लखनऊ। क्या आपको पता है कि आप जो बोतल बंद पानी दुकानों से खरीदते हैं, उसमें कितनी मात्रा में प्लास्टिक होती है ? शायद आपका जवाब ना ही होगा। हममें से ज्यादातर लोग तो यही सोचते हैं कि जब जेब ढीली करके पानी खरीद रहे हैं तो वो बिल्कुल स्वच्छ और साफ होगा। लेकिन हम और आप गलत हैं। प्लास्टिक के उपयोग को लेकर जो रिपार्ट आई है, वो बहुत हैरान करने वाली है। रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रतिदिन विभिन्न माध्यमों से 39000 से 52000 माइक्रो प्लास्टिक के कण हमारे शरीर में घुल रहे हैं, और इसका सबसे बड़ा माध्यम प्लास्टिक को बॉटल हैं।
एक इंसान हर साल 74,000 माइक्रो प्लास्टिक करता है उपभोग
पर्यावरण विज्ञान और तकनीक (Environment science and technology) नामक मैगजीन की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार मनुष्य साल भर में तकरीबन 39000 से 52000 माइक्रोप्लास्टिक उपभोग कर रहा है। सांस लेते समय शरीर के अंदर गए माइक्रोप्लास्टिक को भी इसमें जोड़ दिया जाए तो इसकी संख्या 74,000 माइक्रो प्लास्टिक के आसपास हो जाती है। इन माइक्रो प्लास्टिक्स का आकार 5 मिलिमीटर से भी छोटा होता है। इतना छोटा कि माइक्रोस्कोप के बिना इन्हें देखना संभव नहीं है। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि बियर, नमक, सीफूड, सूगर, एल्कोहल में भी माइक्रो प्लास्टिक के ठीक-ठाक कण मौजूद होते हैं।
एक माइक्रोप्लास्टिक का कण किसी भी प्लास्टिक का वह सबसे छोटा भाग है, जिसका आकार 5 मिलीमीटर से भी कम होता है। इन्हें केवल माइक्रोस्कोप की सहायता से देखा जा सकता है।
स्थिति इससे भी ज्यादा हो सकती है गंभीर
रिसर्चर किरेन कॉक्स का कहना कि उन्होंने स्टडी रिपोर्ट्स में जो भी तथ्य दिए हैं स्थिति उससे भी कहीं भी ज्यादा गंभीर हो सकती है। साथ ही आशंका जताई है कि लोग विभिन्न माध्यमों से उनकी ओर से दिए गए आकड़ों से भी ज्यादा प्लास्टिक निगलते हैं। साल 2018 में आई पर्यावरणीय प्रदूषण (Enviromental pollution) नामक मैगजीन की एक रिपोर्ट के अनुसार लोग धूल के माध्यम से प्लास्टिक के कणों का ज्यादा सेवन करते हैं, बशर्ते शेलफिश खाने के मुकाबले।
शरीर को कितना नुकसान करते हैं ये प्लास्टिक कण
क्या होता है जब इस तरह प्लास्टिक के कण आपके शरीर के अंदर जाते हैं? क्या वो आपके खून में जाकर मिल जाते हैं? क्या यह शरीर को नुकसान देते हैं? शरीर को नुकसान दिए बिना ही गुजर जाते हैं? वैज्ञानिक अभी इसको लेकर यह बताने की स्थिति में नहीं पहुंच पाये हैं कि इससे कितना नुकसान हो सकता है। साल 2017 में King’s College in London hypothesized की आई रिपोर्ट के अनुसार ज्यादा मात्रा में प्लास्टिक का उपभोग शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। अलग- अलग प्रकार के प्लास्टिकों में अलग अलग जहरीले तत्व होते हैं। कई प्लास्टिक में क्लोरिन और लीड जैसे खतरनाक तत्व भी पाए जाते हैं। यह इंसान के अंदर मौजूद रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता को भी बहुत हद तक प्रभावित करते हैं। कॉक्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि वैज्ञानिक अभी इसे जानने में लगे हुए हैं कि कितनी मात्रा में प्लास्टिक का उपभोग मानव शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है।
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जीवनशैली(Lifestyle) में बदलाव लाकर खतरे को किया जा सकता है दूर
हमारे शरीर में कई माध्यमों से प्लास्टिक के कण पहुंच रहे हैं। सीफूड खाते हुए, सांस लेते समय और खाना खाते समय भी प्लास्टिक हमारे शरीर में पहुंच रहा है। इस हिसाब से ये बेहद मुश्किल है कि माइक्रोप्लास्टिक के उपभोग को रोका जा सके। कॉक्स कहते हैं कि अपने जीवनशैली में बदलाव कर इसे कम जरूर किया जा सकता है। बॉटल बंद पानी की जगह सप्लाई के पानी का उपयोग करें। खाने में उन पदार्थों का उपभोग करें, जिसमें कम मात्रा मे माइक्रोप्लास्टिक्स की मौजूदगी हो। इससे प्लास्टिक के उपभोग की मात्रा खत्म तो नहीं की जा सकती लेकिन कम जरूर की जा सकती है।