अक्सर शुगर हो जाने पर पहली प्रतिक्रिया परहेज से सम्बंधित आती है। डॉक्टर साहब एक पर्चा थमा देते हैं या मुंहजबानी बता देते हैं कि दलिया, रोटी, दाल, सलाद ही खाना है बाकी कुछ नहीं। चावल, आलू, आम तो देखने भी नहीं। ऊपर से रिश्तेदार और पड़ोसियों का तांता लग जाता है, अपने जादुई नुस्खे बताने के लिए कि कैसे फलाना चाचा ने ये खाकर शुगर ख़तम करवा ली या कैसे उन बुआ ने वह चीज खाकर दवा बंद करवा ली। जैसे डायबिटीज न हो गई आफत हो गई, हर जगह पाबंदियों और सलाहकारों का हुजूम इकठ्ठा हो जाता है और इन सबका असर पड़ता है डायबिटीज से पहली बार रूबरू हो रहे इंसान पर, जिसे वास्तविकता से दो-चार होने से पहले ही डरा दिया गया है।
आपको जानकार आश्चर्य होगा के कई विकसित देशों में डायबिटीज का प्रबंधन इतनी निपुणता से किया जाता है कि व्यक्ति स्वयं को पहले से अधिक स्वस्थ्य महसूस करने लग जाता है। फिर हम डायबिटीज को हौआ क्यों बनाते हैं? यह शरीर का एक संकेत भी तो हो सकता है न कि अब वक़्त आ गया है “अपना ख्याल रखने का”। बात बस रवैये की है, यदि आफत की तरह देखेंगे तो पाएंगे कि शरीर ढल रहा है, दवा, परहेज किसी का असर नहीं हो रहा पर इसे खुद को स्वस्थ रखने की चेतावनी की तरह देखेंगे तो अपने आप ही गाड़ी चल पड़ेगी। मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन के डॉक्टर वि. मोहन (पद्मश्री) अपने लेक्चर में ये बात पुरजोर तरीके से रखते हैं कि कैसे महज़ छोटी बातों का ख्याल रख कर डायबिटीज को नियंत्रित रखा जा सकता है।
यहां सबसे बड़ी गलती की जाती है किसी डायबिटिक को यह यकीन दिला कर कि अब उसका जीवन बदल चुका है और अब वह अपनी पसंदीदा कोई भी चीज़ नही खा सकता। नतीजा:
1. डायबिटीज के मरीज अक्सर तनाव में रहते हैं, वे यह मान लेते हैं के अब वे स्थायी रूप से बीमार हैं, कई बार इससे बचने के लिए वे आनन-फानन में कुछ टोटके और इलाज अपनाते हैं जिससे बात और बिगड़ जाती है।
2. किसी से मिलना-जुलना कम हो जाता है, पार्टी-फंक्शन में आना-जाना भी यह कह कर बंद हो जाता है कि जब कुछ खा नहीं सकते तो शक्ल देखने क्यू जाएं और ऊपर से मुफ्त की हिदायतें और टोकाटाकी भी ऐसी जगहों पर बढ़ी हुई ही मिलती है। इसके कारण अक्सर वे अकेलेपन और अवसाद के शिकार हो जाते हैं, नए मामलों में यह काफी ज्यादा देखने को मिलता है। और सबसे बड़ी बात ये है कि इतने परहेज के बावजूद ब्लड शुगर नियंत्रण में नहीं आ पाती।
यह भी देखें: हार्ट अटैक और डायबिटीज से बचाएगी इस गेहूं की रोटी
तो ऐसे में उपाय क्या है? दो बातों का ख़ास ख्याल रखें 1. डायबिटीज के प्रति आपका रवैया 2. जागरुकता
इसमें कोई दोराय नहीं कि आपको स्वस्थ रखने के 80 प्रतिशत तरीके आपकी रसोई में पाए जाते हैं। न्यूट्रिशन कंसल्टेंट एक खास तरह की खुराक या डाइट जिसे “डायबिटिक डाइट” कहा जाता है, खाने की सलाह देते हैं। डायबिटिक डाइट सबसे स्वस्थ खुराक में से एक है। चूंकि भारतीय आहार अमूमन अनाजों से भरा होता है यानी हम दाल सब्जी के मुकाबले रोटी चावल अधिक मात्रा में खाते हैं। डायबिटिक डाइट इसे दूसरे भोज्य विकल्पों के सम्मिलन से संपूर्ण बनती है। एक संपूर्ण आहार वही है जिसमें सभी भोज्य वर्गों का और सभी पोषण तत्वों का समावेश हो। यदि आपका दैनिक आहार दाल, अनाज, सब्जी (हरी व जड़), फल, दही-दूध से निर्मित है तो आप निश्चित रूप से दूसरों की अपेक्षा स्वस्थ होंगे, हां आहार की विविधता के साथ-साथ उसकी सही मात्रा भी एक महत्त्वपूर्ण पहलू है।
डायबिटीज में सबसे बड़ी अवहलेना होती है “आहार संतुलन” की अर्थात यदि आप वर्जित भोज्य पदार्थ जैसे आलू, चावल ज़रा भी नही खा रहे लेकिन जिसे खाने की अनुमति है, ऐसी चीजें जैसे रोटी, दलिया बेहिसाब खा रहे हैं तो ब्लड शुगर में सुधार होना लगभग असंभव है। इसे वैज्ञानिक भाषा में कार्बोहाइड्रेट काउंटिंग से समझा जा सकता है। यानि कि दैनिक आहार में विभिन्न भोज्य पदार्थों का समावेश इस तरह किया जाये जिससे कि उनसे शरीर को मिलने वाली कुल शर्करा कि मात्रा नियंत्रित रहे। साधारण भाषा में कहें तो ये एक ऐसा प्रबंधन है जिसमें आप थोड़ा-थोड़ा सब खा भी सकते हैं और शुगर भी नही बढ़ती।
