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हृदय गति रुकने में सीपीआर 10 से बच सकती है जान

Indian Medical Association

नई दिल्ली (आईएएनएस)। पिछले दिनों तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयाललिता की कार्डियक अरेस्ट की वजह से मृत्यु हुई थी। इस दौरान कई लोगों में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट को लेकर भ्रम पैदा हो गया था जबकि कार्डियक अरेस्ट (हृदय गति रुकना) और हार्ट अटैक (दिल का दौरा) में अंतर है। कार्डियक अरेस्ट में हार्ट अचानक ही ब्लड का सर्कुलेशन बंद कर देता है। इससे सांस नहीं आती है और इंसान बेहोश हो जाता है और सही समय पर इलाज न मिलने पर कोमा में चला जाता है। और मृत्यु भी हो सकती है।

जिन लोगों को हार्ट अटैक की प्रॉब्लम होती है, उनमें कार्डियक अरेस्ट का खतरा और भी बढ़ जाता है। हार्ट अटैक में अचानक ही हार्ट की किसी मसल में ब्लड सर्कुलेशन बंद हो जाता है, जिससे हार्ट को स्थायीतौर पर डैमेज होता है लेकिन हार्ट की इस सिचुएशन में भी बॉडी के दूसरे हिस्सों में ब्लड का सर्कुलेशन ठीक तरीके से होता है। इस सिचुएशन में इंसान केवल बेहोश रहता है। कुछ समय पहले हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने डॉक्टरों से इस बारे में जागरुकता फैलाने की अपील की है। इसे सीखना बेहद आसान है और यह तकनीक देश के ज्यादातर लोगों को सिखाई जानी चाहिए।

हार्ट अटैक की वजह से हो सकता है कार्डियक अरेस्ट

जब दिल का इलेक्ट्रिक कंडक्टिंग सिस्टम फेल हो जाता है और दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है और यह 1000 बार से भी ज्यादा तेज हो जाती है तो इस स्थिति को तकनीकी तौर पर वेंट्रीकुलर फिब्रिलेशन कहा जाता है। इसके तुरंत बाद दिल धड़कना एक दम बंद कर देता है और दिमाग को रक्त का बहाव बंद हो जाता है। इस वजह से व्यक्ति बेहोश हो जाता है और उसकी सांस रुक जाती है। कार्डियक अरेस्ट दिल के दौरे की तरह नहीं होता, लेकिन यह हार्ट अटैक की वजह हो सकता है। ज्यादातर मामलों में पहले दस मिनट में कार्डियक अरेस्ट को ठीक किया जा सकता है। यह इसलिए संभव है क्योंकि इस समय के दौरान दिल और सांस रुक जाने के बावजूद दिमाग जिंदा होता है। इस हालत को क्लिनिकल डेथ कहा जाता है।

जितनी जल्दी सीपीआर 10 उतनी बचने की संभावना

सिर्फ लगातार दबाने (सीपीआर) से दिल स्ट्रनम और पिछली हड्डी के मध्य दब जाता है और इससे बने दबाव से ऑक्सीजन युक्त रक्त दिमाग की ओर बहता रहता है और तब तक डीफिब्रिलेशन की सुविधा या एक्सपर्ट मेडिकल हेल्प पहुंच जाती है इसलिए अगर आप किसी को आकस्मिक कार्डियक अरेस्ट की वजह से बेहोश होता देखें तो तुरंत उसकी जान बचाने का प्रयास करें। ऐसी स्थिति में तेजी से काम करें, क्योंकि हर एक मिनट के साथ बचने की संभावना 10 प्रतिशत कम हो जाती है। यानी अगर 5 मिनट व्यर्थ चले गए तो बचने की संभावना 50 प्रतिशत कम हो जाएगी। कार्डियक अरेस्ट के पीड़ित को जितनी जल्दी सीपीआर 10 दिया जाए उसकी जान बचने की संभावना उतनी ही ज्यादा बढ़ जाती है।

होश में आने तक हैंड्स ओनली सीपीआर जारी रखें

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और आईएमए के मानद महासचिव डॉ. केके अग्रवाल ने कहा, ‘हर साल 2,40,000 लोग हार्ट अटैक से मर जाते हैं। हमारा मानना है कि अगर देश की 20 प्रतिशत जनता ‘हैंड्स ओनली सीपीआर’ तकनीक सीख ले तो इनमें से 50 प्रतिशत जानें बचाई जा सकती हैं। आसानी से सीखी जा सकने वाली यह तकनीक कोई भी कर सकता है और यह बेहद प्रभावशाली होती है।’ बस इतना याद रखें कि जो व्यक्ति सांस ले रहा हो, उसकी नब्ज चल रही हो और वह क्लिनिकली जिंदा हो, उस पर इसे न अपनाएं। इसे 10 मिनट के भीतर अपनाएं और एंबुलेंस आने तक या व्यक्ति के होश में आने तक इसे जारी रखें। कार्डियक अरेस्ट किसी को भी, कभी भी और कहीं पर भी हो सकता है लेकिन यह आसान तरीका किसी अपने की जान बचा सकता है।

क्या है हैंड्स ओनली सीपीआर 10

डॉ. केके अग्रवाल के मुताबिक हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया का हैंड्स ओनली सीपीआर 10 मंत्र है – मौत के दस मिनट के अंदर बल्कि जितनी जल्दी हो सके कम से कम 10 मिनट तक (बालिगों को 25 मिनट तक और बच्चों को 35 मिनट तक) पीड़ित व्यक्ति की छाती के बीचों बीच लगातार जोर से 10 गुना 10 यानी 100 बार प्रति मिनट की रफ्तार से दबाएं।

इन संकेतों पर दें ध्यान

ऐसे मौके पर अक्सर हल्के चेतावनी संकेत मिलते हैं, जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। इन बातों पर गौर करना जरूरी है।

  • 30 की उम्र के बाद एसिडिटी या अस्थमा के दौरे जैसे संकेतों को नजरअंदाज ना करें।
  • 30 सेकंड से ज्यादा छाती में होने वाले अवांछनीय दर्द को नजरअंदाज ना करें।
  • छाती के बीचोंबीच भारीपन, हल्की जकड़न या जलन को नजरअंदाज ना करें।
  • थकावट के समय जबड़े में होने वाले दर्द को नजरअंदाज न करें।
  • सुबह छाती में होने वाली बेचैनी को नजरअंदाज ना करें।
  • थकावट के समय सांस के फूलने को नजरअंदाज ना करें।
  • छाती से बाईं बाजू और पीठ की ओर जाने वाले दर्द को नजरअंदाज ना करें।
  • बिना वजह आने वाले पसीने और थकावट को नजरअंदाज ना करें।

अगर इनमें से किसी भी तरह की समस्या हो तो मरीज को तुरंत पानी में घुलने वाली एस्प्रिन दें और नजदीकी डॉक्टर के पास ले जाएं। अगर कार्डियक अरेस्ट की वजह से किसी की सांस फूलने लगे तो उसके दिल पर मालिश करें या कार्डियो पल्मनरी रेस्यूसाईटेशन दें। सीपीआर के बिना किसी को भी मृत घोषित न करें।

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