बदलते मौसम में कई बीमारियां दस्तक देती हैं। इस समय संक्रामक रोगों का ख़तरा बढ़ जाता है और ऐसी ही एक बीमारी चिकनपॉक्स आजकल तेज़ी से फैल रही है। चिकन पॉक्स को छोटी चेचक के नाम से भी जानते हैं। तेजी से खुजली होना, लाल दाने निकल आना, बुखार आना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। लोग इस बीमारी को माता भी कहते हैं लेकिन लोगों के मन में आज भी भ्रांति है कि इस बीमारी का इलाज़ नहीं कराना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि चिकनपॉक्स के रोगी को अगर दवा दे दी तो देवी मां नाराज़ हो जाएंगी।
यह बीमारी वेरिसेला ज़ोस्टर वायरस से होती है। हवा में मौजूद बेरीसेला वायरस ठंड में ज्यादा सक्रिय होता है जो व्यक्ति को प्रभावित करता है। जिन लोगों की त्वचा ज़्यादा संवेदनशील होती है उन्हें ये बीमारी जल्दी अपना शिकार बनाती है। ज्यादा छोटे बच्चों में मां के दूध को एकाएक छोडकर अन्य खाद्य पदार्थ खिलाने से यह इंफेक्शन फैल सकता है। वैसे तो जिनके चिकन पॉक्स का टीका लगा होता है उसे ये बीमारी होने के आसार कम होते हैं लेकिन कई बार टीका लगवाने के बाद भी चिकनपॉक्स हो जाता है।
ये होते हैं लक्षण
सबसे पहले व्यक्ति को बुखार आता है जो एक – दो दिन रहता है फिर शरीर में दाने निकलना शुरू होते हैं। दाने शुरुआत में लाल उभरे हुए से होते हैं जो बाद में फफोलों में बदल जाते हैं। दाने मुख्य रूप से चेहरे, सिर, पेट और टांगों पर दिखाई देते हैं। जब ये बीमारी चरम पर होती है तो पूरे शरीर में दाने निकल आते हैं, कुछ रोगियों के तलवों में और गले में भी दाने निकलते हैं। इनमें तेज़ खुजली होती है। दाना उभरने के 48 घंटे बाद सूखने लगता है। शरीर बहुत कमज़ोर हो जाता है। भूख नहीं लगती है, जी मिचलाता है। कुछ रोगियों में दाने के आस-पास की त्वचा लाल हो जाती है, इनमें तेज़ दर्द होता है और सांस लेने में दिक्कत होती है।
अगर बीमारी की शुरुआत में ही डॉक्टर को दिखा लिया जाए तो बीमारी को बहुत ज़्यादा फैलने से रोका जा सकता है।
डॉ. नीरज कुमार, त्वचा रोग विशेषज्ञ, नई दिल्ली
लोग इस बीमारी को माता भी कहते हैं लेकिन लोगों के मन में आज भी भ्रांति है कि इस बीमारी का इलाज़ नहीं कराना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि चिकनपॉक्स के रोगी को अगर दवा दे दी तो देवी मां नाराज़ हो जाएंगी। इस बारे में पूछने पर दिल्ली के त्वचा रोग विशेष डॉ. नीरज कुमार बताते हैं, ”चिकन पॉक्स की कई दवाएं आती हैं जिनसे इसमें राहत मिलती है। कुछ लोशन्स भी आते हैं जिन्हें दाने पर लगाने से खुजली से राहत मिलती है।” डॉ. नीरज बताते हैं कि अगर बीमारी की शुरुआत में ही डॉक्टर को दिखा लिया जाए तो बीमारी को बहुत ज़्यादा फैलने से रोका जा सकता है। हालांकि इस बीमारी को ठीक होने में 7 से 10 दिन तो लग ही जाते हैं लेकिन दवाएं लेना ज़रूरी होता है।
ये भी पढ़ें- कैंसर से बचना है तो इसे अपने खाने में करें शामिल
होम्योपैथी में भी चिकनपॉक्स का इलाज़ संभव है। गुड़गांव के डॉ. रमेश चौहान बताते हैं कि होम्योपैथी में जेल्सिमियम, एकोनाइट, एन्टिम क्रूड, एपिस मेल, बेलाडाना, मर्क सॉल, रस टॉक्स जैसी दवा इस्तेमाल की जाती हैं लेकिन किसी भी दवा को बिना चिकित्सक की सलाह के नहीं लेना चाहिए। जो लोग ये जानते हैं
इन बातों का रखें ध्यान
- चिकनपॉक्स में रोगी को भूख – प्यास लगना बंद हो जाता है जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी कम होने लगती है। इस बीमारी में लिवर बहुत कमज़ोर हो जाता है इसलिए तला भुना नहीं खाना चाहिए। दूध या उससे बने उत्पादों का सेवन भी नहीं करना चाहिए। ऐसा खाना खाइए जो आसानी से पच जाए और जिसमें तेल मसाला बिल्कुल न हो।
- थोड़ी मात्रा में सेब, अंगूर जैसे फल खाएं। कुछ लोगों के गले में भी दाने निकल आते हैं इसलिए कोई खट्टा फल न खाएं। दही खाएं, ये ठंडा होता है और इसमें मौजूद प्रोबायोटिक्स बीमारी से लड़ने में मदद करते हैं।
- मूंग की दाल आसानी से पच जाती है, इसलिए दोपहर और रात को एक – एक कटोरी मूंग की दाल ली जा सकती है।
- नीम की पत्तियों को बिस्तर पर रखें। नीम एंटीबैक्टीरियल होता है जो कीटाणुओं से शरीर की रक्षा करता है।
- इस बीमारी का संक्रमण हवा से होता है इसलिए रोगी व्यक्ति को सबसे अलग रखें, वरना इनफेक्शन फैल सकता है।
- ठंड में इस बीमारी का वायरस तेज़ी से फैलता है इसलिए ठंड से बचाव करें।