लखनऊ। ” हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति में सीने के साथ-साथ पीठ में भी दर्द होता है। लेकिन ज्यादातर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। अगर पीठ में बायीं तरफ अचानक से दर्द उठे तो इसे नजरंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि समय ये ऑपरेशन नहीं होने पर मरीज की जान भी जा सकती है।” ये कहना है मेदांता मेडिसिटी, गुरुग्राम के कार्डियक सर्जन डॉक्टर अनिल भान का।
लखनऊ में आयोजित हार्ट सर्जरी कार्यशाला में पहुंचे डॉक्टर भान ने बताया, ” रक्तचाप, स्ट्रोक और मानसिक तनाव व्यक्ति के लिए खतरनाक है। इसकी वजह से हृदय में मौजूद रक्त वाहिका एओटा रक्तचाप से कमजोर हो जाती है। ऐसे में महाधमनी की अंदरूनी परत टूट जाता है। इससे रक्त रक्तवाहिनियों के बाहरी आवरण में भरने लगता है। चिकित्सा विज्ञान में इस बीमारी को एओटिक डिफेश्यन करते हैं। इसमें दिल से शरीर को खून की आपूर्ति करने वाली नसें क्षतिग्रस्त हो जाती है। शरीर के अन्य अंगों से ठीक से खून नहीं पहुंच पाता है। ऐसे में मरीज को तुरंत कॉर्डियक सर्जन से सलाह लेनी चाहिए।”
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हृदय शरीर का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। मनुष्य में यह छाती के मध्य में, थोड़ी सी बाईं ओर स्थित होता है और एक दिन में लगभग एक लाख बार एवं एक मिनट में 60-90 बार धड़कता है। यह हर धड़कन के साथ शरीर में रक्त को धकेलता करता है।हृदय को पोषण एवं ऑक्सीजन, रक्त के द्वारा मिलता है जो कोरोनरी धमनियों द्वारा प्रदान किया जाता है।
लोहिया संस्थान के निदेशक डॉक्टर एके त्रिपाठी ने कहा, ह्दय के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इन मरीजों के बेहतर इलाज के लिए बेहतर प्रबंधन की जरुरत होती है। इसके लिए संस्थान में कार्डियोलॉजिस्ट व कार्डियक सर्जनों ने मिलकर हार्ट टीम बनाई गई है। यह अब यूपी के अन्य संस्थानों में भी बनेगी। इसके जरिए सर्जन व विशेषज्ञ डायग्नोसिस के बाद अर्ली मैनेजमेंट तय करेंगे। इसमें मरीज की सर्जरी होनी है या एंजियोप्लास्टी करनी नी है, इसे तुंरत निर्धारित किया जा सकेगा। मरीज को सर्जिकल व मेडिकल मैनेजमेंट की दिशा तुंरत तय होने पर उसका समय पर इलाज हो सकेगा।”
मैक्स हॉस्पिटल के डॉक्टर रजनीश मल्होत्रा ने बताया, ” वाल्व रिप्लेसमेंट, ब्लाकेज या फिर दिल के छेद के ऑपरेशन के दौरान पहले हार्ट को हार्ट लंग मशीन पर लगाकर उसकी धड़कन को बंद कर दिया जाता है, इसमें फेफड़े का काम मशीन करने लगती है। लेकिन आधुनिक तकनीक से ऐसे मरीजों का इलाज और आसान हो गया है। अब ऐसे मरीजों की सर्जरी बीटिंग सर्जरी विधि से की जा रही है। इस विधि में धड़कते हार्ट की सर्जरी की जाता है। इससे मरीज पहले की अपेक्षा जल्दी ठीक हो रहे हैं।”
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