सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मचारियों के काम और उनकी चुनौतियां

इन इलाकों में रहने वाले लोग अक्सर अपना घर छोड़कर चले जाते हैं, या फिर नए लोग आ जाते हैं। इसलिए कर्मचारियों को लगातार नए लोगों की पहचान करके रिपोर्ट तैयार करनी पड़ती है। इन सब चुनौतियों के बावजूद जब ये कर्मचारी समुदाय में कुछ बदलाव लाते हैं, तो उन्हें उनके समुदाय में जो पहचान मिलती है, वो उनते लिए प्रेरणा का बड़ा स्रोत होता है।

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सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मचारियों के काम और उनकी चुनौतियां

'यूनाइटेड नेशन्स सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल 3' का लक्ष्य है कि साल 2030 तक सामूहिक स्वास्थ्य दायरे को बढ़ाया जाए। इस लक्ष्य को पाने के लिए बेहतर भर्ती, ट्रेनिंग और स्वास्थ्य सेवा में लगे कर्मचारियों को उनके स्थान पर बनाए रखना ज़रूरी है। भारत में ज़्यादातर सरकारी स्वास्थ्य योजनाएं, ज़मीनी स्तर पर अपनी रणनीतियों को लागू करने के लिए सामूदायिक स्वास्थ्य कर्मचारियों पर निर्भर रहती हैं। इसके अलावा, स्वास्थ्य सुधारों को लागू करने वाली कई गैर-लाभकारी संस्थाएं भी, देश के सभी लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने हेतु समुदायों और स्वास्थ्य सिस्टम तक पहुंच बनाने के लिए, इन कर्मचारियों पर काफी हद तक निर्भर करती हैं।

कुछ साल पहले 'स्नेहा' में हमें महसूस हुआ कि हमें इन स्वास्थ्य सामूदायिक कर्मचारियों की जनसांख्यिकी जानकारी के अलावा और कुछ खास नहीं मालूम। फिर हमने एक अध्ययन पर विचार किया, ताकी हम इन कर्मचारियों के उद्देश्य, इनकी चुनौतियां और उन चुनौतियों से निपटने के तरीके समझ पाएं।

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हमने स्वास्थ्य क्षेत्र और एकीकृत बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस) के लिए काम करने वाली चार गैर-लाभकारी संस्थाओं के उम्मीदवार लिए। इस गुणात्मक शोध में इंटरव्यू और मोर्चे पर काम करने वाले कर्मचारियों की रोज़ाना की ज़िंदगी का अवलोकन शामिल था। 46 इंटरव्यू हुए, इन इंटरव्यू में कर्मचारियों के जनसांख्यिकीय विशेषताएं, भर्ती और प्रशिक्षण के अनुभव से जुड़े सवाल भी शामिल थे।


अध्ययन में क्या सामने आया

1. भर्ती: सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मचारी औपचारिक और अनौपचारिक दोनों तरीकों से भर्ती किए जाते हैं। सामूदायिक स्वास्थ्य कर्मचारियों की भर्ती में सबसे आम होता है, अपने पहचान के लोगों की भर्ती करवाना।

वर्तमान कर्मचारी समुदाय के सदस्यों के साथ मिलकर काम करते हैं। वे अच्छे उम्मीदवारों के नाम बताकर भर्ती की प्रक्रिया में मदद करते हैं। ये लोग उम्मीदवार को काम के बारे में जानकारी देते हैं और आवेदन करने में भी मदद करते हैं। स्थानीय गैर-लाभकारी कर्मचारी अपने समुदायों में लोगों को लेकर जाते हैं। कई बार वो ऐसे स्वयंसेवकों को भी लेते हैं जो ज़्यादा वक्त देना चाहते हैं। बाद में इन्हीं लोगों को रेफर कर दिया जाता है। सामूदायिक स्वास्थ्य कर्मचारियों की भर्ती में इश्तेहार देना अखबार या इंटरनेट असरदार नहीं होता।

प्रोग्राम के लिए संभावित उम्मीदवारों की पहचान के बाद, आमने-सामने के इंटरव्यू होते हैं। कभी-कभी लिखित परीक्षा भी ली जाती है।

2. ट्रेनिंग: सामूदायिक स्वास्थ्य कर्मचारी तैयार करने के लिए, ट्रेनिंग, मेंटरशिप, मान्यता और गतिशीलता बढ़ाने का काम संगठन के समर्थन से होता है। संगठन उन्हें प्रोग्राम के लिए जो मार्गदर्शन और समर्थन देता है, वह उनमें गहराई से जड़े बना लेता है। पेशे से जुड़ी और व्यक्तिगत परेशानियों में वे समर्थन के लिए अपने सुपरवाइज़र की ओर देखते हैं।

