आप शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ रहना चाहते हैं तो आपको अपने दैनिक जीवन के क्रियाकलापों में संतुलन बनाए रखना होगा। नित्य समय पर सोकर उठना, संतुलित आहार लेना और शारीरिक चपलता बनाए रखने के लिए खुद को सक्रीय बनाए रखना और सही समय पर सो जाना आदि बेहद जरूरी है।
दैनिक क्रियाकलापों की तरह व्यायाम योग आदि को भी महत्वपूर्ण मानकर अपनाना जरूरी है लेकिन हमेशा किसी एक्सपर्ट की निगरानी में ताकि हम स्वस्थ और विकाररहित रहें, साथ ही, सही तरीकों से इन्हें कर पाएं। इस सप्ताह से योगानंता (स्टूडियो ऑफ योगा) की फाउंडर रेखा हमारे पाठकों को लिए योगासन से जुड़ी कुछ बारीक जानकारियों को साझा करेंगी। इस लेख में सिद्धासन के बारे में बताया जा रहा है
सिद्धासन
सिद्धासन का जिक्र पद्मासन के बाद आता है। यह सिद्ध योगियों का सबसे प्रिय आसन रहा है। ऐसा कहा जाता है कि जब साधु ध्यान करते हैं तब वे इसी आसन में बैठते हैं। योगी मुनि आदि मानते हैं कि इस आसान को सही तरीके एवं आत्ममुग्ध होकर करने से आपको अलौकिक सिद्दियाँ प्राप्त होती हैं और शरीर दुरुस्त भी होता है। सिद्धासन करने से शरीर को कई स्वास्थ्य लाभ मिलते है।
इससे समस्त नाड़ियों का शुद्धिकरण भी होता है जिसे आधुनिक विज्ञान डेटाक्स कहता है।सिद्धासन जैसा कोई अन्य आसन नहीं है, यह महापुरूषों का आसन है। सामान्य व्यक्ति यदि इस आसन को करना चाहते है तो पहले किसी योग गुरु की सलाह अवश्य लें और उसे अच्छे से सीखें अन्यथा लाभ के बदले हानि होने की सम्भावनाएं भी होती है।
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सिद्धासन की विधि
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सबसे पहले समतल जगह पर आसन बिछाकर बैठ जाएँ और पैर खुले छोड़ दें।
इसके पश्चात अपने बायें पैर की एड़ी को गुदा और जननेन्द्रिय मध्य भाग में रखिए।
दाहिने पैर की एड़ी को जननेन्द्रिय के ऊपर इस तरह रखिये कि जननेन्द्रियों पर दबाव न पड़े।
अब बाहिने पैर के पंजे को बाई पिंडली के ऊपर रखिए। आप चाहे तो पैरों का क्रम बदल भी सकते हैं।
आपके दोनों पैरों के तलुवे जंघा के मध्य भाग में होने चाहिए। घुटने जमीन पर टिके होने चाहिए।
दोनों हाथों को दोनो घुटनों के ऊपर ज्ञानमुद्रा में रखें।
अब अपना ध्यान केन्द्रित करें और सामान्य तरीके से सांस लेते रहें।
आप पाँच मिनट तक इस आसन के अभ्यास को कर सकते हैं।
यह ध्यान रखें कि इसे करते वक्त आपका मेरुदंड सीधा होना चाहिए।
(रेखा: फाउंडर, योगानंता-स्टूडियो ऑफ योगा)