम में
ओट एक पैकेट 350
एक कप दूध 300
एक कप दही 300
एक कप सोयाबीन में 260
एक कप संतरे के जूस में 200-250
मछली (83 ग्राम) 181
सब्जी (फलियों में) एक कप 141
अण्डा 30
कैल्शियम की कमी के लक्षण जल्दी थकान आना, हड्डियों और जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में मरोड़ आदि
उम्र कैल्शियम की जरुरत मिली ग्राम में
नवजात शिशु से छह महीने तक 200
छह महीने से एक साल तक 260
एक से तीन साल 700
चार से आठ साल 1000
नौ से 18 साल 1300
19 से 50 साल 1000
51 से 70 साल 1200
19 से 40 साल 1000
This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).