3. प्रेरणा: समुदाय द्वारा खर्च उठाना – जब भी सामूदायिक स्वास्थ्य कर्मचारी किसी नए समुदाय में काम करना शुरू करते है, तो उनके सामने परेशानियां आती हैं। अक्सर उन्हें विश्वसनीयता बनाने के लिए काफी वक्त लगाना पड़ता है। इन अनौपचारिक बस्तियों में स्वास्थ्य को अभी भी शिक्षा की तरह तरजीह नहीं दी जाती। पूर्व-प्रसवपूर्व देखभाल, प्रसवोत्तर देखभाल, कुपोषण और हिंसा फैलना इनके लिए कोई बड़ी समस्या नहीं है।

इसलिए, सामूदायिक स्वास्थ्य कर्मचारियों को अक्सर लोगों को समझाना पड़ता है कि स्वास्थ्य से जुड़े विषय भी ज़रूरी हैं। ये समझाने की प्रक्रिया काफी लंबी और उबाऊ हो सकती है। इन इलाकों में रहने वाले लोग अक्सर अपना घर छोड़कर चले जाते हैं, या फिर नए लोग आ जाते हैं। इसलिए कर्मचारियों को लगातार नए लोगों की पहचान करके रिपोर्ट तैयार करनी पड़ती है। इन सब चुनौतियों के बावजूद जब ये कर्मचारी समुदाय में कुछ बदलाव लाते हैं, तो उन्हें उनके समुदाय में जो पहचान मिलती है, वो उनते लिए प्रेरणा का बड़ा स्रोत होता है।

नई चीज़ें सीखकर – ये कर्मचारी काम के दौरान जो हुनर सीखते हैं, उससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। इसमें कुछ बुनियादी चीज़ें जैसे लिखना या पड़ना शामिल हो सकता है। काउंसलिंग, भीड़ संभालना या ट्रेनिंग सेशन चलाने के हुनर भी शामिल हैं।

इसके अलावा, सामूदायिक स्वास्थ्य कर्मचारियों का कानून, अधिकार और अपने काम की विस्तृत जानकारी रखना भी संगठन से मिली ट्रेनिंग का हिस्सा होता है। इन जानकारियों को वे अपने परिवार के लोगों तक भी पहुंचाते हैं।

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हासिल हुई जानकारी को ऐसे लागू करें

1. भर्ती के लिए, समुदाय में बनी पहचान का इस्तेमाल करके ऐसे लोगों को ढूंढा जाए एनजीओ/आईसीडीएस के साथ लंबे वक्त के लिए जुड़ सकते हैं। इससे भर्ती में खर्च होने वाला समय बचाया जा सकता है।

2. मोर्चे पर काम कर रहे कर्मचारी के लिए ट्रेनिंग लगातार होती रहनी चाहिए। न सिर्फ तकनीकी हुनर बढ़ाने के लिए बल्कि प्रबंधकीय जानकारी के लिए भी लगातार और नई-नई ट्रेनिंग की ज़रूरत पड़ती है। हमने यह भी महसूस किया कि इन कर्मचारियों की ट्रेनिंग में हुनर सिखाने के साथ-साथ आत्मविश्वास बढ़ाना भी शामिल होना चाहिए।

3. सामूदायिक स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ काम करने वालों को इस बात को समझना चाहिए कि समुदाय द्वारा स्वीकार किए जाने में समय लगता है। इसलिए, उन्हें पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। परिवारों से बाचतीच करने के लिए कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। समुदाय और उसकी ज़रूरत के हिसाब से सुधार की बात सामने रखनी चाहिए। सुपरवाइज़र के लिए ज़रूरी है कि प्रोग्राम के शुरुआती दिनों में वे समुदाय में काफी सक्रिय रहे। समुदाय मिलकर फैसले ले। और आखिर में, प्रोग्राम के नतीजों की जानकारी कर्मचारियों तक पहुंचाए जाने चाहिए।

4. मोर्चे के कर्मचारियों को नतीजे बताने और प्रोग्राम से जुड़े फैसले लेने से पहले उनकी राय लेने से उनका मनोबल बढ़ेगा।

अनूजा जयरमन और निख़त शेख़ की यह रिपोर्ट पहले आई डी आर में प्रकाशित हो चुकी है

  

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