यह भी देखें: नियमित व्यायाम और सही खान-पान से ही बचा जा सकता है डायबिटीज से
उदाहरण के तौर पर यदि आप एक समय में 4 रोटी खा रहे हैं परन्तु आम खाने के इच्छुक भी हैं तो एक रोटी कम कर दें और एक आम की फांक परोस लें। यदि चावल खाना चाहते हैं तो उसदिन पत्तेदार सब्जी का प्रयोग ज्यादा करें। दुनिया भर में कार्बोहाइड्रेट काउंटिंग के द्वारा जाने कितने ही शुगर के मरीज अपनी पसंदीदा चीज़ें खाते हुए ब्लड शुगर और कुंठा दोनों को मात दे रहे हैं। यकीन मानिये इसे समझना आपके स्मार्ट फ़ोन चलाने से आसान है।
यदि दैनिक भोजन के बाद भी आपका पेट नही भरता है तो निम्न बातों पे ध्यान दें
1. कुछ समय के लिए शुगर लेवल दिन में 2-3 बार चेक करवाएं, नतीजे नोट करके विशेषज्ञ को दिखाएं।
2. खाना खाने की शुरुआत रोटी से न करें बल्कि सलाद दाल सब्जी से करें रोटी भोजन के बीच में खाएं।
3. सिर्फ भोजन पर ही नहीं पानी पर भी ध्यान दें, पानी पीने के लिए प्यास लगने का इंतज़ार न करें, क्यूंकि प्यास लगना संकेत होता है निर्जलीकरण की शुरुआत का, यानि आपके शरीर को पानी की आवश्यकता प्यास लगने से काफी पहले ही हो चुकी होती है।
4. भोजन में फाइबर यानि रेशेदार पदार्थ का महत्व जितना कहा जाए कम है। इसके लिए सलाद- प्याज, मूली, ककड़ी, गाजर, खीरा, टमाटर जो भी उपलब्ध हो, अच्छी मात्रा में प्रयोग करें, साथ ही दरदरा पिसा आटा प्रयोग में लाएं और चोकर ना हटाएं, गेहूं के साथ जौ, मक्का, बाजरा, व अन्य उपलब्ध आटे मिश्रित करें, छिलकेदार दालें, पत्तेदार सब्जियों का प्रयोग नियमित रखें (यदि किडनी या ब्लड प्रेशर सम्बंधित परेशानियां हैं तो पहले आहार विशेषज्ञ से बात करें)।
यह भी देखें: डायबिटीज को नियंत्रित करेंगे ये दस उपाय
एक और समस्या जिससे अक्सर डायबिटीज के रोगी जूझते हैं वह है शुगर का अचानक बढ़ना या घट जाना। कई बार दवाओं का फार्मूला सूट नहीं करता, कभी-कभार खुराक की गलत निर्धारित मात्रा, तनाव एवं टेंशन भी इसके मुख्य कारण हो सकते हैं। लेकिन “क्या और कब खाया” यह सबसे अधिक प्रभावित करता है।
इस मामले में सबसे पहले मानसिक हालत पर ध्यान दें। याद रखिए कुछ दिनों की अनियंत्रित शुगर आपके शरीर के बाकी अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है तो कोताही न बरतें। तनाव को दूर रखने के कई तरीके हैं, सबसे आसान है संगीत। अपने मनपसंद गीतों को सुनें और गुनगुनाएं, 20-30 मिनट रोजाना टहलें, ध्यान और योग भी काफी सहायक होते हैं, परिवार और दोस्तों के साथ वक्त बिताएं, और अगर कुछ भी न असर करे तो विशेषज्ञ की मदद अवश्य लें, आज के 100 रुपये बचा कर कल 1000 रुपये का खर्चा तैयार करने की गलती न करें।
भोजन के बीच काफी लम्बा अन्तराल हानिकारक होता है, ये बात मालूम तो सबको होती है पर लागू करने वाले कम ही होते हैं, कभी काम की, कभी समाज की तो कभी मूड की व्यस्तता के कारण हम अक्सर खाने के समय को टाल देते हैं और इसकी कीमत चुकाता है हमारा शरीर। याद रखिये शरीर को टाल कर काम करेंगे तो कुछ ही दिन कर पाएंगे लेकिन शरीर का सही ख्याल रखा तो नौकरी, परिवार, समाज सब पटरी पर रहेगा।
जागरूकता के लिए विशेषज्ञों से सही सवाल पूछने से ना कतराएं, यह आपका अधिकार है। कोई भी बात अंधविश्वास की तरह ना मान लें, आपके विशेषज्ञ भी इन्सान हैं उनसे भी गलतियां हो सकती हैं। अच्छे इलाज की विशेषता होती है आधुनिक और प्राचीन विज्ञान का एक संतुलित मिश्रण अतः किसी अजीब सी राय को महत्व न दें।
यह भी देखें: सिर्फ अस्थमा ही नहीं डायबिटीज भी दे रहा है वायु प्रदूषण: रिसर्च
(तनु श्री सिंह पोषण विज्ञान में यूजीसी की सीनियर रिसर्च फ़ेलोशिप द्वारा डॉक्टरेट हैं और पिछले 6 वर्षों से विभिन्न वर्गों की डाइट काउंसलिंग से जुड़ी हुई हैं)