बैक्सटर ने पेड़-पौधों पर अपने प्रयोगों के आधार पर ये तो साबित कर ही दिया था कि पेड़-पौधों में तमाम तरह की संवेदनाएं पाई जाती हैं और साथ ही ये भी बताया कि पौधे हमारे मन की बातों को भी भाँप जाते हैं। एक पॉलीग्राफ मशीन की मदद से इन्होंने अपने पेड़-पौधों पर अपने प्रयोगों और दावों को सिद्ध करके भी दिखाया।
एक बार बैक्सटर के पड़ोस में एक हत्या हुई और हत्यारे की खोजबीन के लिए लोगों ने बैक्सटर की मदद लेनी चाही, क्योंकि बैक्सटर पेशे से एक फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट थे। बैक्सटर ने घटनास्थल पर पहुंचकर देखा कि उस कमरे में कुछ पौधे गमलों में लगे हुए थे। बैक्सटर ने कहा कि जिन जिन लोगों पर हत्या का शक है उन्हें एक-एक करके इस कमरे के भीतर तक लाया जाए।
जिन-जिन लोगों पर हत्या का शक था, उन्हें एक-एक कर कमरे के भीतर बुलाया गया और बिठा दिया गया। गमले में लगे एक पौधे पर बैक्सटर ने पॉलीग्राफ मशीन लगा रखी थी। हत्यारे को देखते ही उस पौधे में हलचल तेज हो गई और उस हलचल को पॉलीग्राफ मशीन के साथ जुड़े पल्सेटिंग मॉनिटर पर साफ देखा जा सकता था। हत्यारा पहचान लिया गया और पूछताछ के बाद उस हत्यारे ने घटना को अंजाम देना स्वीकारा भी।
पेड़-पौधों की अनुभूतियों को इस तरह से इस्तेमाल में लाने के लिए बैक्सटर के इस अनूठे प्रयोग को दुनिया भर में सराहा गया और तब से लेकर अब तक विज्ञान ने कई पायदान ऊपर छलांग भरी है। पेड़-पौधों की संवेदनाओं और उनके एक्स्ट्रा-सेन्सरी पर्सेप्शन की मदद से कई तरह की नई खोजें निरंतर की जा रही हैं। पौधों के परागकणों के आधार पर भी घटनास्थल और घटना को अंजाम देने वाले व्यक्ति से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिल जाती हैं।
विज्ञान कैसे इस विषय पर आगे बढ़ रहा है, और किस तरह से पेड़-पौधों के एक्स्ट्रा-सेन्सरी पर्सेप्शन की मदद से कई रहस्यों को सुलझाया जा रहा है, इन सारी बातों जानने के लिए हमारे हर्बल एक्सपर्ट और वैज्ञानिक डॉ दीपक आचार्य के नए शो “हर्बल आचार्य” के इस एपिसोड को पूरा देखें।
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